Meerut News: मेरठ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बिजली चोरी पर कशा शिकंजा, एमआरआई तकनीक से होगी बिजली चोरो की निगरानी

Meerut News: मेरठ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 14 जिलों में बिजली चोरी रोकने एवं मीटर रीडर पर नजर रखने के लिए योगी सरकार ने नया कानून लागू किया है, जिसके बाद 5 किलोवाट से 9 किलोवाट तक के बिजली उपभोक्ताओं के कनेक्शन पर लगे मीटरों की एमआरआई (मीटर रीडिंग इंस्ट्रूमेंट) से रीडिंग ली जाएगी।

Report :  Sushil Kumar
Update:2024-02-04 22:52 IST

मेरठ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बिजली चोरी पर एमआरआई तकनीक से होगी निगरानी: Photo- Social Media

Meerut News: मेरठ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 14 जिलों में बिजली चोरी रोकने एवं मीटर रीडर पर नजर रखने के लिए योगी सरकार ने नया कानून लागू किया है, जिसके बाद 5 किलोवाट से 9 किलोवाट तक के बिजली उपभोक्ताओं के कनेक्शन पर लगे मीटरों की एमआरआई (मीटर रीडिंग इंस्ट्रूमेंट) से रीडिंग ली जाएगी। पश्चिमांचल के एमडी चैत्रा वी. ने इस तंत्र को शुरू करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए अलग-अलग कंपनियों को जिम्मेदारी दी गई है। मेरठ की जिम्मेदारी साईं कंप्यूटर्स को दी गई है।

दस किलोवाट से अधिक बिजली कनेक्शन वाले मीटरों के एमआरआई से बिजली बिल बनाए जा रहे थे, अब पांच किलोवाट से नौ किलोवाट तक के सभी श्रेणी के बिजली उपभोक्ताओं के कनेक्शन पर लगे मीटरों की एमआरआई के जरिए बिलिंग होगी। इसके न सिर्फ बिजली चोरी रुकेगी, बल्कि मीटर रीडरों पर भी नजर रहेगी। मीटर में हुई छेड़छाड़ का पता भी आसानी से चल जाएगा। एमडी चैत्रा वी. के निर्देशों के बाद पश्चिमांचल के सभी 14 जिलों में पावर कारपोरेशन अधिकारियों ने एमआरआई की तैयारी करा ली गई है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार एमआरआई को मीटर के सामने रखते ही इसमें लगा कैमरा ऑन हो जाता है, जो मीटर का फोटो खींचकर पूरा डेटा स्कैन कर लेता है। इससे मीटर में की गई गड़बड़ी का तुरंत पता लग जाता है।

अब हेरा-फेरी नहीं चलेगी 

मेरठ शहर अधीक्षण अभियंता राजेंद्र बहादुर ने बताया कि मेरठ शहर में पांच से नौ किलोवाट तक के सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं के बिजली मीटर का एमआरई शुरू करा दी। मीटर में गड़बड़ी, बाईपास कर बिजली चलाने, शंट, मीटर के आउट रहने की जानकारी मिल जाएगी। मीटर रीडर जो रीडिंग छोड़ देते थे, डिमांड कम भर देते थे अब वह नहीं चलेगा। एमआईआई से पूरा डाटा और प्रत्येक जानकारी सामने आ जाएगी।

विभागीय सूत्रों के अनुसार बार-बार असेसमेंट को लेकर हो रहे उपभोक्ताओं व बिजली विभाग में विवाद व बिजली उपभोग का सही निर्धारण नहीं होने के कारण एमआरआइ की जरूरत पड़ी है। दूसरी इसकी बड़ी वजह यह है कि मीटर के एमआरआइ हो जाने से उपभोक्ता की सही बिलिंग होने लगेगी वहीं वितरण एवं परीक्षण खंडों से इन उपभोक्ताओं की मानीटरिंग भी होने लगेगी।

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