कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद: कोर्ट ने सभी पक्षों से मांगा जवाब, 1 जुलाई को अगली सुनवाई

Mathura Krishna Janmabhoomi Case: हिंदू पक्ष के वकील ने आगे कहा, 'ठाकुर जी की संपत्ति को देने का अधिकार किसी को नहीं है। प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के मुद्दे पर उन्होंने कहा, 'हम अवैध समझौते को चुनौती दे रहे हैं।

Report :  Nitin Gautam
Update:2022-05-26 12:52 IST

Mathura Janmabhoomi Shahi Masjid Case 

Mathura Krishna Janmabhoomi Case: मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में आज सिविल कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने सभी पक्षों को याचिका पर जल्द जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने गुरुवार को साफ किया, कि सभी पक्षों के जवाब दाखिल होने के बाद ही अब अगली सुनवाई होगी। इस मामले में सभी पक्षों को याचिका की कॉपी भेजने की बात कही गई है। इस मसले पर अब अगली सुनवाई 1 जुलाई को होगी।  श्रीकृष्ण विराजमान मामले में आज, 26 मई को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में हुई सुनवाई। जिला जज की अदालत से रिवीजन पिटीशन (Revision Petition) स्वीकार होने के बाद पहली बार हुई सुनवाई है। सुनवाई के दौरान, सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में याचिकाकर्ताओं ने रखा अपना पक्ष रखा। बता दें कि, श्रीकृष्ण जन्मभूमि के 13.37 एकड़ भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर कोर्ट में यह याचिका दायर की गई है। हरिशंकर जैन, विष्णु जैन, रंजना अग्निहोत्री सहित आठ लोगों ने याचिका दायर की है। 

'जल्द निपटे मामला, फैसला जो भी हो' 

आज सुनवाई के बाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले पर हिंदू पक्ष के वकील ने बताया कि, 'हमने कोर्ट में अपने दावे को रखा। जिस पर अदालत ने माना कि मामले की आगे सुनवाई होगी। सभी याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया गया है, कि वो तुरंत जवाब दाखिल करें। हिन्दू पक्ष के वकील ने कहा, हम चाहते हैं कि ये मुद्दा जल्द से जल्द निपट जाए। फैसला चाहे जो भी हो।'

ठाकुर जी की प्रॉपर्टी को ईदगाह को देना गलत

हिन्दू पक्ष के वकील ने कहा, 'पूरे मामले में कुल चार प्रतिवादी हैं। उन्होंने बताया कि, ठाकुर जी की प्रॉपर्टी को ईदगाह को देना गलत था। जो समझौता हुआ था वह सही नहीं था। उस परिसर में जो भी अवैध निर्माण है, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए। अगर इसमें मस्जिद भी आएगी तो उसे भी हटाया जाएगा।'

प्रॉपर्टी का ओनरशिप हमारा है

हिंदू पक्ष के वकील ने आगे कहा, 'ठाकुर जी की संपत्ति को देने का अधिकार किसी को नहीं है। प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 (Places of Worship Act 1991) के मुद्दे पर उन्होंने कहा, 'हम अवैध समझौते को चुनौती दे रहे हैं। प्रॉपर्टी का ओनरशिप (Property Ownership) हमारा है। हमने किसी मंदिर-मस्जिद या धार्मिक स्थल को चुनौती नहीं दी है।'

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