Farrukhabad News: परिवार का पेट भरने के लिए लेते हैं रिस्क, युवक गंगा नदी में लगाते हैं मौत की छलांग

गंगा नदी का जल स्तर खतरे के निशान के करीब है इसके बावजूद चन्द रुपये की खातिर ये युवक अपनी जान खतरे में डालने से नही चूकते हैं और नदी में छलांग लगा देते हैं।

Report :  Dilip Katiyar
Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2021-08-13 08:59 GMT

फर्रुखाबाद: परिवार का पेट भरने के लिए नदी में लगाते हैं मौत की छलांग

Farrukhabad News: देशव्यापी कोरोना महामारी के कारण छाई बेरोजगारी और मंदी ने गरीब आदमी का हाल बेहाल कर दिया है । लोग अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए अपनी जिंदगी को भी खतरे में डालने से नहीं चूकते हैं। ऐसा ही एक मामला फर्रुखाबाद जिले के पांचाल घाट का है । जहां गंगा नदी खतरे के निशान के करीब चल रहे जल स्तर के बावजूद भी चन्द रुपये की खातिर ये युवक अपनी जान खतरे में डालने से नही चूकते हैं। युवकों का गंगा नदी में स्टंट करते हुए तस्वीरें चैनल के कैमरे में कैद हो गईं। बच्चे अपनी जान जोखिम में डाल कर पुल पर लगी दस फिट की रेलिंग को फांद कर गंगा नदी में कूद रहे हैं।

दरअसल, पांचाल घाट पर गंगा नदी का पुल है जहां पर तकरीबन आधा दर्जन बच्चे गंगा नदी के पुल के ऊपर से सीधे गंगा नदी में छलांग लगा रहे हैं। यह नाबालिग बच्चे अपनी जान हथेली पर रखकर यह कार्य सिर्फ इस लिए करते हैं कि पुल के ऊपर से गुजर रहे राहगीर उसको कुछ पैसे इनके करतब को देख कर देते हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि महज 7 साल की उम्र के बच्चे इस हैरतअंगेज कारनामे को कर जरूर रहे है, लेकिन जल स्तर को देखते हुए किसी भी समय इनकी जान पर बन सकती है।

जीत गये तो खेल है और हार गये तो मौत

इन नाबालिग बच्चों को रोकने बाला कोई नहीं है। गंगा घाट पुलिस चौकी से महेज 100 मीटर की दूरी पर है लेकिन कोई पुलिस कर्मी इन नाबालिगों को इस कृत्य के लिए रोकता नहीं है। यह सभी बच्चे गंगा के किनारे बसे गांव सोताबहादुरपुर के हैं। पांचालघाट पर यह सीन चैनल के कैमरे में कैद हुआ तो हमने छलांग लगाने वाले एक युवक से उसकी वजह जानने की कोशिश की, उसकी जुबानी सुनकर हमारी भी आंखें नम हो गईं और सोचा की गरीबी इंसान को जीवन में क्या नहीं करवाती है। यह तो जीवन का ऐसा करतब है जिसको जीत गये तो खेल है और हार गये तो मौत ।

जरा भी बैलेंस बिगड़ जाए तो पेट फटने का डर

जरा भी बैलेंस बिगड़ जाए तो पेट फटने का डर

दरअसल, इस गांव में ज्यादातर लोग गंगा की कमाई से परिवार का भरण पोषण करते हैं इनके परिवार में पैदा होने वाला हर बच्चा तैराक बन जाता है। फिर भी एक कहावत है की तैरने वाले ही डूबते हैं। जब यह लोग चन्द रुपयों के लालच में पुल के ऊपर से गंगा में कूदते हैं उस वक्त यदि शरीर का जरा भी बैलेंस बिगड़ जाए तो पेट फटने का डर बना रहता है। साल में गंगा में हजारों लोग डूब जाते है। पुलिस इसी गांव के गोताखोरों की मदद से उनके शवों को पानी से बाहर निकलवाते हैं।

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