Mayawati: तेलंगाना में संविधान की प्रस्तावना से छेड़छाड़ के मुद्दे पर बवाल, मायावती – सपा आए साथ, केसीआर सरकार को घेरा

Mayawati News: तेलंगाना के शिक्षक संघ ने इस पर कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की मांग राज्य सरकार से की है। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी केसीआर सरकार पर सवाल उठाए हैं।

Update:2023-06-24 12:55 IST
Mayawati (photo: social media )

Mayawati News: तेलंगाना स्टेट एजुकेशन बोर्ड इन दिनों विवादों में है। बोर्ड के 10वीं क्लास के सामाजिक विज्ञान की किताब के कवर पर छपे संविधान के प्रस्तावना से सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) और सोशलिस्ट (समाजवाद) शब्दों को हटा दिया गया है। इसे संविधान से छेड़छाड़ बताया जा रहा है। तेलंगाना के शिक्षक संघ ने इस पर कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की मांग राज्य सरकार से की है। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी केसीआर सरकार पर सवाल उठाए हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना को लेकर किताबों में की गई ये गलती एक गंभीर किस्म की लापरवाही है, जिससे सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। उन्होंने इस मसले पर ट्वीट कर लिखा, तेलंगाना में क्लास 10 के सोशल साइन्स की किताबों की कवर पर छपे संविधान के प्रस्तावना में छेड़छाड़ व उससे ’सेक्युलर’, ’सोशलिस्ट’ शब्द का गायब होना सरकार की निष्ठा व कार्यकलाप पर सवाल खड़े करता है। ऐसी लापरवाही गंभीर मामला। सरकार ध्यान दे। पवित्र संविधान के प्रति कर्तव्यनिष्ठा जरूरी।

शिवपाल यादव भी उठा चुके हैं मसला

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक दूसरे की कट्टर सियासी विरोधी माने जाने वाली बसपा और सपा इस मुद्दे पर एकसाथ नजर आ रही है। बीएसपी सुप्रीमो मायावती से पहले सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव भी इस मसले को उठा चुके हैं। उन्होंने शुक्रवार को तेलंगाना सरकार का नाम ने लेते हुए कहा था कि कुछ राज्यों की पाठ्यपुस्तकों में संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद शब्द का उल्लेख नहीं होना दुखद है। संविधान और संवैधानिक संशोधनों का सम्मान किया जाना चाहिए। सपा नेता ने तो इस संबंध में केंद्र सरकार से सर्कुलर जारी करने की मांग भी कर दी।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग, तेलंगाना (SCERT) द्वारा कक्षा 10वीं के लिए प्रकाशित सामाजिक विज्ञान की किताब के कवर पेज पर संविधान की प्रस्तावना भी छापी गई है। लेकिन इसमें दो अहम शब्द सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) और सोशलिस्ट (समाजवाद) गायब हैं। हैरान कर देने वाली बात ये है कि इस पर किसी अधिकारी का ध्यान नहीं गया। किताबें स्कूलों में बंट गई। जब टीचर्स ने इसे देखा तो वे दंग रह गए। इसके बाद राज्य में शिक्षकों के संगठन तेलंगाना राज्य यूनाइटेड टीचर्स फेडरेशन (TSUTF) ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाय़ा और सरकार से मामले की जांच कर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की। फेडरेशन ने साथ ही नई पुस्तकें छपवाने की भी मांग की है।

स्टेट शिक्षा बोर्ड ने क्या दी सफाई ?

इस लापरवाही को लेकर तेलंगाना का स्टेट शिक्षा बोर्ड निशाने पर है। विपक्षी दल समेत अन्य सामाजिक संगठन बोर्ड की तीखी आलोचना कर रहे हैं। अब SCERT ने इस पर अपनी सफाई पेश की है। बोर्ड की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ये गलती केवल कवर पेज पर हुई है, किताब के अंदर पूरी सही जानकारी दी गई है। ऐसी पांच लाख किताबें छप गई हैं, ऐसे में इस गलती को सुधारना अब मुश्किल हो गया है। हालांकि, वेबसाइट पर उपलब्ध सॉफ्ट कॉपी में इस गलती को सुधारने का काम शुरू कर दिया गया है। स्टेट बोर्ड ने भरोसा दिया है कि अगले साल प्रिंट होने वाली किताबों में इस गलती को सुधार लिया जाएगा।

संविधान में कब इन दो शब्दों को डाला गया ?

भारत के संविधान की प्रस्तावना में शुरू से सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) और सोशलिस्ट (समाजवाद) जैसे शब्द नहीं थे। 18 दिसंबर 1976 को 42वें संवैधानिक संशोधन के द्वारा इन दो शब्दों को संविधान में डाला गया था। इसी संशोधन के बाद से सामाजिक विज्ञान की किताबों में सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्दों के साथ वर्तमान संविधान की प्रस्तावना प्रिंट की जाती है।

यूपी में सावरकर को लेकर बवाल

तेलंगाना की तरह उत्तर प्रदेश का शिक्षा बोर्ड भी इन दिनों विपक्ष के निशाने पर है। दरअसल, योगी सरकार ने एक दिन पहले कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं तक के पाठ्यक्रम में 50 महापुरूषों की जीवनगाथा शामिल करने का निर्णय लिया। इसमें स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर ‘वीर सावरकर ‘ भी शामिल हैं। सावरकर से जुड़े अध्याय शामिल करने को लेकर सपा और कांग्रेस योगी सरकार पर हमलावर है। सपा ने कहा कि वीर सावरकर का इतिहास बच्चों को पढ़ाना हजारों क्रांतिकारियों का अपमान है।

बता दें कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार भी सत्ता में आते ही सिलेबस से सावरकर और संघ के संस्थापक केबी हेडगेवार से जुड़े अध्यायों को हटा चुकी है।

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