मुरादाबाद : देश के एक भाग से दूसरे भाग तक कम समय में दूध पहुंचाने की योजना के मद्देनजर इंडियन कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) ने आधुनिक मिल्क वैन बनाई है। इसके तहत रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) की टीम ने बरेली से दलपतपुर के बीच नई 'मिल्क वैन' का ट्रायल शुरू किया है। यह ट्रायल 29 अगस्त तक चलेगा।
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अब तक कैसे कम करता था 'मिल्क वैन'
-वर्तमान में दूध लेकर जाने वाली वैन को मालगाड़ी का दर्जा प्राप्त है।
-इसकी अधिकतम गति 75 किमी प्रतिघंटा होती है।
-रफ्तार कम होने से दूध देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक पहुंचने में कई दिन लग जाते हैं।
-समय अधिक लगने से दूध खराब होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
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इस वैन में क्या है खास ?
-मंत्रालय के मुताबिक इस एक वैन में 44,666 लीटर दूध ले जाने की क्षमता है।
-शुक्रवार के ट्रायल में इस वैन को 70 किमी प्रतिघंटा की गति से चलाया गया।
-वहीं आने वाले दिनों में इसकी रफ्तार को बढाकर 120 किमी प्रतिघंटा तक किया जाना है।
-इस बारे में अपर मंडल रेल प्रबंधक संजीव मिश्र ने बताया कि नए मिल्क टैंक वैन का आरडीएसओ ने ट्रायल शुरू कर दिया है।
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रेल मंत्रालय ने की पहल
-अब रेल मंत्रालय ने शाम के दूध को सुबह तक पहुंचाने की योजना बनाई है।
-इसलिए अब दूध वाली वैन का मालगाड़ी का दर्जा खत्म कर उसे राजधानी का दर्जा देने की योजना बनाई है।
-इंडियन रेलवे कोच फैक्ट्री ने इसका नाम 'मिल्क टैंक वैन वीवीएच-1' रखा है।
-इसकी गति 115 से 150 किमी प्रतिघंटा होगी।