Mulayam Singh Yadav Birthday: नेताजी का पूरा जीवन राजनीति और देश सेवा के लिए समर्पित रहा

Mulayam Singh Yadav Birthday: समाजवादी पार्टी के पहले अध्यक्ष  मुलायम सिंह यादव का आज जन्मदिन है। आइए जानते है उनके राजनीतिक सफर के बारे में...

Written By :  Shreedhar Agnihotri
Published By :  Chitra Singh
Update:2021-11-22 12:07 IST

मुलायम सिंह (फोटो- @IndiaAnalytics ट्विटर)

Mulayam Singh Yadav Birthday: देश के बड़े नेताओं में शुमार मुलायम सिंह यादव देश के उन गिने चुने राजनेताओं में हैं, जिनका पूरा जीवन राजनीति (mulayam singh yadav political career) और देश सेवा के लिए समर्पित रहा। उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री (Mulayam Singh Yadav CM period) रहने के साथ ही वह देश के रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं। 

अपने 50 से अधिक वर्षो के राजनीतिक जीवन (mulayam singh yadav political career in hindi) में उनकी राजनीतिक कला उसी प्रकार की रही है, जिस प्रकार वह अपने जवानी के दिनों में कुश्ती कला के निपुण खिलाड़ी हुआ करते थें।

समाजवादी पार्टी का गठन कब हुआ था (Samajwadi Party Ka Gathan Kab Hua Tha)?

4 अक्टूबर 1992 को उन्होंने जिस समाजवादी पार्टी का गठन (samajwadi party ka gathan) अपने दम पर किया, वो  पार्टी आज उत्तर प्रदेश में सियासत की सबसे अहम धुरी बन गई है। समाजवादी पार्टी के संस्थापक (samajwadi party founder) और उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव को देश के उन नेताओं में गिना जाता है , जिनके राजनीतिक दांव का किसी को पता नहीं  रहता है। चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) के अनुयायी रहे मुलायम सिंह यादव ने डॉ. राम मनोहर लोहिया (ram manohar lohia and mulayam singh yadav) के साथ रहकर राजनीति सीखी । 

मुलायम सिंह यादव का जीवन परिचय (Mulayam Singh Yadav ka Jivan Parichay)

समाजवादी पार्टी के पहले अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का जन्म (mulayam singh yadav date of birth) 22 नवंबर 1939 को आज ही के दिन उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव मेंएक किसान परिवार में हुआ था।   माता  मूर्ति देवी और पिता का नाम सुघर सिंह के घर जन्मे  मुलायम सिंह यादव ने आगरा यूनिवर्सिटी से एमए और जैन इंटर कॉलेज मैनपुरी से बीटी की पढ़ाई की। उन्होंने  राजनीतिक विज्ञान में एमए करने के बाद एक  इंटर कॉलेज में अध्यापक हो गए।

मुलायम सिंह यादव की फैमिली (Mulayam Singh Yadav family)

मुलायम सिंह का विवाह (Mulayam Singh Yadav first wife) मालती देवी से हुआ था। अखिलेश यादव उन्ही के पुत्र हैं। मालती देवी (Malti Devi) का निधन मई 2003 में हो गया। मुलायम सिंह यादव ने अपना दूसरा विवाह साधना यादव (mulayam singh yadav ki dusri patni) के साथ किया। जिनसे उनके बेटे (mulayam singh yadav sons name) प्रतीक यादव 1988 में पैदा हुए। फरवरी 2007 में मुलायम सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी दूसरी शादी की बात को स्वीकार किया। 

मुलायम सिंह यादव की कहानी (Mulayam Singh Yadav ki kahani)

मुलायम सिंह यादव बचपन से ही पहलवानी के शौकीन थें। वह 15 साल की उम्र में ही अखाडे़ जाकर बडे बडे पहलवानों के साथ कुश्ती के जोर आजमाइश किया करते थें। इसी बीच उनका राजनीति में रूझान हुआ और उनकी मुलाकात डा राममनोहर लोहिया से हो गयी जो कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की नीतियों के खिलाफ थें। मुलायम सिंह यादव पहली बार डॉ. राम मनोहर लोहिया के नहर रेट आंदोलन के दौरान जेल गए। कई आंदोलनों का हिस्सा बने मुलायम सिंह यादव 1967 में वह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार उत्तर प्रदेश की विधानसभा पहुंचे। यह चुनाव अपने जिले इटावा की जसवंतनगर सीट से जीता। इसके बाद वह लगातार चुनाव जीतते रहे।

