Farrukhabad News: दुर्लभ और प्राचीन वस्तुओं को सहेजने के शौक के चलते घर को बनाया संग्रहालय
इतिहासकार डॉ.रामकृष्ण राजपूत को दुर्लभ और प्राचीनी वस्तुओं को सहेजने का शौक है। वे अपने घर को संग्रहालय में बदल चुके हैं..
Farrukhabad News: जिले के पलरिया मोहल्ले के रहने वाले करीब 70 वर्ष के डॉक्टर राजपूत सरकारी सेवा से रिटायर हो चुके हैं। इतिहासकार डॉ.रामकृष्ण राजपूत को दुर्लभ और प्राचीनी वस्तुओं को सहेजने का शौक है। करीब 50 साल पुराने इस शौक के चलते उनका घर अब संग्रहालय में बदल गया है। उनके संग्रहालय में न सिर्फ हजारों साल पुराने सिक्के हैं, बल्कि फारसी व अरबी की हस्तलिखित पांडुलिपि और विविध दुर्लभ मूर्तियां भी यहां मिल जाएंगी।
जिले के पलरिया मोहल्ले के रहने वाले करीब 70 वर्ष के डॉक्टर राजपूत सरकारी सेवा से रिटायर हो चुके हैं। 27 साल की उम्र में उन्हें बाहर घूमने का मौका मिला। इसी दौरान गोवा में संग्रहालय देखकर उनके मन में भी पुरानी वस्तुओं को एकत्र करने की इच्छा जागी और इसी के साथ उनका मिशन म्यूजियम शुरू हो गया। इसके बाद तो उन्हें जहां भी घूमने का मौका मिला, वहां से पौराणिक और दुर्लभ वस्तुएं ले आए।
डॉक्टर के व्यक्तिगत प्रयास से लगभग 4 दशकों से संचालित व्यक्तिगत संग्रहालय में अमूल्य दुर्लभ सामग्री संग्रहित है जो कि अनेक राजाओं, नवाबों, जमीदारों स्वतंत्रता सेनानी परिवारों जिला प्रशासन और व्यक्तिगत रूप से सैकड़ों लोगों से प्राप्त हुई हैं। यह वस्तुएं संकिसा कंपिल क्षेत्र कन्नौज बिचपुरी, भोजपुर, बडेली, अलेहपुर, विल्सड, अलीगंज, शमशाबाद, हरदोई आदि भारत के इतिहास को ऐतिहासिक स्थलों के खंडहर रोटी लो बीड़ों तलहटी ओ घाटियों पर्वतों और ध्वसा विशेष की हैं।
इतिहासकार डॉ. रामकृष्ण राजपूत ने अपने घर को बनाया संग्रहालय
इतिहासकार डॉ. रामकृष्ण राजपूत ने अपने घर को बनाया संग्रहालय साम, दाम, दंड और भेद से प्राप्त इस पुरा सामग्री में ताम्र युगीन आयुध, जीवाश्म, शिलालेख, ताम्र लेख, फरमान, सील हाथीदांत सामग्री, सील्स टेबलेटस, टेराकोटा सामग्री, प्रस्तर धातु, मृदा और कास्ट की मूर्तियां, कांच- शीशा सामग्री, देशी विदेशी क्राकरी, शास्त्रस्त्र कवच, जेड पोर्सुलिन की वस्तुएं, भोजपत्र, ताड़ पत्र और धातु पर लिखी पुस्तकें स्वर्णकित अभिलिखित, चित्रित रंगीन हजारों पांडुलिपियों, मानचित्र ख्याल बाजों के हस्तलिखित रजिस्टर और प्राचीन पत्र पत्रिकाओं के सैकड़ों प्रवेशांक सम्मिलित हैं। छोटे-बड़े टीलों की चित्रित धूसर काले पंडू लाल, कत्थई, गिरोये, नवाशमीय, चॉकलेटी, सेलखड़ी के रंगीन चित्रित मृदा भांड हजारों की संख्या में हैं।
इतिहासकार डॉ. रामकृष्ण राजपूत ने अपने घर को बनाया संग्रहालय
इतिहासकार डॉ. रामकृष्ण राजपूत ने अपने घर को बनाया संग्रहालय विभिन्न शासकों और काल खंडों से लेकर आंग्ल शासन की स्वर्ण रजत ताम्रदि धातुओं की हजारों मुद्राएं, पत्र मुद्राएं पेंटिंग्स कास्ट, चित्रकला, शिल्प कला, वुडन ब्लॉक के टेक्सटाइल की लाखों आकृतियों से संग्रहालय की संपन्नता है। समुद्री सामग्री, ज्वेलरी बॉक्स, लैंप, घड़ियां, विट्स मेडल, विक्टोरिया क्रास, ज्योतिष संगीत सामग्री, बुजुर्गों की छड़ियां, फर्नीचर, श्रृंगार प्रसाधन ,स्टांप, डाक टिकट, सरोते, झाड़ फानूस, मंदिर की सामग्री, टेलीफोन, ताश चौसर शतरंज ,बौद्ध जैन सामग्री भी पर्याप्त है।
यहां पर आप को कैमरे, दूरबीन, पंखों, चश्मों, हुक्कों, रेडियोन, ग्रामोफोनों, रिकॉर्ड प्लेयर, खरल कालीनो, सुर पात्रों आईनो, तालों ,बाटों, जानवरों की खालों मानचित्र, तीरों, ईटों तथा और घरेलू विविध सामग्री के दर्शन होंगे। स्वतंत्रता सेनानियों के पत्र चित्र 50 किलो की सीप 1000, 2000, 5000,10000, ढाई सौ तथा सोलह सौ की भारतीय और विदेशी मुद्राएं, चमड़े का सिक्का, सुभाष चंद्र बोस म्यांमार से जारी पत्र मुद्रा, गौतम बुद्ध की स्वर्ण मुद्रा और पाकिस्तानी हबीब बैंक की स्वर्ण मुद्रा सहित विविध सामग्री दृष्टव्य है।
इतिहासकार डॉ। रामकृष्ण राजपूत ने अपने घर को बनाया संग्रहालय
फर्रुखाबाद में पुलिस चौकी के बाहर दो पक्षों में मारपीट का वीडियो वायरल भारत सरकार एसडी त्रिवेदी महानिदेशक पुलिस उत्तर प्रदेश रिजवान अहमद, पुरातत्व निदेशक डॉ राकेश तिवारी, पुरा संपदा के रजिस्ट्रीकरण अधिकारी डॉक्टर ओपी लाल श्रीवास्तव, विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष और उपकुलपति भी हैं। भारतीय तथा विदेशी उत्खनन दल बडेली, हरदोई, कंपिल के उत्खनन लुधियाना के इंडियन नेशनल हिस्टॉरिकल रिसर्च काउंसलिंग ऑफ इंडिया के निदेशक डॉ. नवल वियोगी और सौ शोध छात्रों का सहयोग लिया है।
मैंने वार्ताओं व्याख्यानों, सेमिनारों गोष्ठियों में पत्र वाचन कार्यशाला में सहभागिता, अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय अभिरुचि के कई इतिहास सम्मेलनों में भागीदारी की है ।इतिहासकार डॉ. रामकृष्ण राजपूत ने अपने घर को बनाया संग्रहालय
डॉक्टर अंबेडकर अवार्ड से हो चुके हैं सम्मानित
डॉ. रामकृष्ण राजपूत को वर्ष 1998 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति ने दलित साहित्य सेवाओं के लिए डॉक्टर अंबेडकर अवार्ड दिया था। उनकी पत्नी उर्मिला राजपूत विधायक भी रह चुकी हैं।