फर्रुखाबाद का चमत्कारी पांडेश्वर मंदिर: 40 दिन में विवाह बाधा दूर, जानिए हैरान करने वाला रहस्य
Farrukhabad Ka Chamatkari Pandeshwar Nath Mandir: अगर आपकी शादी की बात बनते बनते बिगड़ जाती हो या फिर पसंद का जीवन साथी न मिल रहा हो, तो इस सावन करिए भोले नाथ के चमत्कारी मंदिर के दर्शन।
Farrukhabad Ka Chamatkari Pandeshwar Nath Mandir : क्या आप कुंवारे हैं? शादी करना चाहते हैं ? आपकी शादी में अडचनें आ रही हैं?
अगर आपकी शादी की बात बनते बनते बिगड़ जाती हो, और शादी ब्याह में अड़चन आ रही हो। बेटी या बेटा अब तक कुंवारा हो, कुंडली से मात खा जाते हों, विवाह लग्न में बाधा हो या फिर पसंद का जीवन साथी न मिल रहा हो, तो घबराइये में। इस सावन के सोमवार को करिए भोले नाथ के चमत्कारी मंदिर के दर्शन। मान्याता हैं कि ये मंदिर कुवारों के लिए किसी वरदान से कम नहीं। यहां शादी में आने वाली हर बाधा का समाधान होता है। हम बात कर रहें हैं फर्रुखाबाद के चमत्कारी पांडेश्वर मंदिर की।
शादी में बाधा आने पर करें ये उपाय
दरअसल, मान्यता है कि जिन युवक युवतियों की शादी में अड़चन आ रही हैं या किसी वजह से शादी नहीं हो पा रही है, वह अगर पांडेश्वर नाथ मंदिर में भगवान शिव के 40 दिन लगातार दर्शन करते हैं तो उनकी शादी के योग बन जाते हैं। विवाह में आने वाली सभी अड़चनें दूर हो जाती हैं।
माना जाता है कि पांडेश्वर नाथ की 40 दिन पूजा करने से शादी जल्दी हो जाती है। इसी मान्यता और विश्वास के साथ हर रोज यहां सैकड़ों कुंवारे लोग मन्नत मांगने के लिए आते है। दावा किया जाता हैं कि कई लोगों को यहां पर जल्दी शादी का आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ है और उनकी शादी की सभी दिक्कतें दूर हो गईं। भक्त पांडेश्वर नाथ बाबा से कई तरह की मनोकामनाएं करते हैं। भगवान भोलेनाथ भी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को जल्दी सुनते हैं और उनकी सभी इच्छाओं को पूरा भी कर देते हैं।
महाभारत और पांडवों से जुड़ा है मंदिर का इतिहास:
पांडेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। मंदिर का नाता पांडवों से है। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान यहां शिवलिंग स्थापित की थी। जिस जगह उन्होनें मंदिर की स्थापना की, वह अब फर्रुखाबाद जिला है और वह मंदिर पांडेश्वर नाथ मंदिर है, जो पांडवों के नाम पर ही पड़ा है।
दरअसल, महाभारत में एकचक्रानगरी का जिक्र है। इसके मुताबिक गंगा के तट के पास राजा द्रुपद का किला था। चारों ओर जंगल ही जंगल थे। गंगा तट पर धौम्य ऋषि का आश्रम था जहाँ से धौम्य ऋषि स्वयंवर कराने काम्पिल्य गये थे। पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इसी इलाके में शरण ली थी। पांडव मां कुंती के साथ एक पीपल के पेड़ के नीचे रहने लगे जहाँ उन्होंने एक शिव मंदिर की स्थापना की जो आज 'पांडेश्वरनाथ मंदिर पंडा बाग' के नाम से जाना जाता है। इसी लिए इस मंदिर की और अधिक मान्यता है।
सावन के सोमवार में बाबा भोलेनाथ दिखाते हैं चमत्कार
कहते हैं कि सावन में पांडेश्वर नाथ मंदिर में पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है । भगवान शिव को सावन का महीना बेहद प्रिय है। इसीलिए इस माह में शिव की पूजा बहुत अहम मानी जाती है. मान्यता है कि सावन माह में ही समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मंथन के बाद जो विष निकला उससे पूरा संसार नष्ट हो सकता था। लेकिन भगवान शिव ने उस विष को अपने कंठ में समाहित किया और सृष्टि की रक्षा की। इस घटना के बाद ही भगवान शिव का वर्ण नीला हो गया और उन्हें नीलकंठ भी कहा गया है। कहते हैं कि शिव ने जब विष पिया, तो उसके असर को कम करने के लिए देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया था। यही वजह है कि सावन में शिव को जल चढ़ाया जाता है।