Meerut News: बिजली चोरों की अब खैर नहीं, आसमान में ड्रोन के जरिए पकड़े जाएंगे कटियाबाज

Meerut News: पुलिस की टीम के साथ बिजली विभाग के कर्मचारियों ने ड्रोन उड़ाकर बिजली चोरों के खिलाफ 15 दिसम्बर के बाद से कार्रवाई शुरु करने का निर्णय लिया है।

Report :  Sushil Kumar
Update:2023-11-28 14:48 IST

मेरठ में ड्रोन के जरिए पकड़े जायेंगे बिजली चोर (न्यूजट्रैक)

Meerut News: मेरठ समेत पश्चिमांचल के 14 जनपदों में कटियाबाज डाल-डाल हैं, तो बिजली विभाग के कर्मचारी पात-पात हैं। इसका ताजा उदाहरण पश्चिमांचल पावर कारपोरेशन द्वारा बिजली चोरी करने वाले कटियाबाजों को रंगे हाथों पकड़ने के लिए ड्रोन की मदद लिया जाना है।

दरअसल, मेरठ हो या कोई और जिला या प्रदेश, कटियाबाज हर जगह हैं। बिजली विभाग के छापे से पहले कटिया हटाकर ईमानदार बन जाते हैं। बिजली चोरों को रंगेहाथ पकड़ने के लिए पहले भी कई बार अभियान चलाया जा चुका है। फिर भी जब काम नहीं बना, तो अब पुलिस की टीम के साथ बिजली विभाग के कर्मचारियों ने ड्रोन उड़ाकर बिजली चोरों के खिलाफ 15 दिसम्बर के बाद से कार्रवाई शुरु करने का निर्णय लिया है। जिससे आरोपी के पास बचने की गुंजाइश न रहे। कटियाबाजी एक कला है, जिसमें कटियाबाज को पता रहता है कि किस फेज में तार जोड़कर अपने घर बिजली चुराकर लगानी है।

विशेष अभियान चलाकर कटियाबाजों पर कसेगा शिकंजा

पश्चिमांचल पावर कारपोरेशन के अधीक्षण अभियंता राजेन्द्र बहादुर ने पश्चिमांचल पावर कारपोरेशन द्वारा शुरु किये जाने वाले अभियान की जानकारी देते हुए बताया कि विभाग द्वारा सर्वाधिक बिजली चोरी एवं लाइन लास वाले इलाकों को चिह्नित करने के बाद 15 दिसम्बर से ड्रोन के जरिये विशेष अभियान चला कर कटियाबाजों को पकड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि आमतौर पर कटियाबाजों द्वारा कोई न कोई बहाना बना कर बिजली कर्मचारियों को घर में घुसने नहीं दिया जाता है। लेकिन अब विभागीय अफसर पुलिस के साथ घर में जाकर पहले कटियाबाजों को कैमरे से उसकी करतूत आएगी फिर आगे की कार्रवाई करेगी।

गौरतलब है कि मेरठ से पहले लखनऊ,वाराणसी,कानपुर में बिजली विभाग द्वारा बिजली चोरो को पकड़ने के लिए ड्रोन कैमरों का प्रयोग किया जा चुका है। बिजली चोरी एवं लाइन लास वाले इलाकों को कैसे चिह्नित किया जा रहा है इसकी जानकारी देते हुए विभागीय अफसरों ने बताया कि सब स्टेशन पर मीटर लगे हैं। मान लीजिए कि वहां से एक्स यूनिट बिजली भेजी गई और बिलिंग वाई यूनिट की हुई, तो दोनों को घटाने पर जो अंतर आ रहा है, वही बिजली की चोरी है।

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