लॉकडाउन की चपेट में सुमेरपुर का नागरा जूती उद्योग, फाकों की नौबत
श्रवण कुमार ने बताया कि सभी दुकानदारों का लॉकडाउन में पचास लाख से ज्यादा का नुकसान हो गया है | जून के बाद यह उधोग स्वता ही दम तोड़ देता है शादी सहालग का दौर लॉकडाउन में फंसा हुआ है।
हमीरपुर: जनपद से 15 किमी दूर नेशनल हाइवे-34 पर भरुआ सुमेरपुर में जूती उद्योग की शुरुआत वर्ष 1952 से हुई थी। किसी समय यह उद्योग कुटी के रूप में फैल चुके थे। दो दर्जन से अधिक लोग इस उद्योग को पुश्तैनी कारोबार की तरह चलाते रहे है। मगर उनमें इस समय मायूसी देखी जा रही है। जूती उधोग कारोबारियों का कहना है कि यदि जूती उद्योग के लिये अलग मार्केट खुलवाकर इससे जुड़े उद्यमियों को बैंक से आर्थिक मदद मिले तो अत्याधुनिक तरीके से जूती बनायी जा सकती है।
ठप्प हो जाने की उम्मीद
लॉकडाउन में जनपद को एक उत्पाद एक जिला कारोबार को लंबी चपत लगी है पिछले 2 माह में इस कारोबार को 50 लाख से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है लॉकडाउन में आर्थिक मंदी से जूझ रहा है। नागरा जूती उधोग नौबत यहा तक आ गई कि इस कारोबार से जुड़े कामगारों के समक्ष रोजी-रोटी के लाले पड़ने लगे हैं। बरसात के सीजन में उसको पूरी तरह से ठप्प हो जाने की उम्मीद है। इससे सहमे का कामगार को पेट पालने के लिए दूसरे काम धंधे की सोचने लगे हैं सरकार 1 वर्ष बाद भी इनको ऋण मुहैया नही करा सकी है।
श्रम विभाग नहीं मानता कारगर
यह सरकार के कामकाज से बेहद दुखी हैं इनका दावा है कि मौजूदा सरकार श्रमिको के उत्पाद के नाम पर भद्दा मजाक कर रही है इसके अलावा इस सरकार ने कुछ नहीं किया श्रम विभाग इनको कामगार नहीं मानता है। इससे यह सरकार की श्रमिक पेंशन योजना से भी वंचित है। मौजूदा सरकार ने एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत कस्बे के मशहूर नागरा जूती उद्योग को शामिल किया था।
इन जगहों पर बिकती हैं
कस्बे में इस उद्योग के लगभग दो दर्जन दुकानें हैं इस उधोग से कस्बे के करीब एक सैकड़ा परिवारों का भरण पोषण होता है। उनके हाथों से तैयार होने वाली नागरा जूती जनपद के अलावा बुंदेलखंड के छतरपुर,सतना, चित्रकूट,झांसी,बांदा,महोबा,जालौन कानपुर,फतेहपुर आदि जनपदों में बिकती है।
जूती उधोग कामगार क्या कहते है।
कारोबार से चन्द्रपाल ने बताया कि मार्च से लेकर जून तक कारोबार का सीजन होता है।इसी सीजन में दुकानदारों को लाभ नुकसान का आकलन हो पाता है लोक डाउन के कारण 500 जोड़ी तैयार जूती डम्प हो गई है। अब इसके विकने के आसार नही है। पूंजी फस जाने से दूसरा कारोबार भी नही कर पा रहे है। इस बार मुझे करीब पांच लाख का नुकशान हो गया है।मेरे सामने रोजी रोटी का संकट सामने खड़ा हो गया।
विजय कुमार ने बताया कि 2 लाख से अधिक का नुकसान लॉकडाउन में हुआ है। सरकार ने मार्च 19 में ऋण मुहैया कराने के लिए 15 लोगों के फार्म भरवाए थे।जनवरी 20 में स्वीकृत पत्र थमा दिया गया परंतु ऋण आज तक नहीं दिया गया । इससे सरकार की किसी योजना का लाभ आज तक नहीं मिला है।
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पचास लाख का नुकसान
श्रवण कुमार ने बताया कि सभी दुकानदारों का लॉकडाउन में पचास लाख से ज्यादा का नुकसान हो गया है | जून के बाद यह उधोग स्वता ही दम तोड़ देता है शादी सहालग का दौर लॉकडाउन में फंसा हुआ है। इस वजह से जून में इस कारोबार से किसी तरह की उम्मीद नहीं है इस कारोबार से जुड़े लोगों के हालात बद से बदतर हो गए हैं ।
मौजूदा समय में खर्च निकालना मुश्किल हो रहा है दुकानों के किराए की अदायगी नहीं हो पा रही है लोक डाउन के कारण हुई। बंद से लगी चपत के बाद आप इस उद्योग के मार्च 2021 के बाद ही सम्भले की उम्मीद की जा रही है।
श्याम बाबू ने बताया कि अब तो रोजी रोटी के लाले पढ़ने लगे है।वर्षात में दूसरा काम धंधा करके 2 जून की रोटी जुगाड़ बनाना पड़ेगा।
कारोबार से जुड़े लल्लू प्रसाद वर्मा,राकेश कुमार,अरविंद आदि ने बताया कि मौजूदा समय में दिनभर की मजदूरी भी इस कारोबार में नहीं निकल रही है। श्रम विभाग हमको श्रमिक कामगार नही मानता लिहाजा वह लोग सरकार की श्रमिक पेंशन योजना से वंचित कर दिए गए हैं।
क्या कहते है जिम्मेदार
श्रम विभाग का कहना है कि यह श्रमिक नहीं बल्कि व्यापारी है। दुकाने खोलकर यह कारोबार कर रहे हैं इसलिए इनको श्रमिक नहीं माना जाता है।यह पट्टी दुकानदार कि श्रेणी में भी नहीं आते है। क्योंकि उन्होंने बकायदा दुकानें खोल रखी है इस वजह से इनको पट्टी दुकानदारों की योजनाओ का भी लाभ नहीं मिल पा रहा।
रिपोर्टर- रविन्द्र सिंह , हमीरपुर
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