Meerut Nagar Nigam Ward No.13: मेरठ वार्ड-13 पार्षद अजय, मुझे झूठ-फरेब और बिना वजह के प्रवचन नहीं आते, मैं तो सीधे-सच्चे रूप में काम करता हूं
Meerut Nagar Nigam Ward No.13: मेरठ नगर निगम वार्ड-13 पार्षद अजय ने कहा कि मुझे झूठ-फरेब और बिना वजह के प्रवचन नहीं आते,मैं तो सीधे-सच्चे रूप में काम करता हूं।
Meerut Nagar Nigam Ward No.13: करीब 40 वर्षीय अजय भारती मेरठ नगर निगम के वार्ड 13 जय भीम नगर से पार्षद हैं। जूनियर हाईस्कूल पास अजय अनुसूचित जाति से हैं। इस वार्ड की आबादी करीब 40 हजार है। पहली बार बीजेपी के टिकट पर पार्षद बने अजय भारती अपना रोल मॉडल उर्जा राज्य मंत्री सोमेन्द्र तोमर को मानते हैं। अजय का कहना है कि पार्षदी में करियर बनाने के लिए उन्हें सोमेन्द्र तोमर भैया ने प्रेरित किया है। आज वह जो कुछ भी हैं, सोमेन्द्र तोमर की वजह से ही हैं। न्यूजट्रैक संवाददाता से बातचीत की शुरुआत में अजय कहते है, "मुझे झूठ-फरेब और बिना वजह के प्रवचन नहीं आते,मैं तो सीधे-सच्चे रूप में काम करता हूं।" अजय की मानें तो वो करीब साढ़े चार करोड़ रुपये के विकास कार्य अपने क्षेत्र में अब तक करा चुके हैं।
वार्ड की प्रमुख समस्याओं के बावत पूछे जाने पर अजय कहते हैं,- "मेरे वार्ड में अनेक ऐसी समस्याएं हैं, जिनका समाधान नगर निगम के अधीन आता है।मुझे इस बात का संतोष है कि मैने अपने पांच साल के कार्यकाल में क्षेत्र की कई समस्याओं का जैसे नाले का निर्माण,काली नदी के पास सड़कों पर लाइटों का बंदोबस्त कराना, गलियों आदि की मरम्मत कराना जैसी समस्याओं का समाधान कराने में कामयाबी हासिल की है।" अजय आगे कहते हैं,मेरे वार्ड की सबसे बड़ी समस्या पीने के पानी की थी। हालत यह थी कि वार्ड में मात्र एक ही पानी की टंकी थी। कई मोहल्लों में पानी तक नही पहुंच पाता था। सरकारी जमीन ना होने की वजह से इस समस्या का समाधान बहुत मुश्किल था। लेकिन मैने उत्तरखंड सोसायटी के लोंगो के हाथ-जोड़ कर किसी तरह जमीन का जुगाड़ किया। सोसायटी ने पार्क के कोने की करीब दो सौ गज जमीन नगर निगम को दे दी,जिसके बाद मैने वहां ट्यूबवैल का निर्माण कराया। जिसके बाद अब क्षेत्र में पीने की पानी की समस्या नही रही है।
अजय के अनुसार उनके वार्ड में दूसरी बड़ी समस्या रास्तों की है। बकौल अजय, "मेरे क्षेत्र में जयभीम नगर नगर की 16 मलिन बस्तियों में से एक है। यहां बिल्डरों ने आवासीय प्लाट तो काट दिए। लेकिन उनमें रास्ते नही दिए। ऐसे में क्षेत्र की कालोनियों में रास्तों की बहुत बड़ी दिक्कत है। ऐसे रास्तों की संख्या बहुत अधिक होने के कारण उनको बनवाने के लिए बड़ा बजट चाहिए,जो कि मेरे काफी प्रयासों के बाद भी अब तक संभव नही हो पाया है।"
एक पार्षद के रुप में क्या आपके सामने कभी कोई ऐसा मामला है जिसे हल करना मुश्किल था ? संवाददाता के इस सवाल पर निराशा के भाव में अजय कहते हैं, ऐसा मामला श्मशान घाट का है। वे कहते हैं,मेरे क्षेत्र में श्मशान घाट की बहुत बड़ी दिक्कत है। खासकर कोरोना काल में तो शमशान घाट ना होने की समस्या के कारण क्षेत्रीय लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। आपको पता ही है कि कोरोना काल में क्षेत्र के गिने-चुने शमशान घाटों की क्या हालत थी। दाह संस्कार के लिए जगह तक नही मिल पा रही थी। लेकिन क्षेत्र में कोई सरकारी जमीन नही होने के वजह से शमशान घाट का निर्माण कहाँ पर कराया जाए यह अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है। बकौल अजय,-पानी की संमस्या का समाधान तो मैने किसी तरह निजी सोसायटी के लोंगो से जमीन लेकर कर उस पर ट्यूबवैल का निर्माण करा के करा लिया। लेकिन मुश्किल यह है कि शमशान घाट के लिए कोई जमीन देना नही चाहता है। फिर बस्ती के बीच में भला कौन शमशान घाट बनवाने के लिए राजी होगा।