Mainpuri By Election: मैनपुरी के सियासी रण में डिंपल यादव की जीत तय, मुलायम कुनबे की एकजुटता का दिखा असर
Mainpuri By Election Result: अभी तक की मतगणना में डिंपल यादव ने भाजपा प्रत्याशी रघुराज शाक्य पर 90 हजार वोटों की बढ़त बना ली है। डिंपल की इस बढ़त को निर्णायक माना जा रहा है।
Mainpuri By Election Result: मैनपुरी के सियासी रण में आखिरकार मुलायम कुनबे की एकजुटता से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी डिंपल यादव की जीत तय हो गई है। अभी तक की मतगणना में डिंपल यादव ने भाजपा प्रत्याशी रघुराज शाक्य पर 90 हजार वोटों की बढ़त बना ली है। डिंपल की इस बढ़त को निर्णायक माना जा रहा है। मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में डिंपल यादव की जीत तय होने के साथ पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव की विरासत बचाने में कामयाब रहे हैं। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद ही इस सीट पर उपचुनाव कराया गया है। इसलिए अखिलेश यादव के ऊपर इस विरासत को बचाने की बड़ी चुनौती थी जिसमें वे कामयाब साबित होते दिख रहे हैं।
मैनपुरी के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव के सामने परिवार को एकजुट रखने के साथ ही जातीय समीकरण को साधने की भी बड़ी चुनौती थी। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इन दोनों चुनौतियों का कामयाबी के साथ मुकाबला किया है। डिंपल की इस जीत तय करने में अखिलेश के साथ ही उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव की ओर से की गई मेहनत को भी बड़ा कारण माना जा रहा है।
मुलायम कुनबे के लिए प्रतिष्ठा की जंग
मुलायम कुनबे के लिए मैनपुरी का लोकसभा उपचुनाव प्रतिष्ठा की जंग बना हुआ था। 1996 में मुलायम सिंह यादव ने पहली बार इस सीट पर जीत हासिल की थी और उसके बाद लगातार सपा का ही सीट पर कब्जा बना हुआ है। मैनपुरी के लोकसभा उपचुनाव में सपा के टिकट को लेकर मुलायम कुनबे के कई नेताओं की दावेदारी थी मगर अखिलेश यादव ने अपनी पत्नी डिंपल यादव को चुनाव मैदान में उतारकर परिवार में चल रही खींचतान को पूरी तरह खत्म कर दिया था।
अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव से पहले अखिलेश यादव की तनातनी चल रही थी मगर डिंपल को चुनाव मैदान में उतारे जाने के बाद शिवपाल सिंह यादव भी उन्हें चुनाव जिताने के लिए पूरी तरह सक्रिय हो गए। अखिलेश और शिवपाल की इस एकजुटता ने बड़ा असर दिखाया और भाजपा की जोरदार कोशिशों के बावजूद सपा मैनपुरी का अपना किला बचाने में कामयाब होती दिख रही है।
सपा का गढ़ मानी जाती है मैनपुरी सीट
मैनपुरी लोकसभा सीट को समाजवादी पार्टी का गढ़ यूं ही नहीं माना जाता। यदि मैनपुरी लोकसभा सीट के सियासी इतिहास को देखा जाए तो 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना के बाद मुलायम सिंह यादव ने 1996 में पहली बार इस सीट से जीत हासिल की थी। इसके बाद वे 2004, 2009, 2014 और 2019 में भी इस लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर भी मुलायम का विजय रथ नहीं रोक सकी थी। 2019 के चुनाव में भी भाजपा ने उत्तर प्रदेश के अन्य इलाकों में अपनी सियासी ताकत दिखाई थी मगर भाजपा मुलायम की जीत का सिलसिला नहीं रोक सकी थी। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में मुलायम की जीत का मार्जिन घटकर 94,000 पर पहुंच गया था।
मुलायम सिंह के अलावा चौधरी बलराम सिंह, धर्मेंद्र यादव और तेजप्रताप यादव भी मैनपुरी लोकसभा सीट से सपा के सांसद चुने जा चुके हैं। मुलायम के निधन के बाद रिक्त हुई सीट पर अखिलेश ही नहीं पूरे यादव कुनबे की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी। डिंपल यादव की जीत तय होने के साथ आखिरकार अखिलेश यादव ने इस सीट पर अपनी ताकत दिखा दी है।
विधानसभा चुनाव में हुआ था कड़ा मुकाबला
मैनपुरी लोकसभा सीट में विधानसभा की पांच सीटें आती हैं। इनमें चार सीटें- मैनपुरी, भोगांव, किशनी और करहल मैनपुरी जिले की हैं। इसके साथ ही इटावा जिले की जसवंतनगर विधानसभा सीट भी इस लोकसभा सीट का हिस्सा है। इस साल हुए विधानसभा चुनाव में मैनपुरी जिले की दो सीटों पर जीत हासिल करके भाजपा ने अपनी ताकत दिखाई थी जबकि दो सीटों पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को जीत मिली थी।
इस बार के विधानसभा चुनाव में मैनपुरी और भोगांव सीट पर भाजपा प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। करहल सीट पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव खुद चुनाव जीते थे जबकि इटावा के जसवंतनगर विधानसभा सीट पर सपा के टिकट पर शिवपाल सिंह यादव विधायक चुने गए थे।
चुनाव जिताने में शिवपाल की बड़ी भूमिका
मैनपुरी में डिंपल की स्थिति मजबूत बनाने में शिवपाल सिंह यादव की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। डिंपल यादव को अभी तक सबसे बड़ी चुनावी लीड जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र में मिली है जिसे शिवपाल सिंह यादव का गढ़ माना जाता है। पिछले विधानसभा चुनाव में शिवपाल सिंह सपा के टिकट पर जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था। लोकसभा उपचुनाव के दौरान अपनी चुनावी सभाओं में शिवपाल ने लोगों से जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र में डिंपल को भारी जीत दिलाने की अपील की थी।
सियासी जानकारों का मानना है कि शिवपाल की अपील ने काफी असर दिखाया है। जसवंतनगर के अलावा अन्य चुनाव क्षेत्रों में भी शिवपाल ने काफी मेहनत की थी। चुनावी जंग में उतरने से पहले डिंपल अपने पति अखिलेश यादव के साथ शिवपाल सिंह यादव के घर पहुंची थीं और उनका आशीर्वाद मांगा था। अखिलेश और डिंपल के इस कदम के बाद शिवपाल सिंह यादव डिंपल को जिताने के लिए पूरी तरह सक्रिय हो गए थे। उन्होंने अखिलेश के साथ भी चुनावी सभाएं संबोधित करके परिवार की एकजुटता का नमूना पेश किया था। आखिरकार मुलायम कुनबे की एकजुटता के असर से ही मैनपुरी के सियासी रण में डिंपल की जीत तय मानी जा रही है।