Mahakumbh Stampede Sangam Nose: क्या है संगम नोज, जहां हुई भगदड़, क्यों है ये चर्चा में, जाने इसका इतिहास

Mahakumbh Bhagdad Sangam Nose: क्या आप जानते हैं कि संगम नोज़ क्या है और क्यों इसकी इतनी चर्चा हो रही है आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं और इसके इतिहास ले बारे में भी।;

Report :  Akshita Pidiha
Update:2025-01-29 19:18 IST

Mahakumbh Bhagdad Place Sangam Nose History (Image Credit-Social Media)

Mahakumbh Bhagdad Sangam Nose: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम तट पर दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला, महाकुंभ, चल रहा है। यह भव्य आयोजन 13 जनवरी 2025 से शुरू हुआ है और 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम में पवित्र स्नान करने के लिए करोड़ों श्रद्धालु यहाँ पहुंच रहे हैं। महाकुंभ में साधु-संतों और दुनियाभर से आए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। इस वर्ष, महाकुंभ में करीब 45 करोड़ लोगों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।

मौनी अमावस्या के मौके पर बुधवार को संगम नोज पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ स्नान के लिए उमड़ पड़ी। अत्यधिक भीड़ के कारण देर रात भगदड़ मच गई, जिसमें 10 से अधिक लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।

संगम नोज क्या है?

संगम नोज, प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी के संगम का प्रमुख स्नान स्थल है। इस स्थान का नाम इसके विशेष आकार की वजह से पड़ा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस स्थान पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और इसे सबसे अधिक पवित्र स्थल माना जाता है। साधु-संत और आम श्रद्धालु विशेष रूप से इसी स्थान पर स्नान करना पसंद करते हैं।

What Is Sangam Nose (Image Credit-Social Media)

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जल को पवित्र तत्व माना गया है और विशेषकर संगम स्थल पर किया गया कोई भी धार्मिक अनुष्ठान अत्यधिक पुण्यदायी होता है।ऐसे संगम स्थलों में प्रमुख रूप से प्रयागराज का त्रिवेणी संगम, हरिद्वार, नासिक, वाराणसी आदि आते हैं। संगम नोज पर होने वाले श्राद्ध कर्म और तर्पण अनुष्ठान का उद्देश्य पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति को सुनिश्चित करना होता है।

महाकुंभ 2025 में संगम नोज का विस्तार

हर बार संगम नोज क्षेत्र को बढ़ाया जाता है ताकि अधिक श्रद्धालु यहाँ स्नान कर सकें। इस बार भारी भीड़ को देखते हुए क्षेत्र को पहले की तुलना में अधिक बढ़ाया गया है।हर घंटे 50 हजार लोगों के स्नान करने की व्यवस्था थी. इस बार हर घंटे 2 लाख लोगों के स्नान की व्यवस्था की गई है।

हालांकि, अत्यधिक भीड़ के कारण संगम नोज पर भगदड़ की स्थिति बन गई, जिसके बाद प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कई मार्गों को खोल दिया और भीड़ को डायवर्ट किया।

What Is Sangam Nose (Image Credit-Social Media)

श्रद्धालु हर बार यहाँ क्यों एकत्र होते हैं?

  • हर वर्ष हजारों श्रद्धालु विशेष अवसरों पर संगम नोज पर एकत्र होते हैं, विशेषकर पितृ पक्ष के दौरान। इसके पीछे कई धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक कारण हैं:
  • धार्मिक कारण: हिंदू धर्म में मान्यता है कि श्राद्ध और तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और वे मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
  • आध्यात्मिक कारण: संगम नोज पर आकर तर्पण करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और आत्मिक संतोष प्राप्त होता है।
  • सांस्कृतिक कारण: यह प्रथा हजारों वर्षों से चली आ रही है और हिंदू समाज में इसे अत्यंत महत्वपूर्ण परंपरा के रूप में देखा जाता है।
  • पितृ पक्ष का विशेष महत्व: पितृ पक्ष के दौरान किए गए श्राद्ध कर्म को विशेष पुण्यदायी माना जाता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु यहाँ एकत्र होते हैं।
  • अन्य धार्मिक अनुष्ठान: स्नान, दान, हवन, यज्ञ और अन्य कर्मकांड भी संगम नोज पर किए जाते हैं जो विशेष फलदायी माने जाते हैं।

संगम नोज का इतिहास

संगम नोज का उल्लेख प्राचीन हिंदू ग्रंथों में मिलता है। यह स्थान वैदिक काल से ही एक पवित्र तीर्थस्थल रहा है। कहा जाता है कि यहाँ स्वयं ब्रह्मा ने यज्ञ किया था, जिससे यह स्थान और अधिक पावन बन गया। पुराणों में भी संगम क्षेत्र का उल्लेख मिलता है, जहाँ इसे मोक्षदायिनी भूमि के रूप में वर्णित किया गया है।


What Is Sangam Nose (Image Credit-Social Media)

  • महाभारत में भी इस स्थान का उल्लेख मिलता है, जहाँ पांडवों ने अपने वनवास के दौरान यहाँ यज्ञ किया था।
  • मुगल काल में अकबर ने इस क्षेत्र को इलाहाबाद नाम दिया और यहाँ किला बनवाया, जिससे यह स्थान और प्रसिद्ध हुआ।
  • ब्रिटिश शासनकाल में भी संगम क्षेत्र को धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता था।

संगम नोज का निर्माण कैसे किया जाता है?

