Moradabad News: NCC का संग्राम 1857 साइक्लोथॉन का मुरादाबाद जिले मे भव्य स्वागत

Moradabad News: 5 छात्राओं सहित यह दल प्रदेश में 1857 की कांति के प्रमुख स्थान पर श्रद्धाजलि अर्पित कर नगर वासियों को इस ऐतिहासिक घटना की पूरी जानकारी देगें।

Report :  Sudhir Goyal
Update:2025-01-02 07:49 IST

एनसीसी का संग्राम 1857 साइक्लोथॉन का मुरादाबाद जिले मे भव्य स्वागत   (PHOTO: social media ) 

Moradabad News: उत्तर प्रदेश एनसीसी के 15 सदस्य साइक्लोथोन दल का मुरादाबाद शहर आगमन पर भव्य स्वागत किया गया। 01 जनवरी को मेरठ से 2025 किमी० की साइकिल यात्रा पर निकले 15 सदस्य दल का Shri Aunjaneya kumar Singh, IAS Divisional Commissioner, मुरादाबाद ने कम्पनी बाग के प्रांगण में झण्डी दिखाकर स्वागत किया। 5 छात्राओं सहित यह दल प्रदेश में 1857 की कांति के प्रमुख स्थान पर श्रद्धाजलि अर्पित कर नगर वासियों को इस ऐतिहासिक घटना की पूरी जानकारी देगें और युवा पीढ़ी को अपने पूर्वजो के बलिदानो की याद दिलाते हुए खुद को सशक्त भारत बनाने के लिए प्रतिबद्ध करेगा।

2. रोजाना औसतन 113 किमी की 18 दिवसीय यात्रा के अन्त में इस दल को माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गणतन्त्रता दिवस समारोह की श्रृंखला में आयोजित एनसीसी की पीएम रैली के दौरान फ्लैग इन किया जायेगा।

3 ज्ञात हो कि अग्रेजो से पहले 2000 वर्षों में भारत अनेक साम्राज्यों या छोटे राजघरानो द्वारा शासित किया जाता था। 1608 में अग्रेज आए और अगले 100 वर्षों में उन्होने लगभग पूरे हिन्दुस्तान पर कब्जा कर लिया।

4. सन 1825-50 के दौर में भारतीय मूल के सैनिको से बनी ईस्ट इंडिया कम्पनी की सेना न सिर्फ पूरे हिन्दुस्तान में अनके आर्थिक हितो की रक्षा कर रही थी बल्कि अग्रेजो की ओर से अफगानिस्तान, चीन, बर्मा, पर्सिया (इरान) और कीमिया में लड़ रही थी। परन्तु सैनिको के कल्याण के बारे में कोई सोच नही थी। 1855 के आस-पास अग्रेजी शासन के खिलाफ रोष और बढ़ने लगा। प्रमुखतः कठोर शासन प्रणाली, खेती बाडी पर बढ़ता लगान, स्थानीय उद्योगो की खत्म करना और भारतीय मूल के राजघरानों पर कब्जा इसके मुख्य कारण थे।

5. इसी समय सैनिको के लिये एक नई रायफल आई जिसमें गोली को मुँह से काटकर भरा जाता था। ऐसा मना जाता है कि गोली पर गाय और सूअर की चर्बी से लेप किया गया था। जो भारतीय सैनिको के धर्म के खिलाफ था। ऐसी स्थिति में फरवरी 1857 में एक पलटन ने उन कारतूसो का इस्तेमाल करने से मना कर दिया। सैनिको को निरअस्त्र कर दिया गया। इस मसले पर क्षोभित होकर मंगल पाण्डे ने अग्रेज अधिकारी पर हमला किया जिसके लिए उनको फांसी दी गयी। इस खबर ने रोश और बढ़ा दिया ओर जगह जगह पर विद्रोह होने लगे।

6. उत्तर प्रदेश में मेरठ, गाजियाबाद, अवध (लखनउ), बनारस, इलाहाबाद और कानपुर इसके प्रमुख केन्द्र रहे। सैनिको के विद्रोह को किसानों, व्यापारियों, जमीदारा और कारीगरों ने भी पूरी तरह साथ दिया।

7. अंग्रेजी शासन ने इन इलाको को मद्रास और बाम्बे प्रेसीडेंसी से अफगानिस्तान, नेपाल और दक्षिण एशिया से सेना एकत्रित कर अगले डेढ़ साल में अपने काबू में किया। हार और भारी नुकसान के बावजूद इस घटना ने आगे आने वाले समय में भारत की स्वाधीनता की राह प्रशस्त की। इसी कारण 1857 की कान्ति को सही मायने में भारत की आजादी का प्रथम युद्ध कहा जाता है।


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