Meerut News: मेरठ के लोगों का अपने ही शहर से हवाई यात्रा करने का सपना कब साकार होगा?
Meerut News: सालों से उडऩे का सपना संजोए बैठे मेरठ के लोंगो को सरकार की तरफ से बार-बार कहा जा रहा है कि मेरठ की जनता को हवाई यात्रा सुलभ होगी। अजीत सिंह के नागरिक उड्डयन मंत्री बनने के बाद लोगों को हवाई अड्डा बनने की उम्मीद जगी थी।
Meerut News: सालों से उड़ने का सपना संजोए बैठे मेरठ के लोंगो को सरकार की तरफ से बार-बार कहा जा रहा है कि मेरठ की जनता को हवाई यात्रा सुलभ होगी। सत्ता पक्ष से जुड़े जनप्रतिनिधियों का भी इस मामले में बार-बार यही कहना होता है कि मेरठ से हवाई उड़ान की घोषणा तो पहले ही हो चुकी है। अब आगे की कार्रवाई प्रक्रिया में है। लेकिन, मेरठ का हवाई अड्डा आज भी हवा में ही है। अजीत सिंह के नागरिक उड्डयन मंत्री बनने के बाद लोगों को हवाई अड्डा बनने की उम्मीद जगी थी।
उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) ने लगातार इसे अपने लगातार इसे अपने मुद्दे के तौर प्रचारित भी किया। माना जा रहा है कि इस पूरे मामले में बस यही फांस है। दरअसल, प्रदेश में पहले सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी और अब भाजपा नही चाहती है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में इसका रालोद कोई राजनीतिक लाभ हासिल करें और इसी कारण मामला लटका हुआ है। यही वजह है कि उड़ान योजना में मेरठ से छोटे शहरों से भी जहाज उडऩे लगे, लेकिन यहां योजना पर मंथन ही चल रहा है। पिछले दिनों प्रदेश सरकार के बजट में भी मेरठ से हवाई उड़ान की घोषणा नही की गई। राजनीतिक विश्लेषक हालांकि, यह भी मानते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा की यह रणनीति कहीं मेरठ और आसपास के जिलों में उस पर भारी न पड़ जाए। आखिर,मेरठ में हवाई अड्डे के निर्माण में दिक्कत क्या है पूछने पर कभी इंटरनल रेट आफ रिटर्न का रोना तो कभी अधिग्रहण का।
अधिकारी नहीं भेजते सही रिपोर्ट
कभी जीएमआर के अनुबंध का जिक्र तो कभी कुछ और कुल मिलाकर मेरठ को उड़ान न देने के अब तक सौ बहाने तो गिना दिए गए, लेकिन इन्हीं कसौटियों पर बरेली, हिंडन और जेवर जैसे शहरों को तोहफा दिया गया। राज्यसभा सदस्य लक्ष्मीकांत वाजपेयी की मानें तो अगले कुछ माह में 70 सीटर हवाई अड्डा आरंभ हो जाएगा। संबंधित विभाग के मंत्रियों से बातचीत हो गई है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अधिकारी सही रिपोर्ट नहीं भेजते हैं, जिसके कारण अनुमति मिलने में समस्या होती है। राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेयी के अनुसार अभी तक अधिकारी हवाई अड्डे में 270 सीटर प्लेन की लैंडिंग और टेकऑफ की मांग कर रहे थे, जो संभव नहीं है। उन्होंने 70 सीटर प्लेन की मांग ही नहीं रखी। इस मांग को मजबूती से उठाया गया है।
मेरठ का होगा आर्थिक विकास
बता दें कि मेरठ के परतापुर में 1992 में मुख्यमंत्री मायावती द्वारा डा. भीमराव आंबेडकर हवाई पट्टी की नींव रखी गई थी। 2012 में नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह द्वारा मेरठ में हवाई अड्डे की घोषणा की गई। तब उन्होंने कहा था। कि मेरठ हवाई पट्टी पर वह हैदराबाद व तमिलनाडु के होसुर की तरह 600 करोड़ की लागत से विमान रखरखाव, मरम्मत एवं ओवर हाल (एमआरओ) सेवा शुरू कराने के इच्छुक हैं, ताकि देश-विदेश से विमान यहां ठीक होने के लिए आएं। पूर्व में ऐसा ही एक प्रोजेक्ट महाराष्ट्र के हिस्से में जा चुका है। यदि यह प्रोजेक्ट मेरठ में लांच हुआ तो निश्चित रूप से यहां का जबरदस्त आर्थिक विकास होगा। 2014 : हवाई अड्डे के लिए 47 एकड़ की हवाई पट्टी 4 जुलाई को एएआइ को सौंपी गई।
13 दिसंबर 2014 में तय हुआ कि किसानों से 5800 के रेट पर जमीन खरीदी जाएगी। अप्रैल, 2015 में लखनऊ में हुई बैठक में घाटे का सौदा बताकर एएआइ ने फिलहाल प्रोजेक्ट होल्ड करने की बात कही। 2017 में उड़ान की संभावना तलाशने और डीपीआर के लिए मार्च में केरल की किटको कंपनी को जिम्मा सौंपा गया। 2018 में योगी सरकार ने मेरठ हवाई अड्डे का मास्टर प्लान मांगा। 2019 में उड़ान योजना में मेरठ शामिल हुआ। जिसके बाद जूम एयरलाइंस को मेरठ से उड़ान की जिम्मेदारी सौंपी गई।