Milkipur By-election: पासी vs पासी, कौन है चंद्रभान पासवान? जिन पर बीजेपी ने जताया भरोसा

Milkipur By-election: अयोध्या की मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा ने अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। भाजपा ने चंद्रभान पासवान को अपना प्रत्याशी चुना है, जिनका सीधा मुकाबला सपा के अजीत प्रसाद से होगा।;

Written By :  Shivam Srivastava
Update:2025-01-14 15:21 IST

BJP fields Chandrabhan Paswan for Milkipur bypoll (Photo: Social Media)

Milkipur By-election: अयोध्या की मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा ने अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। भाजपा ने चंद्रभान पासवान को अपना प्रत्याशी चुना है, जिनका सीधा मुकाबला सपा के अजीत प्रसाद से होगा। दिलचस्प बात यह है कि चंद्रभान पासवान और सपा सांसद अवधेश प्रसाद दोनों पासी समाज से हैं। वहीं, सपा ने अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को मैदान में उतारा है, जिन्हें कांग्रेस का समर्थन भी प्राप्त है।

कौन हैं चंद्रभान पासवान?

चंद्रभान पासवान रुदौली से दो बार जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं, और वर्तमान में उनकी पत्नी भी जिला पंचायत सदस्य हैं। उनका परिवार व्यापार से जुड़ा हुआ है, खासकर साड़ी के व्यापार में वे सक्रिय हैं। पिछले दो वर्षों से वह मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं और एक युवा नेता के रूप में उनकी क्षेत्र में मजबूत पहचान बन चुकी है।चंद्रभान पासवान को रुदौली के बीजेपी विधायक रामचंद्र यादव और फैजाबाद के पूर्व सांसद लल्लू सिंह का करीबी माना जाता है। इन नेताओं के साथ उनके रिश्तों का फायदा उन्हें मिल्कीपुर सीट से उम्मीदवार बनाए जाने में मिला है।

पासी बनाम पासी की लड़ाई

मिल्कीपुर विधानसभा में पासी वोटर्स की संख्या काफी ज्यादा है, इसी को ध्यान में रखते हुए सपा ने पासी समाज से जुड़े अजीत प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है, जबकि बीजेपी ने चंद्रभान पासवान को चुना है। अब यह माना जा रहा है कि मिल्कीपुर में पासी वोट बैंक का रुख तय करेगा कि कौन जीतेगा। यहां ब्राह्मण-यादव के बाद लगभग 55 हजार पासी वोटर्स हैं, जिनका समर्थन हासिल करने के लिए बीजेपी ने पासी समाज पर दांव खेला है। इस प्रकार, मिल्कीपुर का चुनाव पासी बनाम पासी होगा, और पासी वोटर जिस पार्टी को समर्थन देगा, वही जीत पाएगी।

मिल्कीपुर विधानसभा में लगभग 3,40,820 मतदाता हैं, जिनमें 1,82,430 पुरुष और 1,58,381 महिला मतदाता शामिल हैं। जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पासी, यादव और ब्राह्मण मतदाता महत्वपूर्ण हैं। जानकारी के अनुसार, सबसे अधिक 65,000 यादव मतदाता, 60,000 पासी, 50,000 ब्राह्मण, 35,000 मुस्लिम, 25,000 ठाकुर, 50,000 दलित, 8,000 मौर्य, 1,500 चौरसिया, 8,000 पाल और 12,000 वैश्य मतदाता हैं। इसके अलावा 30,000 अन्य जातियों के मतदाता भी हैं। जानकारों के अनुसार, समाजवादी पार्टी यादव, मुस्लिम और पासी समीकरण पर जीत की उम्मीद करती है, जबकि भाजपा सवर्ण, वैश्य और दलित वोटों पर निर्भर रहती है। 2017 में भाजपा को अन्य जातियों का समर्थन मिला था, जिससे भाजपा के बाबा गोरखनाथ ने चुनाव जीता था।

मिल्कीपुर का इतिहास

मिल्कीपुर विधानसभा सीट 1967 में अस्तित्व में आई थी। अब तक कांग्रेस, जनसंघ, सीपीआई, भाजपा, बसपा और सपा ने यहां जीत दर्ज की है। सपा ने यहां सबसे अधिक 4 बार जीत हासिल की है, जबकि लेफ्ट ने भी 4 बार यहां चुनाव जीते। 2008 में परिसीमन के बाद यह सीट एससी के लिए रिजर्व हो गई। सपा के अवधेश प्रसाद ने 2012 में इस सीट से जीत हासिल की थी, लेकिन 2017 में हार गए। 2022 में उन्होंने दोबारा जीत हासिल की। लोकसभा 2024 के परिणामों ने भाजपा को चिंता में डाल दिया, क्योंकि सपा को मिल्कीपुर में 8,000 वोटों की बढ़त मिली थी। इसके अलावा, मिल्कीपुर के उपचुनावों में सपा की लगातार जीत रही है, और अब भाजपा यहां अपनी हार का बदला लेना चाहेगी।

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