मेरठ: एमएलसी चुनाव का चढ़ा पारा, शर्मा गुट का पूरी तरह कब्जा

शिक्षक और स्नातक कोटे के एमएलसी चुनाव में अब तक ओम प्रकाश शर्मा गुट पूरी तरह हावी रहा है, लेकिन इस बार के चुनाव में भाजपा ने शर्मा गुट के सियासी वर्चस्व तोड़ने के लिए शिक्षक कोटे की सीटों पर पहली बार अपने उम्मीदवार उतारे हैं।

Update:2020-11-28 19:26 IST
मेरठ: एमएलसी चुनाव का चढ़ा पारा, शर्मा गुट का पूरी तरह कब्जा

सुशील कुमार

मेरठ: एमएलसी चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में इन दिनों राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। उत्तर प्रदेश के छह शिक्षक और पांच स्नातक कोटे की एमएलसी सीट के लिए नामांकन की तारीख खत्म होने के बाद मैदान में भाजपा, सपा, कांग्रेस और शिक्षक संघों के अलावा निर्दलीय समेत कुल 199 उम्‍मीदवार मैदान में हैं।

एमएलसी चुनाव में ओम प्रकाश शर्मा गुट पूरी तरह हावी

शिक्षक और स्नातक कोटे के एमएलसी चुनाव में अब तक ओम प्रकाश शर्मा गुट पूरी तरह हावी रहा है, लेकिन इस बार के चुनाव में भाजपा ने शर्मा गुट के सियासी वर्चस्व तोड़ने के लिए शिक्षक कोटे की सीटों पर पहली बार अपने उम्मीदवार उतारे हैं। प्रदेश की 11 सीटों में से दो पर भाजपा, दो पर सपा, चार पर शर्मा गुट और तीन पर निर्दलीय का कब्जा है। प्रदेश के शिक्षक और स्नातक की 11 एमएलसी सीटों पर चुनाव पहले अप्रैल में प्रस्तावित था लेकिन लॉकडाउन के चलते चुनाव नहीं हो पाया। भाजपा ने प्रदेश में पंचायत से लेकर लोकसभा तक हर चुनाव लड़ने का एलान कर रखा था।

मेरठ क्षेत्र पर शर्मा गुट का कब्जा

मेरठ की बात करें तो शिक्षक कोटे से मेरठ क्षेत्र पर ओम प्रकाश शर्मा का कब्जा है। शर्मा पिछले आठ बार से लगातार एमएलसी निर्वाचित होते आ रहे हैं और नवीं बार फिर से मैदान में उतरे हैं। वहीं, मेरठ की स्नातक सीट से भी उनके ही गुट के हेम सिंह पुंडीर लगातार चार बार से एमएलसी चुने गए है और एक बार फिर मैदान में चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं। इस तरह से ब्राह्मण और ठाकुर समीकरण के सहारे ओम प्रकाश शर्मा गुट का शिक्षक और स्नातक कोटे की एमएलसी सीटों पर एकछत्र राज है।

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भाजपा से स्नातक कोटे की सीट के लिए मेरठ से दिनेश गोयल और शिक्षक कोटे के लिए मेरठ से श्रीचंद्र शर्मा प्रत्याशी हैं। पार्टी ने ताबड़तोड़ बैठकों से चुनावी माहौल भले ही बना लिया हो, लेकिन जमीन पर पार्टी उतनी मजबूती हासिल नहीं कर पाई है। यह हाल तब है जब प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह पदाधिकारियों को संबोधित करके गए हैं। प्रदेश इकाई ने मेरठ-सहारनपुर निर्वाचन क्षेत्र के नौ जिलों में 44 विधानसभा सीटों में से 36 विधायकों और आठ सांसदों को भी होमवर्क दे दिया है। अपने क्षेत्रों में पार्टी प्रत्याशियों के प्रदर्शन के आधार पर विधायकों की परख होगी। वर्तमान कई विधायक 2022 विधानसभा चुनावों में टिकट की रेस से बाहर होंगे, ऐसे में उन पर दोहरा दबाव है।

समन्वय की कमी

बताया जाता है कि विधायकों का जिला इकाई से समन्वय नहीं बन पा रहा है। गत दिनों क्षेत्रीय कार्यालय पर बैठक हुई तो चार विधायकों ने साफ कर दिया कि संगठन से उनका कोई संवाद नहीं है। प्रदेश इकाई ने साख बचाने के लिए विधायकों को उनके क्षेत्रों में पार्टी की जीत का जिम्मा दे दिया है, ऐसे में संगठन से टकराव भी बढ़ा है। विधायकों की नजर 2022 के चुनाव पर हैं, ऐसे में वो अपनी साख बचाने के लिए लगे हैं। भाजपा के जिला संयोजक एडवोकेट विनय शर्मा कहते हैं कि प्रदेश इकाई के मार्गदर्शन में पार्टी ने बूथ मैनेजमेंट का प्रभावी प्रयोग किया है। इससे जीत सुनिश्चित है।

