लखनऊ: यूपी के कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी आदि शहरों में मेट्रो रेल की स्थापना अब मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव हो गई है। लखनऊ मेट्रो के संपूर्ण विस्तार पर भी संकट के बादल छा गए हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने केंद्र सरकार द्वारा घोषित 'नई मेट्रो रेल नीति' को जनविरोधी बताते हुए एक बयान जारी कर यह बात कही है।
उन्होंने कहा कि परिवहन व्यवस्था में सुधार के लिए ही मेट्रो रेल परियोजना दिल्ली में सन 2002 से शुरू की गई थी, इसमें केंद्र सरकार आर्थिक सहयोग करती थी। पर मोदी सरकार ने जनहित के इस काम से मुंह मोड़कर अपने आपको इससे अलग करने का फैसला किया है।
मोदी सरकार की नई मेट्रो नीति इस क्षेत्र में भी सरकारी जिम्मेदारी से हाथ खींचकर जो नई नीति तैयार की है, उसमें बडे़-बडे़ पूंजीपतियों व धन्नासेठों की भागीदारी को लाजिमी बना दिया गया है। इससे मेट्रो के विस्तार रूक जाने की आशंका है क्योंकि निजी क्षेत्र की कम्पनियां कम आमदनी वाली परियोजनाओं में निवेश नहीं करती हैं। इससे मेट्रो का विस्तार भी आगे संकट में पड़ गया है।
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-राज्यों का शहरी परिवहन विकास बुरी तरह से प्रभावित होगा।
-केंद्र सरकार कल्याणकारी सरकार होने की तमाम जिम्मेदारियों से भागती चली जा रही है।
-बीजेपी सरकार 'मनरेगा योजना' के तहत केंद्रीय अंशदान में जबर्दस्त कटौती करती जा रही है।
-केंद्रीय उपकर आदि लगाकर राज्यों को कंगाल बनाने का काम करती जा रही है।
-ताकि हर योजना में प्रधानमंत्री का नाम जुड़ा हो।
-हर तरफ विज्ञापनों में केवल उनकी ही वाहवाही होती रहे।
-केवल एक लाख तक की ही फसल ऋण माफी 'हर कदम किसानों के साथ विश्वासघात'
-शीर्ष नेताओं की चुनावी घोषणाओं व 'लोक कल्याण संकल्प पत्र' का उपहास है।
-यह वायदों से मुकरना है, यह बीजेपी सरकार की एक और जबर्दस्त चुनावी वादाखिलाफी है।