Meerut: गन्ने के मूल्य का भुगतान करने के प्रावधानों के बावजूद चीनी मिले नही कर रही भुगतान

Meerut: किसानों द्वारा गन्ने की आपूर्ति के 14 दिनों के भीतर गन्ने के मूल्य का भुगतान करने के प्रावधानों के बावजूद प्रदेश में चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों का भुगतान नही किया जा रहा है।

Report :  Sushil Kumar
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2022-03-29 08:20 GMT

गन्ने (फोटो-सोशल मीडिया)

Meerut: उत्तर प्रदेश में तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद किसानों को समय पर गन्ना मूल्य भुगतान नहीं हो पा रहा है। आलम यह है कि किसानों द्वारा गन्ने की आपूर्ति के 14 दिनों के भीतर गन्ने के मूल्य का भुगतान करने के प्रावधानों के बावजूद प्रदेश में चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों का भुगतान नही किया जा रहा है। गन्ना बैल्ट के मेरठ क्षेत्र की ही बात करें तो कोई भी चीनी मिल 14 दिनों में भुगतान नही कर रही हैं। नतीजन,क्षेत्र की सभी छह मिलों पर 567 करोड़ा बकाया है।

बता दें कि पिछले दिनों संसद की एक समिति भी किसानों का भुगतान नही होने पर नाराजगी जता चुकी है। खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण संबंधी स्थायी समिति ने संसद में कहा कि किसानों द्वारा गन्ने की आपूर्ति के 14 दिनों के भीतर गन्ने के मूल्य का भुगतान करने के प्रावधानों के बावजूद यह शायद ही कभी किया जाता है।

समिति ने किसानों की गन्ना आपूर्ति का बकाया अब भी 16,612 करोड़ रूपये होने पर हैरानी व्यक्त करते हुए कहा है कि सरकार बकाया राशि का तत्काल भुगतान सुनिश्चित करने के लिए चीनी मिलों पर दबाव डालकर उचित उपाय करे तथा बंद एवं रूग्ण चीनी मिलों के पुनरूद्धार के लिये नीति बनाए।

उत्तर प्रदेश में हालांकि चुनाव के मौके पर किसानों के गन्ना भुगतान में तेजी जरुर आई है। मेरठ में तो इस दौरान चीनी मिलों द्वारा 64.26 फीसदी भुगतान किया है। हालांकि 567 करोड़ रुपये मेरठ की छह चीनी मिलों पर अभी भी बकाया है।

गन्ना विभाग की रिपोर्ट के अनुसार मेरठ में फरवरी तक जिले की छह चीनी मिलों ने 1584 करोड़ के मुकाबले 1017.83 करोड़ का ही भुगतान किया था। इस तरह करीब 567 करोड़ का बकाया था। अब यह बकाया 600 करोड़ से अधिक का हो गया है। जिले में भुगतान के मामले में सबसे खराब स्थिति किनौनी चीनी मिल की है, जिसने 373 करोड़ में से 18.67 करोड़ का ही भुगतान किया है।

गन्ना विभाग की फरवरी माह तक की रिपोर्ट के अनुसार मेरठ जिले में कुल छह चीनी मिलों पर 1584 करोड़ की कुल देयता थी। इन मिलों ने 1017.83 करोड़ का ही भुगतान किया, जो 64.26 प्रतिशत है। भुगतान के मामले में मवाना और दौराला मिल की स्थिति बेहतर है, जहां 85 से 88 प्रतिशत तक भुगतान किया गया है। हालांकि नंगलामल मिल ने 90 प्रतिशत से अधिक का भुगतान कर दिया है।

सबसे खराब स्थिति किनौनी मिल की है, जहां पांच प्रतिशत ही भुगतान किया गया है। मोहिउद्दीनपुर मिल ने 41.9 और सकौती चीनी मिल ने 78 .11 प्रतिशत का भुगतान किया है। हालांकि अधिकारियों की ओर से लगातार शत-प्रतिशत भुगतान का निर्देश दिया गया है।

रालोद के निवर्तमान क्षेत्रीय अध्यक्ष चौधरी यशवीर सिंह कहते हैं, गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 के प्रावधान के अनुसार 15 प्रतिशत की दर से ब्याज सहित गन्ना मूल्य बकाया के भुगतान के लिए चीनी मिलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

उनका यह भी कहना है कि समय पर गन्ना बकाया का भुगतान न करना हतोत्साहित करने वाला हो सकता है जो किसानों को गन्ना उगाने से रोक सकता है और उन्हें अन्य फसलों को उगाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

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