Moradabad News: संतोष की अर्थी को मुस्लिम समुदाय के युवकों ने दिया कंधा, पेश की भाई चारे की मिसाल
Moradabad News:संतोष नामक बुजुर्ग का कोई अपना नहीं था, वह अकेला रहता था। मुस्लिम समुदाय ने इंसानियत की एक ऐसी मिसाल पेश की है जोकि पूरे मुरादाबाद जिले मे चर्चा का विषय बनी हुई है।;
संतोष की अर्थी को मुस्लिम समुदाय के युवकों ने दिया कंधा (photo: social media )
Moradabad News: मुरादाबाद के कुंदरकी में भाई चारे की मिसाल सामने आई हे। यहाँ कुंदरकी कस्बे में हिंदू समुदाय के संतोष की अर्थी सजा कर मुस्लिम समुदाय के युवक अब्दुल ने मोक्ष धाम ले जाकर पूरी रस्मो रिवाज से अंतिम संस्कार किया। संतोष नामक बुजुर्ग का कोई अपना नहीं था, वह अकेला रहता था। मुस्लिम समुदाय ने इंसानियत की एक ऐसी मिसाल पेश की है जोकि पूरे मुरादाबाद जिले मे चर्चा का विषय बनी हुई है।
पूरा मामला ये है
मुरादाबाद के कुंदरकी एक हिंदू बुजुर्ग की बीमारी के कारण मौत हो गई। बुजुर्ग संतोष का कोई रिश्तेदार भी आस पास नहीं था। तब मुस्लिम युवाओं ने आगे आकर उसका अंतिम संस्कार पूरे हिंदू रीति-रिवाज से संपन्न कराया। मुस्लिम युवक अब्दुल के इस कार्य ने समाज में एकता भाईचारे और इंसानियत का संदेश दिया है। साथ ही साथ उन फ़िरका परस्त लोगों को जवाब देते हुए एकता का संदेश भी दिया। कुंदरकी की ये घटना उन लोगों के लिए एक ऐसी मिसाल बन गई जो हर बात में हिंदू-मुस्लिम करके समाज में जाति और मजहब का जहर घोलने का काम करते हैं।
राजस्थान के रहने वाले थे संतोष
मूलरूप से राजस्थान का रहने वाला संतोष पिछले एक दशक से मुरादाबाद के कुंदरकी कस्बे में रह रहा था। वह मजदूरी करके अपना पालन पोषण कर रहा था। बुधवार को बीमारी के चलते संतोष की मौत हो गई। अब चूंकि संतोष का यहां कोई अपना नहीं था तो कस्बे में रहने वाले मुस्लिम परिवारों ने संतोष का अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया।
पहले तो बाजार से अंतिम संस्कार का सामान खरीद कर लाए, फिर अपने हाथों से अर्थी बनाई मुस्लिम युवकों ने अपने कंधों पर संतोष की अर्थी रखी और मोक्षधाम पहुंचकर उसका हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कहा कि जैसे ही हमें इस घटना की सूचना मिली हमने पुलिस को सूचना दी। थाना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर कागजी कार्यवाही की और संतोष के अंतिम संस्कार को लेकर क्षेत्र लोगों से राय मशवरा किया। ओर थाना कुंदरकी पुलिस ने मुस्लिम समाज के लोगों को अंतिम संस्कार करने की जिम्मेदारी सौंपी। जिसका निर्वहन मुस्लिम युवकों ने किया ।
चंदा लगाकर अंतिम संस्कार
क्षेत्र में रहने वाले मुस्लिम भाइयों ने चंदा लगाकर अंतिम संस्कार के लिए सामान खरीदा। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कहा कि यह काम सिर्फ इंसानियत के लिए किया है, हम लोगों ने किसी भी मजहब के लिए नहीं पहले इंसानियत के लिए यह काम किया है। हमारा संदेश भी यही है कि सब लोग आपस में मोहब्बत रखें। कोई हिंदू-मुसलमान नहीं है, इंसान की जिंदगी में सबसे अहम चीज इंसानियत है यही हम लोग चाहते हैं। लोग जागरूक हो सकें, हिंदू-मुसलमान एक-दूसरे को जागरूक करें। हम लोग भाई-भाई हैं। कभी भी कोई भी राजनीति हिंदू-मुसलमान के नाम पर नहीं होनी चाहिए।