BHU में मिडनाइट बवाल के पीछे कौन?, रोकने में क्यों बार-बार नाकाम हो रहा है प्रशासन

Update: 2018-09-25 06:27 GMT

आशुतोष सिंह

वाराणसी: देश के शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों में शुमार बीएचयू अब बवालियों का नया अड्डा बन गया है। पिछले एक महीने के अंदर छात्र की शक्ल में आए बवालियों ने तीसरी बड़ी घटना को अंजाम दिया। कैंपस में पत्थर बरसाए तो वाहनों को आग के हवाले कर दिया। पूरी रात कैंपस में बवालियों का साम्राज्य चलता रहा। मेडिकल के छात्र हॉस्टल के अंदर दुबके थे तो बाहर बवालियों का तांडव जारी था। अब सवाल ये है कि बीएचयू प्रशासन इन बवालियों पर लगाम लगाने में क्यों बार-बार फेल हो जा रही है ? सुरक्षा के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी कैंपस की सुरक्षा राम भरोसे क्यों है ? पिछले एक साल से बवाल दर बवाल होते जा रहे हैं और विश्वविद्यालय प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है ?

BHU में मिडनाइट बवाल के पीछे कौन?, रोकने में क्यों बार-बार नाकाम हो रहा है प्रशासन

बिरला हॉस्टल को बंद करने की मांग

कैंपस में होने वाली घटनाओं पर नजर डाले तो लगभग सभी प्रमुख घटनाओं में बिरला हॉस्टल के छात्रों का नाम सामने आ रहा है। बिरला ए, बी और सी छात्रावास में आर्ट्स के छात्र रहते हैं। मारपीट और तोड़फोड़ की घटनाएं इन्हीं हॉस्टलों में रहने वाले छात्रों द्वारा अंजाम दिया जा रहा है। बीएचयू प्रशासन भी इस बात को बखूबी जानता है लेकिन पिछले एक साल में कोई हल नहीं निकल पाया। ना तो यहां पर खुफिया तंत्र मजबूत हो पाया और ना ही प्रॉक्टोरियल बोर्ड। सूत्रों के मुताबिक हॉस्टल के अंदर छात्र आसानी से पेट्रोल बम बना रहे हैं। हॉकी, रॉड और असलहों का जखीरा यहां हमेशा मौजूद रहता है। जुलाई महीने में बिरला हॉस्टल के कुछ छात्रों के खिलाफ कार्रवाई जरुर हुई लेकिन हाल की घटनाओं को देखते हुए वो नाकाफी साबित हो रही है। विश्वविद्यालय के एक छात्रों का गुट बिरला हॉस्टल को बंद करने की मांग कर रहा है।

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महिला चीफ प्रॉक्टर की कार्यशैली पर उठ रहे हैं सवाल

कैंपस में बवाल के पीछे दूसरी बड़ी वजह है यहां के प्रोफेसरों और अधिकारियों में खींचतान। बताया जा रहा है कि पिछले साल सितंबर में हुई घटना के बाद विश्वविद्याल में वीसी के साथ चीफ प्रॉक्टर बदल दिए गए। लेकिन ये दोनों ही अधिकारी कैंपस के एक गुट को रास नहीं आ रहे हैं। खासतौर से महिला चीफ प्रॉक्टर रोयना सिंह की कार्यशैली से प्रोफेसरों का एक बड़ा वर्ग नाराज है। हाल के दिनों में हुई घटनाओं को रोकने में प्रॉक्टोरियल बोर्ड पूरी तरह नाकाम रहा। चाहे 12 सितंबर को अय्यर हॉस्टल के छात्रों की पिटाई हो या फिर 23 सितंबर को एबीवीपी छात्रों द्वारा एमएमवी की छात्राओं से बदसलूकी का मामला।

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हर बार प्रॉक्टोरियल बोर्ड नाकाम साबित हुआ। सोमवार की रात भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। रुईया हॉस्टल के पीड़ित छात्रों का आरोप है कि बवाली छात्र हॉस्टल में घुसकर मारपीट और आगजनी कर रहे थे। बवालियों से बचने के लिए पीड़ित छात्रों ने कई बार रोयना सिंह को फोन किया लेकिन उन्होंने कोई रिस्पांस नहीं दिया। छात्रों की सुरक्षा करने के बजाय रोयना सिंह अपने मातहतों के साथ बैठक में मशगूल थीं।

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