बंदिश में बेटियां ! मनचलों का खौफ, सिर झुका कर जाना है स्कूल

उत्तर प्रदेश के शामली शहर की ये तस्वीर देखिए। यहां के कई गांवों की लड़कियां समूह में ट्रैक्टर ट्राली पर सिर झुकाए इसी तरह स्कूल आती-जाती हैं।

Update: 2017-10-26 14:47 GMT
मनचलों का खौफ: जाना है स्कूल तो सिर झुकाकर चलना मजबूरी, बंदिश में बेटियां

शामली: एवरेस्ट फतह से लेकर फाइटर प्लेन तक उड़ाने वाली बेटियों पर हम भारत के लोग गर्व करते हैं। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और बेटियों को लेकर तमाम तरह के नारे देने वाले जनता के नुमाइंदों के लिए ये तस्वीर किसी तमाचे से कम नहीं है। तमाचा है उस सिस्टम के गाल पर जो बड़े फक्र से सिर उठाकर बेटियों को लेकर बड़े बड़े दावे करता है। उत्तर प्रदेश के शामली शहर की ये तस्वीर देखिए। यहां के कई गांवों की लड़कियां समूह में ट्रैक्टर ट्राली पर सिर झुकाए इसी तरह स्कूल आती-जाती हैं। यह स्थिति पैदा हुई है मनचलों के खौफ से।

मनचलों का खौफ: जाना है स्कूल तो सिर झुका कर चलना मजबूरी, बंदिश में बेटियां

ये तस्वीरें जिला शामली के छात्राओं की वो कहानी कहतें है जिसमें छात्राओं का भय छिपा हुआ है। ये तस्वीर शामली के हिन्दू कन्या इंटर कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों की है।जिसमें ट्रैक्टर में सिर झुकाकर छात्राएं बैठी है। ट्रैक्टर चलाने वाले सतपाल सिंह का कहना है कि अगर इज़्ज़त से स्कूल लड़कियों को आना जाना है तो ऐसे ही झुकाकर चलना पड़ेगा। लड़के लड़कियों को छेडते हैं। इसलिए, लड़कियां ऐसे ही सिर झुकाकर चलने को मजबूर हैं।

स्कूल का पत्र

स्कूल प्रशासन इस पूरे मामले में स्कूल के बाहर का ममला बताकर पल्ला झाड़ रहा है।

अभिभावक इरशाद

ये कहना है अभिभावक का

छात्रा के अभिभावक इरशाद का कहना है कि स्तिथि इतनी खराब है कि वो बीमार होने के बावजूद अपनी बच्चियों को स्कूल छोड़ने आने को मजबूर हैं। एक बार को तो पढ़ाई छुड़वाने का भी मन बना चुके थे।

गन्ना मंत्री सुरेश राणा

ये कहना है गन्ना मंत्री का

गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि बहुत तेजी से घटनाओ पर अंकुश लगा है। फिर भी कोई घटना संज्ञान में आती है। तो बहुत गम्भीरता से हम उस पर कार्यवाही कराते है।

 

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