Lok Sabha Elections 2024: हाथी बिगाड़ेगा कमल का खेल! जानें जातिगत समीकरण

Lok Sabha Elections 2024: मेरठ सीट पर कुल 22 प्रत्याशियों ने 30 नामांकन फार्म जमा कराए थे जिनमें से 13 पर्चे नामाकंन प्रक्रिया में जांच के बाद निरस्त कर दिए गए।

Report :  Sushil Kumar
Update: 2024-04-06 08:59 GMT

लोकसभा चुनाव 2024ः हाथी बिगाड़ेगा कमल का खेल (न्यूजट्रैक)

Lok Sabha Elections 2024: जिले में लोकसभा चुनाव का मुकबला बहुत दिलचस्प रहने वाला है। भारतीय जनता पार्टी को अपनी सीट बचाये रखने की चुनौती है तो सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा को भी अपनी साख बचानी है। इसलिए पार्टियों ने जातिगत हिसाब से छांटकर प्रत्याशी उतारे हैं। मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट पर भाजपा, सपा व बसपा समेत कुल नौ दावेदार चुनावी मैदान में जरुर हैं लेकिन फिलहाल मुख्य मुकाबला यहां भाजपा और सपा के बीच ही दिख रहा है। बता दें कि मेरठ में द्वितीय चरण में चुनाव होना है। इस सीट पर कुल 22 प्रत्याशियों ने 30 नामांकन फार्म जमा कराए थे जिनमें से 13 पर्चे नामाकंन प्रक्रिया में जांच के बाद निरस्त कर दिए गए।

प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवारों की बात करें भाजपा से अरुण चंद्रप्रकाश गोविल, सपा से सुनीता वर्मा और बसपा से देवव्रत कुमार त्यागी चुनावी मैदान में हैं। सपा ने दलित जाति की सुनीता वर्मा और बीएसपी ने मेरठ सीट पर बीजेपी के कोर वोट बैंक वाला उम्मीदवार खड़ा कर बीजेपी के लिए चुनौती बढ़ा दी है। अगर ये कैंडिडेट अपनी जाति के वोट लेने में सफल होते हैं, तब बीजेपी के लिए खतरा साबित हो सकता है। इससे साफ है कि मेरठ में जातिगत समीकरण ही चुनाव के परिणाम तय करेंगे।

बीएसपी की बात करें तो उसने पहली बार मेरठ में किसी त्यागी को मैदान में उतारा है। वरना वह मुस्लिम को टिकट देती थी। जिसका लाभ भाजपा को मिलता था। लेकिन इस बार देवव्रत त्यागी यहां बीएसपी के कैंडिडेट हैं। यहां पर त्यागी समाज को बीजेपी का कोर वोट माना जाता है। उधर, सपा ने दलित सुनीता वर्मा पर भरोसा जताया है। ऐसे में अब बीजेपी को परेशानी हो सकती है। गौरतलब है कि मेरठ के चुनाव परिणाम मुस्लिम और दलित मतदाताओं पर निर्भर करते हैं। भाजपा से वैश्य उम्मीदवार रामायण में राम का किरदार निभाने वाले कलाकार अरुण गोविल को टिकट दिया है।

ध्रुवीकरण के प्रयास में सभी दल

सभी राजनीतिक दल ध्रुवीकरण के प्रयास में हैं। अरुण गोविल वैश्य, ब्राह्मण, ठाकुर, यागी, गुर्जर, अतिपिछड़ों आदि के सहारे चुनावी मैदान में हैं। तो सुनीता वर्मा मुस्लिम तथा अनुसूचित जाति के सहारे मैदान मारने की फिराक में हैं। उधर, बसपा के देवव्रत कुमार त्यागी की भी त्यागी, अनुसूचित जाति, अति पिछड़ों, मुस्लिमों आदि पर नजर है। सभी जातियों पर प्रत्याशियों के अपने-अपने दावे हैं। अब किसके दावे सही निकलेंगे। इसके लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा।

Tags:    

Similar News