संगम नोज का निर्माण प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों तरीकों से किया जाता है। यह स्थान नदी के किनारे स्थित एक मिट्टी और रेत का प्राकृतिक टीला होता है, जिसे प्रशासन और स्थानीय संगठन सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने का कार्य करते हैं।


1. भूमि एवं संरचना का विकास:

  • संगम नोज पर हर बार महाकुंभ से पहले नदी के किनारे भूमि को समतल किया जाता है।
  • आवश्यकतानुसार नए घाटों का निर्माण किया जाता है ताकि अधिक से अधिक श्रद्धालु स्नान कर सकें।
  • इस वर्ष, संगम नोज क्षेत्र में 26 हेक्टेयर का विस्तार किया गया, जिसमें से 2 हेक्टेयर भूमि विशेष रूप से संगम नोज के लिए जोड़ी गई।

2. अस्थायी संरचनाओं का निर्माण:

  • श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अस्थायी पुल, स्नान मंच और सुरक्षा बैरिकेडिंग लगाई जाती है।
  • नदी में अधिक गहराई वाले क्षेत्रों को चिह्नित कर सुरक्षित स्नान क्षेत्र बनाया जाता है।
  • प्रशासन द्वारा अस्थायी घाटों का निर्माण किया जाता है, जिससे भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।

3. सुरक्षा और सुविधा प्रबंधन:

  • महाकुंभ के दौरान संगम नोज पर लाखों श्रद्धालु स्नान करते हैं, जिसके लिए विशेष सुरक्षा व्यवस्था की जाती है।
  • गोताखोरों की तैनाती, आपातकालीन बचाव दल और चिकित्सा सुविधाएँ संगम नोज के पास उपलब्ध कराई जाती हैं।
  • भीड़ नियंत्रण के लिए बैरिकेडिंग, मार्गनिर्देशन और पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था की जाती है।

श्रद्धालु संगम नोज पर स्नान को क्यों दे रहे प्राथमिकता?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा और 14 जनवरी को महाकुंभ 2025 के पहले अमृत स्नान के दौरान तीन करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगाई।

अधिकांश श्रद्धालुओं ने संगम नोज पर स्नान को प्राथमिकता दी।

पीक टाइम के दौरान, हर घंटे तीन लाख से अधिक लोगों ने संगम नोज पर स्नान किया।

यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यहीं पर यमुना और अदृश्य सरस्वती गंगा से मिलती हैं।

महाकुंभ में संगम नोज का धार्मिक महत्त्व

संगम नोज महाकुंभ का सबसे पवित्र स्नान स्थल माना जाता है। यह स्थान धर्मगुरुओं, संतों और विभिन्न अखाड़ों के प्रमुखों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यहाँ पर विभिन्न अनुष्ठान और धार्मिक स्नान किए जाते हैं, जिससे इसे अमृत स्नान स्थल के रूप में भी जाना जाता है।


महाकुंभ 2025 में संगम नोज पर श्रद्धालुओं का विशेष आकर्षण देखने को मिल रहा है, और प्रशासन इस पवित्र स्नान को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए विशेष इंतजाम कर रहा है।

श्राद्ध और तर्पण अनुष्ठान कैसे किए जाते हैं?

  • संगम नोज पर श्राद्ध और तर्पण करने की एक विशिष्ट विधि होती है:
  • पवित्र स्नान: व्यक्ति को पहले गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना होता है।
  • तर्पण: जल, तिल और कुशा के साथ मंत्रों का उच्चारण करते हुए पितरों को जल अर्पित किया जाता है।
  • पिंडदान: चावल, दूध, काले तिल और अन्य सामग्रियों से पिंड बनाए जाते हैं और इन्हें पितरों को अर्पित किया जाता है।
  • हवन और यज्ञ: हवन कुंड में आहुति देकर पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है।
  • दान: ब्राह्मणों और जरूरतमंद लोगों को भोजन, वस्त्र और धन का दान किया जाता है।
  • संगम नोज हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जहाँ श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए अनुष्ठान करते हैं। इसका धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व अति विशिष्ट है।
Tags:    

Similar News