Meerapur by-election: रालोद के सामने ताकत दिखाने की चुनौती,कई मुस्लिम प्रत्याशियों के लड़ने से पार्टी को फायदा

Meerapur by-election: इस विधानसभा क्षेत्र में सभी प्रमुख दलों ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं और चुनाव प्रचार काफी तेजी पकड़ चुका है। कई ताकतवर मुस्लिम प्रत्याशियों के चुनाव लड़ जाने से रालोद को फायदा होता दिख रहा है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-11-11 10:53 IST

RLD Meerapur by-election  (PHOTO: SOCIAL MEDIA)

Meerapur by-election: उत्तर प्रदेश में नौ सीटों पर हो रहे उपचुनाव में मीरापुर अकेली ऐसी सीट है जो भाजपा ने अपने सहयोगी दल रालोद को दी है। 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान रालोद को सपा के साथ गठबंधन का बड़ा फायदा मिला था और पार्टी ने जीत हासिल की थी।

इस बार क्षेत्र के सियासी समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं क्योंकि रालोद अब भाजपा के साथ गठबंधन में सियासी जंग में उतरा है। इस विधानसभा क्षेत्र में सभी प्रमुख दलों ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं और चुनाव प्रचार काफी तेजी पकड़ चुका है। कई ताकतवर मुस्लिम प्रत्याशियों के चुनाव लड़ जाने से रालोद को फायदा होता दिख रहा है।

चार प्रमुख दलों ने उतारे मुस्लिम प्रत्याशी

सपा ने इस सीट पर पूर्व सांसद कादिर राणा की बहू सुम्बुल राणा को टिकट दिया है तो रालोद ने अभी तक भाजपा में रहने वाली मिथलेश पाल को चुनाव मैदान में उतार दिया है। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने शाह नजर को टिकट देकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने भी सियासी जंग में मुस्लिम प्रत्याशी जाहिद हुसैन को उतारा है। एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने इस उपचुनाव में अरशद राणा को चुनाव मैदान में उतार दिया है।

अरशद राणा पूर्व में कांग्रेस में रहे हैं मगर उपचुनाव लड़ने के लिए उन्होंने ओवैसी की पार्टी का दामन थाम लिया है। इस क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है मगर चार प्रमुख दलों से मुस्लिम प्रत्याशियों के उतर जाने से रालोद प्रत्याशी को इसका फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

मीरापुर विधानसभा सीट का जातीय समीकरण

मीरापुर विधानसभा सीट के जातीय समीकरण को देखा जाए तो मुस्लिम मतदाता यहां महत्वपूर्ण स्थिति में है। इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या एक लाख से अधिक है। दूसरे नंबर पर दलित बिरादरी है जिनके करीब 50 हजार वोट हैं। जाट भी यहां मजबूत स्थिति में हैं और जाट बिरादरी के मतदाताओं की संख्या करीब 40 हजार है। इसी प्रकार गुर्जर भी यहां काफी संख्या में हैं। इनके अलावा प्रजापति, सैनी,पाल और अन्य पिछड़ी जातियों के मतदाता भी यहां महत्वपूर्ण साबित होते हैं।

2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान इस क्षेत्र में जाट-मुस्लिम कांबिनेशन ने असर दिखाया था। इसी कारण 2017 में चौथे नंबर पर रहने वाले रालोद के प्रत्याशी को 2022 में जीत हासिल हुई थी। हालांकि काबिले गौर बात यह भी है कि 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान रालोद का समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन था।

2022 के चुनाव में रालोद को मिली थी जीत

2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान इस विधानसभा क्षेत्र से रालोद के प्रत्याशी चंदन सिंह चौहान ने जीत हासिल की थी। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी प्रशांत चौधरी को 27,380 वोटों से हराया था। इसके बाद हाल में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान चंदन सिंह ने रालोद के टिकट पर बिजनौर लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी। बाद में उन्होंने विधानसभा के सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और इसी कारण इस सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है। 20 नवंबर को होने वाले मतदान के लिए सभी प्रत्याशी जोर-शोर से प्रचार में जुटे हुए हैं।

मिथलेश पाल ने इस सीट पर जीता था उपचुनाव

मीरापुर विधानसभा सीट को पहले मोरना विधानसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था मगर 2012 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट मीरापुर के नाम से जानी जाने लगी। परिसीमन के बाद अब मोरना क्षेत्र मीरापुर विधानसभा का हिस्सा है। मोरना विधानसभा क्षेत्र से रालोद की टिकट पर एक बार कादिर राणा भी विधायक रह चुके हैं। बाद में उन्होंने रालोद से इस्तीफा देकर बसपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।

बसपा के टिकट पर उन्होंने मुजफ्फरनगर से लोकसभा का चुनाव जीता था। कादिर राणा के सांसद बनने के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराया गया था जिसमें रालोद के टिकट पर मिथलेश पाल ने जीत हासिल की थी। अब मिथलेश पाल एक बार फिर रालोद के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी है।

तीन चुनावों में अलग-अलग दलों को मिली जीत

परिसीमन के बाद बनी मीरापुर विधानसभा सीट पर 2012 के चुनाव में बसपा के मौलाना जमील विधायक बने थे। इसके बाद 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर अवतार सिंह भड़ाना ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था और रालोद के टिकट पर चंदन सिंह चौहान विजयी हुए थे।

मुस्लिम वोटों के बिखराव से रालोद को फायदा

इस बार के विधानसभा चुनाव में रालोद का भाजपा के साथ गठबंधन है। इसलिए सियासी समीकरण बदले हुए नजर आ रहे हैं। इसके साथ ही चार प्रमुख मुस्लिम उम्मीदवारों के चुनाव मैदान में उतर जाने के कारण भी रालोद प्रत्याशी मिथलेश पाल को फायदा मिलता दिख रहा है। हालांकि सपा प्रत्याशी सुम्बल राणा मुस्लिम वोटों का बिखराव रोकने की कोशिश में जुटी हुई हैं।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि उन्हें इस काम में कितनी कामयाबी मिल पाती है क्योंकि बाकी तीन मुस्लिम प्रत्याशियों ने भी पूरी ताकत लगा रखी है। ऐसे में मुस्लिम वोटों का बिखराव रोकना मुश्किल माना जा रहा है। अब यह देखने वाली बात होगी कि मुस्लिम वोटों में बिखराव का मिथलेश पाल को कितना फायदा मिल पाता है।

Tags:    

Similar News