मुलायम सिंह यादव का रजनीतिक सफर (Mulayam Singh Yadav ka Rajnitik Safar)

1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 समेत कुल 8 बार विधायक निर्वाचित हुए.। 1977 में बनी जनता पार्टी सरकार में वह कैबिनेट मंत्री भी बने। इसके बाद जब कांग्रेस का दौर फिर लौट तो मुलायम सिंह विपक्षी दलों के सहयोग से 1982-85 तक यूपी विधान परिषद् के सदस्य बने। फिर 1985-87 तक यूपी विधानसभा में नेता विपक्ष रहे। 

इसके बाद जब 1989 का यूपी विधानसभा का चुनाव हुआ तो वह जनता दल सरकार के मुख्यमंत्री बने।  नवंबर 1990 में केंद्र में वीपी सिंह की सरकार गिरने के बाद मुलायम सिंह चंद्रशेखर की जनता दल (समाजवादी) में शामिल हो गए और कांग्रेस के समर्थन से वह मुख्यमंत्री के पद पर बने रहे। अप्रैल 1991 में कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया और मुलायम सिंह की सरकार गिर गई।

1991 में यूपी में मध्यावधि चुनाव हुए और अयोध्या आंदोलन में बाबरी ढांचे को बचाने के लिए चलवाई गई गोली के विरोध में वह हिन्दू जनमानस में उनकी नकारात्मक छवि बन गयी जिससे वह सत्ता से बाहर हो गए । फिर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर नेता प्रतिपक्ष बने।

इसके बाद प्रदेश में हुए राजनीतिक बदलाव के चलते मुलायम सिंह यादव ने अपनी अलग पार्टी बनाई जिसका नाम उन्होंने समाजवादी पार्टी रखा। उन्होंने 4 अक्टूबर, 1992 को लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क में समाजवादी पार्टी के गठन की घोषणा की. इसके बाद जब मध्यावधि चुनाव हुए तो उन्होंने बहुजन समाज पार्टी से गठबन्धन कर चुनाव लडा।  सपा 256 सीटों पर लड़कर 109 जीत गई. जबकि बहुजन समाज पार्टी ने 164 में से 67 पर जीत दर्ज की।  इस तरह गठबंधन ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई और मुलायम सिंह यादव फिर से प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए। गठबंधन में सरकार बनाने के दो साल के अंदर ही सपा-बसपा के रास्ते अलग हो गए।  

इसके बाद  मुलायम सिंह यादव ने केंद्र की राजनीति का रुख किया और 1996 में पहली बार यादव बाहुल्य लोकसभा सीट मैनपुरी से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। इसके बाद केद्र में भी राजनीतिक उठापटक के चलते जब  संयुक्त मोर्चे की सरकार बनी और मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री बने।  इस बीच साझा सरकार गिरने पर मुलायम सिंह यादव का नाम प्रधानमंत्री के तौर पर उभरा लेकिन  उनका यह इरादा सफल नहीं हो सका।  

इसके बाद 1998 में चुनाव हुए तो मुलायम सिंह संभल से लोकसभा में वापस लौटे। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिर गई और 1999 में मुलायम सिंह संभल और कन्नौज सीट से जीते. हालांकि, बाद में उन्होंने कन्नौज सीट अपने बेटे अखिलेश यादव के लिए छोड़ दी, उपचुनाव में वो पहली बार सांसद बने।

इसके बाद केन्द्र में हिलती डुलती चल ररही अटल विहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान 39 सांसदो की ताकत के चलते वह बडे नेता के तौर पर अपनी छवि बना चुके थें। इस बीच यूपी में मायावती की सरकार गिरने के कारण मुलायम सिंह यादव अपनी सरकार बनाने का दावा ठोंक दिया। 

कहा जाता है कि भाजपा के अप्रत्यक्ष तौर पर मिले समर्थन के कारण ही मुलायम सिंह यादव एक बार फिर 2003 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए। वो 2007 तक मुख्यमंत्री रहे. दूसरी तरफ उन्होंने 2004 व 2009 में मैनपुरी सीट से लोकसभा चुनाव भी  जीता।  इसके बाद 2014 में भी वह मैनपुरी के साथ आजमगढ़ से सांसद निर्वाचित हुए।   कुल आठ बार विधायक और एक बार विधान परिषद् सद्स्य रहने वाले मुलायम सिंह तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे। वह 6 बार लोकसभा सांसद भी बन चुके हैं ।

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