Muzaffarnagar News: जगबीर हत्याकांड में नरेश टिकैत बरी, 2003 में हुई थी हत्या

Muzaffarnagar News:जगबीर सिंह की 6 सितंबर 2003 को भौराकला थाना क्षेत्र के अलावलपुर माजरा गांव में हत्या कर दी गई थी। जगबीर सिंह के बेटे ने हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें प्रवीण कुमार, राजीव कुमार उर्फ बिट्टू के साथ-साथ नरेश टिकैत को भी आरोपी बनाया गया था।

Update:2023-07-17 13:28 IST
Farmer leader Chaudhary Naresh Tikait (photo: social media )

Muzaffarnagar News: मुजफ्फरनगर जनपद स्थित न्यायालय ने 20 साल बाद हत्या के एक मामले में सोमवार को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत को सबूतों के अभाव में बाइज्जत बरी कर दिया।
बता दें कि बसपा सरकार में मंत्री रहे योगराज सिंह के पिता जगबीर सिंह की 19 साल 10 महीने 11 दिन पूर्व 6 सितंबर 2003 को भौराकला थाना क्षेत्र के अलावलपुर माजरा गांव में हत्या कर दी गई थी। जगबीर सिंह के बेटे योगराज सिंह की ओर से हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया था। जिसमें अलावलपुर गांव निवासी प्रवीण कुमार, राजीव कुमार उर्फ बिट्टू के साथ-साथ भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत को आरोपी बनाया गया था। तभी से यह मुकदमा कोर्ट में विचाराधीन था। मुकदमे की सुनवाई के दौरान दो आरोपी प्रवीण और राजीव की जहां मृत्यु हो चुकी है तो वहीं आज इस मामले में एडीजे-5 अशोक कुमार की कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए अकेले बचे चैधरी नरेश टिकैत को सबूतों के अभाव में बाइज्जत बरी कर दिया।

बता दें कि मृतक जगबीर सिंह राष्ट्रीय किसान मोर्चा के संस्थापक थे जिसके चलते यह घटना उस समय बहुत चर्चाओं में रही थी। इस बारे में जानकारी देते हुए चैधरी नरेश टिकैत के अधिवक्ता अनिल कुमार जिंदल ने बताया कि 20 साल के बाद आज निर्णय आया है। जिसमें सच्चाई सामने आ रही है एवं चौधरी नरेश टिकैट को आज न्यायालय ने बाइज्जत बरी कर दिया है। एक नेता थे कांग्रेस के चौधरी जगबीर सिंह एवं वह राष्ट्रीय किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और 6 सितंबर 2003 को गांव अलावलपुर में उनकी हत्या हो गई थी तो उस हत्या के मुकदमें में चौधरी नरेश टिकैत का नाम भी बतौर मुलजिम लिखवाया गया था।

नरेश टिकैत को कोर्ट में तलब किया था

पुलिस और सीआईडी ने गहन विवेचना करने के बाद नरेश टिकैत को इसमें दोषी नहीं पाया था और उनके मामले में अंतिम रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की थी। उसके बाद में जब कोर्ट में मुकदमा चला तो चौधरी योगराज सिंह ने नरेश टिकैत का नाम भी आरोपी के रूप में लिया एवं नरेश टिकैत को कोर्ट में तलब किया था और उनके खिलाफ मुकदमा चला। इसी दौरान जो दूसरे आरोपी प्रवीण व राजीव थे उनकी 2009-10 में मृत्यु हो गई। जिस समय जगबीर सिंह की हत्या हुई तब तत्कालीन एसएसपी नवनीत सिकेरा यहां मौजूद थे, जब हॉस्पिटल में यह रिपोर्ट लिखी गई थी नवनीत सिकेरा का बयान बतौर सफाई साक्षी अदालत में कराया गया था और अदालत ने आज करीब अपने 90 पृष्ठों में जवाब दिया है उसमें उन्होंने नरेश टिकैत को यह कहकर के दोष मुक्त कर दिया कि जो साक्ष्य हुआ है योगराज सिंह का व यशपाल सिंह का उस साक्षी को उन्होंने तवज्जो नहीं दी एवं उनको संदिग्ध माना है और जो नवनीत सिकेरा साहब का बयान इस मामले में हुआ था उसको उन्होंने रिलाय करके चैधरी नरेश टिकैत को बाइज्जत बरी कर दिया है। देखिए यह राजनीतिक मामले हैं। इस बारे में हम एडवोकेट लोग कुछ नहीं कह सकते क्योंकि यह राजनीतिक बात है तो यह राजनीतिक लोग ही बताएंगे।

19 साल 10 महीने 11 दिन बहुत लंबा समय होता है

वहीं इस बारे में नरेश टिकैत का कहना है कि 19 साल 10 महीने 11 दिन बहुत लंबा समय होता है हर पहलू पर विचार कर जो सच्चाई थी हर बात को देखकर अदालत ने आज फैसला सुनाया है। साथ ही कहा कि जो जो मुकदमा लड़ रहे थे भाई योगराज जी वह भी अपने परिवार के ही हैं और उन्हें भी आगे अपना देख कर चलना चाहिए और काम ठीक करें क्योंकि पता नहीं किसी के बहकावे में ऐसे उल्टे सीधे काम उन्होंने क्यों किए हैं लेकिन हम उसके बाद जेल गए काफी नुकसान हो गया, पर हमने ऐसा काम नहीं किया था जिससे किसी को महसूस हो और अदालत ने फैसला दिया तो अदालत का सम्मान है।

सुनवाई जल्दी होनी चाहिए

हां यह 6 सितंबर 2003 की बात है लेकिन हमने कोई ऐसा काम नहीं किया एवं ना हम मरने या मारने में विश्वास करते और यह तो हमारे ऊपर बिना वजह की बात आई है और हमारे ऊपर बड़ा बहुत पाप लग रहा है जो ऐसे मामले में अदालत में आए हैं। पर हम सबसे यही कहते हैं कि किसी को भी झूठे मुकदमे में ना फसाओ एवं यह बात ठीक नहीं है और आपस के संबंध भी खराब होते हैं। हम तो हर स्थिति में तैयार थे एवं अदालत पर हमारा पूरा भरोसा था। अगर जेल भेजते तो वहां भी चले जाते। अदालत ने सब पहलुओं पर विचार करके हमें बरी कर दिया। अदालत का धन्यवाद है। हां आज 19 साल 10 महीने और 11 दिन हो चुके हैं तो काफी लम्बा मामला रहा है। उन्होंने कहा कि सुनवाई जल्दी होनी चाहिए और 1 महीने, 2 महीने या साल भर में सुनवाई होनी चाहिए जिससे कोई अदालतों के चक्कर ना काटे जिसपर भी जो केस बन रहा हो और माननीय सुप्रीम कोर्ट की भी कहा है की फैसले जल्दी निपटाओ और बहुत लोड हो रहा है कोर्ट में हम भी देख रहे हैं।

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