Lucknow News : 'शस्त्र का पूजन रक्षा के भाव का पूजन', कार्यक्रम में बोले डॉ. दिनेश शर्मा

Lucknow News : प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि विजय दशमी के पावन पर्व पर आज यहां शस्त्र का पूजन उसी प्रकार किया जा रहा है, जिस प्रकार मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम ने रावण वध करने के पहले किया था।

Newstrack :  Network
Update:2024-10-13 22:03 IST

Lucknow News : प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि विजय दशमी के पावन पर्व पर आज यहां शस्त्र का पूजन उसी प्रकार किया जा रहा है, जिस प्रकार मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम ने रावण वध करने के पहले किया था। उन्होंने कहा कि विजय दशमी का पर्व एक संदेश देता है कि व्यक्ति सब कुछ सह लेता है किंतु नारी का अपमान नही सह सकता।

सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम को इसी सब के कारण मानव के रूप में इसलिए जन्म लेना पड़ा। कहा जाता है कि मर्यादा पुरूषोत्तम वर्ण व्यवस्था के अनुसार श्रीराम क्षात्रिय धर्म का पालन कर रहे थे। उस समय वर्ण व्यवस्था थी और वर्ण व्यवस्था में रक्षा का भार क्षत्रिय पर होता था। जो नारी की रक्षा करने के लिए सब कुछ न्योछावर करने को तत्पर हो, वह क्षत्रिय है। जिसके रग रग में राष्ट्र का प्रेम भरा हो वह क्षत्रिय है। जो सबको मिलाकर आक्रांताओं का सामना करे वह क्षत्रिय है। उन्होंने कहा कि राजनेता तो वर्तमान समय में पुलिस को कुछ और ही नाम दे रहे हैं, जो शर्मनाक है, क्योंकि संभवतः उन्हे क्षत्रियों का बलिदान याद नहीं है। जिनकी वीरांगनाओं ने जौहर किया है और अपने को अग्नि को समर्पित कर दिया है। जिन्होंने अपने सम्पूर्ण वंश का विनाश होते देखा, लेकिन गुलामी स्वीकार नहीं की। महाराणा प्रताप ने तो घास की रोटियां खाईं, पर मुगलों की दासता को स्वीकार नहीं किया।

क्षत्रिय के रूप में भगवान राम ने अहिल्या का उद्धार किया

डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि शस्त्र का पूजन रक्षा के भाव का पूजन है। महिसासुर का वध करने के पहले देवताओं ने शस्त्र का पूजन किया। रावण से युद्ध के पहले शस्त्र के पूजन करने का उल्लेख मिलता है। ब्राह्मण का सम्मान यदि जीवित है तो उसमें क्षत्रिय समाज का बहुत बड़ा योगदान है। गावों में तो आज भी 80 वर्ष का बुजुर्ग 15 साल के ब्राह्मण का पैर छूता है। यही संस्कार है और यही सनातन है, जिसने देशवासियों को एकजुट कर रखा है। क्षत्रिय के रूप में भगवान राम ने अहिल्या का उद्धार किया। उन्होंने माता शबरी के जूठे बेर का आदान प्रदान किया था। रीझ, वानर, भालू, केवट, निषाद, शबरी, जटायू का सहयोग लेकर सबको मिलकर एक साथ लेकर रावण से शक्तिशाली पर विजय प्राप्त की। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम समाज को एकजुट करने का संदेश देते हैं।

 भगवान राम ने भी शस्त्रों का विधि-विधान से किया था पूजन

इसके बाद डॉ. दिनेश शर्मा ने विधि विधान से सरसों का पूजन करते हुए कहा कि मां दुर्गा ने भी महिषासुर का वध करने से पहले देवी-देवताओं के साथ में शास्त्र का पूजन किया था। रावण से अंतिम युद्ध के लिए प्रस्थान करने से पहले श्री रामचंद्र जी ने भी शस्त्रों का विधि-विधान से पूजन किया था। कार्यक्रम में पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह, विधायक राजेश्वर सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता नयनतारा सिंह तथा कार्यक्रम के आयोजन अनिल सिंह विशेष रूप में उपस्थित थे।

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