Meerut: योगी सरकार का असर, सोतीगंज के कबाड़ी अब शुरू कर रहे हैं मिठाई, जूते-चप्पल और कपड़े का कारोबार
मेरठ के सोतीगंज के कबाड़ी करोड़ों में खेला करते थे। योगी सरकार ने इस बदनाम बाजार में ताला ना जड़ा होता तो इस धंधे में लगे लोगों की संपत्ति अभी भी दिन-रात चौगुनी रफ्तार से भी बढ़ रही होती।;
सोतीगंज कबाड़ बाजार। (Social Media)
Meerut: गंदा है पर धंधा है की तर्ज पर कबाड़ी पेशे में उतरे लोग देखते ही देखते मामूली आदमी से कैसे करोड़पति बने। इसकी एक बानगी हैं मेरठ के सोतीगंज के कबाड़ी। वैसे, आमतौर पर कबाड़ी का जिक्र आने पर हमारी नजरों के सामने फटेहाल किसी गरीब व्यक्ति का चेहरा उभर कर सामने आता है। लेकिन, सोतीगंज के कबाड़ियों के ठाठबाट ठीक उलट थे। यहां के कबाड़ी करोड़ों में खेला करते थे।
योगी सरकार (Yogi Government) ने इस बदनाम बाजार में ताला ना जड़ा होता तो इस धंधे में लगे लोगों की संपत्ति अभी भी दिन-रात चौगुनी रफ्तार से भी बढ़ रही होती। इस धंधे में लोगों ने किस तरह अंधांधुंध दौलत कमाई। इसकी पुष्टि मेरठ पुलिस (Meerut Police) की ताजा रिपोर्ट करती है, जिसके अनुसार सोतीगंज के कबाड़ियों (Sotiganj junkyards) की अब तक करीब एक अरब रुपए की चल-अंचल संपत्ति जब्त की जा चुकी है। अकेले हाजी गल्ला की ही 35 करोड़ की कोठियां-गोदाम एवं अन्य संपत्ति कुर्क की गई है।
साल 1995 में दिल्ली रोड पर हाजी गल्ला ने खोली थी मोटर मैकेनिक की दुकान
यहां बता दें कि हाजी गल्ला ने साल 1995 में दिल्ली रोड पर मोटर मैकेनिक की दुकान खोली थी। कबाड़ का कारोबार उसे पसंद आया तो उसने इधर भी हाथ आजमाया। बस यहीं उसकी गाड़ी चल निकली। देखते-देखते वह सोतीगंज का बादशाह बन गया। हाजी गल्ला (Haji Galla) ने सोतीगंज और सदर बाजार इलाके में 2 आलीशान मकान खड़े कर लिए। हाजी गल्ला ने कोठी बनवाई, कई प्लॉट खरीदे, इनकी ऊंची बाउंड्री बनवाई और उसी में तैयार कराए अपने गोदाम. इन्हीं गोदामों में चलता था गाड़ियों का पुर्जा पुर्जा उखाड़ने का खेल।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके हैं सोतीगंज का जिक्र
आन डिमांड गाड़ी चोरी के लिए कुख्यात सोतीगंज का जिक्र चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) तक कई बार कर चुके हैं। फिलहाल, सोतीगंज तो अपनी जगह कायम है लेकिन,क्षेत्र के कबाड़ियों के धन्धे बदल चुके हैं। मसलन,कबाड़ी अब सोतीगंज में मिठाई, जूते-चप्पल और कपड़े आदि का कारोबार शुरु करेंगे। कुछ ने तो शुरु कर भी दिया है। वैसे जानकारों की मानें तो सोतीगंज बाजार में करीब पचास-साठ दशक साल पहले कोयला, रद्दी और पशुओं का चारा बिकता था।
सोतीगंज में करीब 800 दुकानें और 80 गोदाम सक्रिय
कबाड़ बाजार की शुरुआत के बारे में जानकारी देते हुए स्थानीय एक दुकानदार बताते हैं कि सबसे पहले चार दुकानें खुली थीं। उसके बाद 1982 से घरों के अंदर तक दुकानें और गोदाम खुलते चले गए। वैसे, सरकारी सूत्रों के मुताबिक यहां कबाड़ की खरीद-बिक्री के लिए 48 दुकानें पंजीकृत थीं। इससे उलट इन दिनों सोतीगंज में करीब 800 दुकानें और 80 गोदाम सक्रिय थे। इनके अलावा चोरी के वाहनों को यहां लाने वाले 300 से ज्यादा कथित कांट्रेक्टर सक्रिय हैं। इनका काम उप्र, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश के साथ नेपाल आदि से चोरी की गाडिय़ों के लिए संपर्क कर उन्हें यहां मंगवाना है। इसके बाद मिनटों में दुकानों व गोदामों में इन वाहनों का कटान होता रहा।
इस बाजार की खासियत यह थी कि यहां गाड़ियों का पुर्जा ऐसी महीन कारीगरी के साथ अलग किया जाता था कि हर निगाह धोखा खा जाए। चोरी का वाहन जब इस 'कसाईखाने' में कटने के लिए आते हैं तो कारीगर उसके परखच्चे उड़ा देते थे। इस बाजार को चोरी की गाड़ियों और स्पेयर पार्टस का अड्डा कहा जाता था। गाड़ी कोई भी हो, यहां आपको उसका हर पार्ट मिल ही जाता था।
सोतीगंज बाजार को 12 दिसंबर को किया बंद
पूर्व में कभी भी इस गड़बड़झाले को रोकने के उपाय नहीं किए गए। हालांकि प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद पुलिस की सख्त कार्यशैली के चलते जहां कबाडिय़ों की संपत्तियों को लगातार जब्त किया गया। वहीं पूरे सोतीगंज बाजार को 12 दिसंबर को बंद करा दिया गया। पुलिस की सख्ती के बाद ही अब कबाड़ी अपने धंधे को बदल चुके हैं या फिर बंद कर घर बैठ कर योगी सरकार की जाने की दुआएं करने में लगे हैं।