Meerut News : सैकड़ों बरस की यादों को संजोए हैं ये हरित धरोहरें, पेड़ों को संरक्षित करने की मुहिम में जुटा मेरठ वन विभाग
Meerut News: डीएफओ के अनुसार इस सूची में शहरी क्षेत्र के दो वट वृक्ष भी शामिल हैं। जिसमें से एक मेरठ कालेज और दूसरा गांधी बाग में है।
Meerut News : पश्चिम उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक महाभारत कालीन धरती मेरठ में वन विभाग द्वारा 10 ऐसे पेड़ों का चयन किया गया है,जिनको उत्तर प्रदेश शासन द्वारा विरासत का दर्जा दिया जा रहा है। वन विभाग की इस अनोखी मुहिम की जानकारी देते हुए वन विभाग डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि महाभारतकालीन और अन्य ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व के स्थलों के 100 वर्ष से पुराने पेड़ों को संरक्षित करने की बड़ी कार्ययोजना पर लगातार काम चल रहा है।
इस वट वृक्ष के नीचे ही महात्मा गांधी ने आजादी के संघर्ष के दौरान की थी बैठक
इसके तहत मेरठ जनपद के 10 पेड़ों को विरासत सूची में शामिल किया गया है। डीएफओ के अनुसार इस सूची में शहरी क्षेत्र के दो वट वृक्ष भी शामिल हैं। जिसमें से एक मेरठ कालेज और दूसरा गांधी बाग में है। बता दें कि मेरठ कॉलेज में स्थित वट वृक्ष के नीचे ही महात्मा गांधी ने आजादी के संघर्ष के दौरान बैठक की थी। 1920 में पहली बार वह मेरठ आए तो उन्होंने मेरठ कॉलेज में वट वृक्ष के नीचे ही यज्ञ में शामिल होकर आहुति दी थी। गांधी बाग स्थित शिव मंदिर के प्राचीन वट वृक्ष की शाखाओं से पूरा मंदिर ढका हुआ है। इस वट वृक्ष की भी परिक्रमा करना शुभ माना जाता है। यह वृक्ष 1857 की क्रांति और अंग्रेजों के जुल्मों का साक्षी है।
परीक्षितगढ़ में 150 से 200 वर्ष पुराने वृक्ष
हस्तिनापुर पांडेश्वर महादेव मंदिर जो कि प्राचीन मंदिरों में से एक है, वहां बरगद के पेड़ को पांडवों ने बोया था। इस पेड़ के तने की गोलाई 6.8 सेमी है। जिसकी उम्र 130 साल तक होने का अनुमान है। परीक्षितगढ़ के बढ़ला में भी 150 से 200 वर्ष पुराने वट वृक्ष हैं। इस वृक्ष के तने की गोलाई 480 सेमी है। इसके अलावा यहां के दो अन्य प्राचीन बरगद के वृक्षों को विरासत में शामिल किया गया है। वैज्ञानिक शोधों के मुताबिक बरगद, पीपल, पाकड़, गूलर व कदंब जैसे पेड़ों से ज्यादा मात्र में ऑक्सीजन निकलती है। ये पेड़ वातावरण की कार्बन डाई आक्साइड को सोखकर भोजन बनाते हैं।