साख बचाने की चुनौती

दूसरी तरफ विधान परिषद में दबदबा बनाए रखने वाले शिक्षक संघों खासकर शर्मा गुट के लिए साख बचाने की चुनौती है। इस बार शर्मा गुट को अन्य शिक्षक संगठनों से तगड़ी टक्कर मिलने के साथ राजनीतिक दलों द्वारा की जा रही घेराबंदी से भी जूझना पड़ रहा है। अब तक कभी नहीं हारने वाले शर्मा गुट के प्रमुख ओमप्रकाश शर्मा को मेरठ में अपनी सीट बचाए रखने के लिए जूझना पड़ रहा है। यहाँ 48 साल से उनका कब्जा है। इस बार शिक्षक सीट पर उनके सामने उमेश त्यागी, रजनीश चौहान और स्वराज पाल दूहण मैदान में हैं तो राजनीतिक दलों में भाजपा के शिरीष चंद शर्मा और सपा के धर्मेंद्र यादव उम्मीदवार हैं।

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वहीं, स्नातक सीट पर शिक्षक संगठनों से हेम सिंह पुंडीर, सुशील सिंह, हरकेश सिंह के अलावा भाजपा के दिनेश गोयल, कांग्रेस के जेके गौड़ और सपा के शमशाद मलिक आमने-सामने हैं। शर्मा गुट व्यक्तिगत संबंधों को अपनी मजबूती मानकर चल रहा है। 87 साल के बुजुर्ग उम्मीदवार ओमप्रकाश शर्मा कहते हैं कि शिक्षक समुदाय की सेवा करने के लिए मैं लगातार संघर्ष करता रहा हूं और जब तक जिंदा हूं करता रहूंगा। जोश के आगे उम्र कतई बाधा नहीं बनेगी।

शर्मा गुट शिक्षक महासंघ से समर्थन मिलने का दावा कर रहा है। यह गुट पुरानी पेंशन स्कीम बंद होने, शिक्षा मित्रों को डिमोट करने, आठ प्रकार के भत्तों को खत्म करने और सरकारी कालेजों के निजीकरण को लेकर भाजपा को घेर रहा है। विधान परिषद में दबदबा बनाए रखने वाले शिक्षक संघों खासकर शर्मा गुट के लिए साख बचाने की चुनौती है। इस बार शर्मा गुट को अन्य शिक्षक संगठनों से तगड़ी टक्कर मिलने के साथ राजनीतिक दलों द्वारा की जा रही घेराबंदी से भी जूझना है।

सपा और कांग्रेस भी मैदान में

एमएलसी के चुनावी मैदान में सपा और कांग्रेस भी ताल ठोंक रहे हैं। सपा की तरफ से स्नातक कोटे में मेरठ से शमशाद अली मैदान में हैं। वहीं, शिक्षक कोटे की सीट के लिए मेरठ से धर्मेंद्र कुमार चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं। कांग्रेस की तरफ से मेरठ स्नातक क्षेत्र से जितेन्द्र कुमार गौड़ हैं। सपा यहाँ आपसी गुटबाजी से जूझ रही है। आपसी कलह का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन पांच जगह मनाया गया। आपसी कलह के चलते धरना-प्रदर्शनों में भी यही स्थिति रहती है। ऐसे में पार्टी की आपसी गुटबाजी एमएलसी चुनाव में भारी पड़ सकती है।

शिक्षक सीट पर करीब 36 हजार, जबकि स्नातक सीट पर तीन लाख वोटों में से जीत-हार तय होगी। मेरठ में शिक्षक खंड के करीब साढ़े तीन हजार, जबकि स्नातक खंड के 38682 वोट हैं। शिक्षक और स्नातक सीट से एमएलसी चुनाव इस बार बिना नोटा के होगा। चुनाव आयोग ने इस बार नोटा के प्रावधान को हटा दिया है। 2014 के चुनाव में नोटा का प्रावधान था। अब नामांकन वापसी के बाद बैलेट पेपर छपने के लिए भेज दिया गया है। उसमें नोटा का प्रावधान नहीं है।

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कुल 45 प्रत्याशी

मेरठ खंड शिक्षक और स्नातक सीट से एमएलसी चुनाव में इस बार कुल 45 प्रत्याशी मैदान में हैं। यदि नोटा होता तो बैलेट पेपर में दो कॉलम और बढ़ाने होते, लेकिन चुनाव आयोग के आदेश के तहत इस शिक्षक सीट के बैलेट पेपर में 15 प्रत्याशियों के हिसाब से 15 कॉलम ही होंगे। वहीं स्नातक सीट पर 30 प्रत्याशियों के हिसाब से 30 कॉलम की ही व्यवस्था है। प्रात्याशियों के नाम के आगे मतदाताओं को 1,2, 3, 4 के हिसाब से वोट देना है। नोटा का कोई कॉलम चुनाव ने एमएलसी चुनाव में नहीं रखा है। इसे अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है।

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