Raksha Bandhan in Mathura: इको फ्रेंडली राखी बना रहे मथुरा जेल में बंद कैदी, राखियों में इस सामग्री का कर रहे प्रयोग

Raksha Bandhan in Mathura: मथुरा के कारागार में बंद कैदी इस बार ऐसी राखियां तैयार कर रहे हैं, जो रक्षाबंधन के दिन तो भाइयों की कलाई की शोभा बढ़ाएंगी और उसके बाद पर्यावरण सूत्र के रूप में नजर आएंगी ।

Report :  Nitin Gautam
Update: 2022-08-03 06:59 GMT

Mathura Jail ECO Friendly Rakhi (image news network)

Raksha Bandhan in Mathura: देश में रक्षाबंधन का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन बहने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र राखी बांधती है और भाई बहन की रक्षा का वचन बहन को देता है । लेकिन इस बार का रक्षा बंधन कान्हा की नगरी के साथ आने वाले समय में देश दुनिया के लिए विशेष होने जा रहा हे । क्योंकि मथुरा के कारागार में बंद कैदी इस बार ऐसी राखियां तैयार कर रहे हैं जो रक्षाबंधन के दिन तो भाइयों की कलाई की शोभा बढ़ाएंगी और उसके बाद पर्यावरण सूत्र के रूप में नजर आएंगी ।


तस्वीरें मथुरा के जिला कारागार की

तस्वीरें मथुरा के जिला कारागार की है जहां जेल में बंद कैदी जेलर की मौजूदगी में अपराध करने वाले हाथों से अब रक्षा सूत्र बनाने में जुटे हुए हैं । दरअसल यह सभी लोग समाज में कभी अपराध करने के बाद जेल हे। जेल में बंद इन बंदियों ने कभी सोचा भी नहीं था कि उनको राखी बनाने का मौका मिलेगा । ऐसा नहीं हे कि हिंदू कैदी ही इन राखियो को बना रहे हो जेल में बंद मुस्लिम कैदी भी. इन राखियो को बनाने में जुटे हुए है और उन्हें इस बात की खुशी है, कि कभी अपराध कर समाज में दहशत कायम करने वाले उनके हाथ अब संबंधों की रक्षा करने के रूप में इस्तेमाल होने वाली राखियो को बना रहे हैं । यह राखियां भाई बहन के बंधन को तो मजबूत करेंगी साथ ही पर्यावरण के साथ भी संबंध बनाने में सहायक होती नजर आएंगी।

जेल में बंद कैदियों की इन बातो को सुनने में भले ही यह बात अजीब सी लगे लेकिन इस बार मथुरा कारागार से पहली बार अपने आप में अनूठी और एक संदेश देने वाली राखिया बड़े स्तर पर तैयार हो रही हे। जेल अधीक्षक बृजेश कुमार ने भी इस मामले में जानकारी देते हुए बताया कि यह रखी पर्यावरण मित्र राखी के नाम से जानी जायेगी।


क्योंकि प्लास्टिक मुक्त इन राखियों पर कई तरफ के फल सब्जी आदि तरह के बीज लगे हुए हैं । इन राखियो को रक्षाबंधन के बाद जमीन में रोपित कर दिया जाएगा तो तरह तरह के फल सब्जी व छायादार वृक्ष के आने वाले समय में लोगो को मिलेंगे जो लोगो को हरियाली प्रदान करेंगे। और पर्यावरण को बेहतर बनायेंगे - मोहसिन बंदी जिला जेल

इको फ्रेंडली इन राखियों को बनाने का यह पहला अनूठा प्रयोग है और इसके पीछे का उद्देश्य पर्यावरण को बेहतर बनाने का संदेश देना है ताकि आगे आने वाले समय में इस तरह की राखियों की डिमांड बढ़ सके और लोग अधिक से अधिक पर्यावरण के प्रति जागरूक हो सकें - ब्रजेश कुमार जेल अधीक्षक


मथुरा में कैदी बना रहे इको फ्रेंडली राखी

भाई बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षा बंधन पर्व को लेकर बाजार में आकर्षक राखियां बिक रही हैं। भाई बहन के इस पर्व को खास बनाने के लिए मथुरा जिला कारागार ने अलग तरह की राखी बनाई है। जेल में निरुद्ध कैदियों द्वारा बनाई जा रही यह राखी इको फ्रेंडली यानी पर्यावरण के अनुकूल हैं।

