Moradabad News: निकाय चुनाव में हार के बाद सपा जुटी डैमेज कंट्रोल में, लोकसभा से पहले संगठन में बदलाव संभव
Moradabad News: मुरादाबाद में सपा की हार के बाद हुई समीक्षा बैठक और अंतरकलह परत दर परत खुलती जा रही है। जिन दिग्गजों पर पार्टी हाईकमान ने भरोसा किया था, वहीं पार्टी में अपना हित साधने में लगे हुए थे।
Moradabad News: जनपद में तमाम कोशिशों के बावजूद सपा को नगरीय निकाय चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद हार की वजहों पर समीक्षा का दौर चला और अब सपा में अंतरकलह परत-दर-परत खुलती नजर आ रही है। इसके साथ ही साफ होता जा रहा है कि जिन दिग्गजों पर पार्टी हाईकमान ने भरोसा किया था, वहीं पार्टी में अपना हित साधने में लगे हुए थे। जिसके लिए उन्होंने पार्टी को होने वाले नुकसान को भी नकार दिया था। पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले जनपद के संगठन में फेरबदल कर सकती है।
पार्टी सांसद एसटी हसन की सिफारिशें हुईं दरकिनार
मुरादाबाद में सपा नेताओं का कहना है कि पार्टी हाईकमान ने स्थानीय सांसद एसटी हसन की सिफारिश को अनदेखा कर दिया था। सपा हाईकमान द्वारा चुनाव का ऐलान होने तक मुरादाबाद में जिला व महानगर अध्यक्षों का मनोनयन नहीं हो सका था। पूर्व विधायक हाजी यूसुफ अंसारी, विधायक देहात नासिर कुरैशी समेत सभी दिग्गज संगठन में अपने समर्थक को शामिल कराने की जोड़तोड़ में लगे थे। महापौर सीट सामान्य होने पर पूर्व विधायक और विधायक ने सियासी जाल बुना, हाईकमान के सामने मसौदा पेश कर दिया।
सूत्र बताते हैं कि इन लोगों ने अंसारी समाज से महानगर अध्यक्ष मनोनीत करने और सामान्य जाति से महापौर प्रत्याशी चुनने का प्रस्ताव दिया था। यह लोग मेयर प्रत्याशी का लिए एक नाम की सिफारिश भी कर रहे थे। सांसद डॉ. एसटी हसन ने अंसारी समाज से शिक्षित और साफ-सुधरी पहचान रखने वाले को प्रत्याशी बनाने और कुरैशी समाज से महानगर अध्यक्ष मनोनीत करने की सिफारिश करके आए थे। हालांकि डॉ. एसटी हसन ने कहा था कि उन्होंने किसी नाम की सिफारिश नहीं की थी।
लोकसभा चुनाव में अंतर्विरोध बड़ी चुनौती
सियासी हलकों में चर्चा है कि निर्वतमान महानगर अध्यक्ष शाने अली शानू, विधायक और पूर्व विधायक का तालमेल सही नहीं रहा था। इसलिए भी दिग्गजों की कोशिश महानगर अध्यक्ष बदलने की रही। जाहिरी तौर पर इकबाल अंसारी पूर्व विधायक यूसुफ अंसारी के खासमखास हैं। जाहिर है कि सियासत का उसूल है अपने समर्थकों को पद दिलाना और सभी नेता ऐसा करते हैं। मगर मुरादाबाद में इससे आगे की राजनीति हुई। कहा जा रहा है कि महानगर अध्यक्ष के मनोयन से खुश हुए नेताओं ने सपा मुखिया अखिलेश यादव द्वारा चयनित प्रत्याशी को जिताने के लिए कोई कार्य नहीं किया।
चुनाव लड़ाने के लिए लगी टीम में अधिकांश लोग यूसुफ अंसारी गुट के रहे। बहरहाल, अब लखनऊ में जल्द ही समीक्षा होनी है और इसमें अखिलेश यादव स्वयं हार के कारणों का मंथन करने वाले हैं। चर्चा है कि अधिकांश नेताओं ने मेयर प्रत्याशी पर ही हार की जिम्मेदारी थोपने की तैयारी कर ली है। लेकिन लोकसभा चुनाव भी सिर पर हैं। माना जा रहा है नगरीय निकाय चुनाव में मिली हार से सबक लेकर सपा मुरादाबाद में संगठन और नेताओं के पेंच कस सकती है। पार्टी की ओर से जनपद के संगठन में कुछ बड़े बदलाव भी किए जा सकते हैं।