Manish Gupta Death Case: मृतक व्यापारी की पत्नी मीनाक्षी की तहरीर में छह नाम तीन कैसे हुए, पढ़ें इनसाइड स्टोरी
Manish Gupta Death Case: मनीष की पत्नी मीनाक्षी ने 28 सितम्बर को एसएसपी (SSP) के नाम से जो तहरीर दी थी, उसमें छह पुलिस वालों के नाम थे, लेकिन मुकदमा सिर्फ तीन के खिलाफ ही दर्ज किया गया। जिसके बाद पुलिस की कार्यशैली पर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं।
Manish Gupta Death Case: कानपुर के रियल इस्टेट कारोबारी मनीष गुप्ता की पुलिस की पिटाई से हुई मौत (Kanpur Karobari Ki Hatya) के बाद तमाम सवाल उठ रहे हैं। पुलिस कप्तान विपिन टांडा (Vipin Tanda) की कार्यशैली और अपनी पुलिस को बचाने की कोशिशें पूरे प्रकरण को संदिग्ध बना रही हैं। मनीष की पत्नी मीनाक्षी ने 28 सितम्बर को एसएसपी (SSP) के नाम से जो तहरीर दी थी, उसमें छह पुलिस वालों के नाम थे, लेकिन मुकदमा सिर्फ तीन के खिलाफ ही दर्ज किया गया।
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि तीन अन्य आरोपी जब सीसीटीवी फुटेज (CCTV Footage) में दिख रहे हैं तो उन्हें बचाया क्यों जा रहा है। कहीं पुलिस तहरीर को ही गलत साबित करने का प्रयास तो नहीं कर रही है?
पत्नी ने 6 पुलिसकर्मियों को ठहराया हत्या का दोषी
मृतक मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी द्वारा पुलिस को दी गई तहरीर में 6 पुलिस कर्मियों को हत्या का दोषी ठहराते हुए नामजद किया था। इनमें इंस्पेक्टर रामगढ़ताल जेएन सिंह, चौकी इंचार्ज फलमंडी अक्षय मिश्रा, सब इंस्पेक्टर विजय यादव, सब इंस्पेक्टर राहुल दूबे, हेड कांस्टेबल कमलेश यादव, कांस्टेबल प्रशांत कुमार के नाम हैं। लेकिन पुलिस ने सब इंस्पेक्टर राहुल दुबे, हेड कांस्टेबल कमलेश यादव, कांस्टेबल प्रशांत कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किया है। जबकि मीनाक्षी चीख-चीख कर सभी हत्यारोपियों का नाम सार्वजनिक कर रही है। सिर्फ तीन नामजद के पीछे पुलिस ने बड़ा खेल किया।
कमरे में गए पुलिसकर्मियों के ही खिलाफ दर्ज हैं केस
दरअसल, अगल-अलग स्थानों से जुटे दोस्तों को लेकर पुलिस दूसरी ही कहानी गढ़ने की तैयारी में थी। ऐसे में मनीष के तीन दोस्त भी चंद मिनट के लिए बैकफुट पर थे। उन्होंने पुलिस को बताया कि तीन पुलिस वाले ही पूछताछ को लेकर होटल के कमरे में घुसे थे। इसी आधार पर पुलिस ने रामगढ़ताल जेएन सिंह, चौकी इंचार्ज फलमंडी अक्षय मिश्रा, सब इंस्पेक्टर विजय यादव के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया।
साथ में गए तीन पुलिस वाले सिर्फ साथी की भूमिका में थे। इसलिए दोस्तों की तरफ से कुछ नरमी बरती गई। मीनाक्षी की दलील है कि यह तो जांच का विषय है कि किसने मारपीट की और कौन मूकदर्शक की भूमिका में रहा। मुकदमा तो सभी पुलिस वालों पर दर्ज होना चाहिए। इन्हें पुलिस द्वारा फौरी तौर पर क्लीनचिट देना भी सवाल खड़े कर रहा है।
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