कैदी बना रहे पर्यावरण मित्र राखी

मथुरा जेल में निरुद्ध कैदी इस बार रक्षा बंधन पर्व पर खास तरह की राखी बनाकर भाई बहन को अलग तोहफा देने की तैयारी कर रहे हैं। जेल में निरुद्ध कैदी इस बार पर्यावरण मित्र राखी बना रहे हैं। यानी जो राखी बहन अपने भाई की कलाई पर बांध कर अपनी रक्षा का वचन लेने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए भी उपयोग में आ सकें।

पौधा रोपण के काम आएगी यह राखी

जेल में बनाई जा रही राखियां हर मायने में खास हैं। इनको बनाने से लेकर उपयोग करने तक और उसके बाद भी यह राखियां किसी तरह पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे इसका खास ध्यान रखा जा रहा है। जेल में बनाई जा रही राखियां उपयोग के बाद पौधा रोपण करने में भी प्रयोग की जा सकेंगी। 


सब्जियों के बीज से बन रही राखियां

मथुरा जिला कारागार में बनाई राखियों में प्रयोग की जाने वाली सामग्री में पवित्र रक्षा सूत्र के रूप में कलावे का प्रयोग किया जा रहा है। इसके अलावा इन राखियों में पौधारोपण के लिए विभिन्न सब्जियों के बीज का प्रयोग किया जा रहा है। इन राखियों में काशीफल,भिंडी, तोरई आदि सब्जियों के बीज लगाकर इनको और आकर्षक बनाया जा रहा है। इन बीजों को राखी का प्रयोग करने के बाद लोग पौधारोपण के लिए कर सकेंगे। 

पैकिंग में भी पर्यावरण संरक्षण का ध्यान

जेल में बनाई जा रही राखियों को बनाने में ही नहीं बल्कि कैदी उनकी पैकिंग में भी पर्यावरण संरक्षण का खास ध्यान रख रहे। राखी बनाने से लेकर पैकिंग तक हर बात में पर्यावरण को नुकसान न हो इसका ध्यान रखा जा रहा है। राखी को कागज के ऊपर लगाया जाता है और उसके बाद आकर्षक कपड़े से बनी थैली में पैक किया जाता है। 

1 हफ्ते की कैदियों को दी गई ट्रेनिंग

इको फ्रेंडली राखी बनाने के लिए सामाजिक संस्था खजानी वेलफेयर सोसायटी ने पहल की। खजानी वेलफेयर सोसायटी की सचिव शिप्रा राठी के नेतृत्व में 10 कैदियों को एक हफ्ते तक राखी बनाना सिखाया गया। एक हफ्ते की ट्रेनिंग के बाद अब कैदी आकर्षक राखी बना रहे हैं। 

एक राखी पर लागत 25 रुपए की 

कैदियों द्वारा बनाई जा रही राखियों में से प्रत्येक राखी पर बनाने की लागत 20 से 25 रुपए आ रही है। इसमें कलावा, फेविकोल, बीज, कपड़ा, कागज और अन्य सामान लाया जाता है। बनने के बाद यह राखियां खजानी पॉलिटेक्निक के बाहर स्टॉल लगाकर 40 से 50 रुपए में बेची जाएंगी। इन राखियों से होने वाली आय में से एक हिस्सा उन कैदियों को दिया जाएगा जिनके द्वारा यह बनाई गई जबकि बाकी रुपए जेल में कैदियों के लिए उनके कौशल विकास को बढ़ाने में खर्च किए जायेंगे। 

 जेल में यह कैदी बना रहे राखी

मथुरा जिला कारागार के अधीक्षक ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया कि कैदियों को कौशल विकास मिशन के अंर्तगत राखी बनाना सिखाया गया। ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया कि विभिन्न मामलों में निरुद्ध बंदी सचिन,मौसिन,पंकज,चंदर,राजू, बंटी,विक्की,इंद्रजीत आदि यह राखी बना रहे हैं।

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