बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में मनाया गया "राष्ट्रीय विज्ञान दिवस"

प्रोफेसर नवीन कुमार अरोड़ा ने बताया कि हमारे चारों तरफ विज्ञान है, इस धरती के निर्माण से लेकर मानव जीवन की उत्पत्ति, सब कुछ रासायनिक गतिविधियों के कारण ही हुआ है। हमारे दिनचर्या के कार्यों में, हमारे खान-पान, पहनावे हर चीज के पीछे विज्ञान है। बस जरूरत है तो ध्यान देने की।

Update:2020-02-28 21:12 IST

लखनऊ: बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में "राष्ट्रीय विज्ञान दिवस" मनाया गया । इस वर्ष यह विज्ञान दिवस महिलाओं को समर्पित "वीमेन इन साइंस" विषय पर आयोजित किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ मोनिका द्वारा किया गया।

इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर पी0 के0 सेठ (पूर्व डायरेक्टर, सीएसआईआर-आईआईटीआर और पूर्व सीईओ बायोटेक पार्क), विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर सोमदेव भारद्वाज (रीजनल ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी, विज्ञान भारती), विशिष्ट अतिथि डॉ0 नंदिता सिंह (सीएसआरआई-एनबीआरआई), मुख्य वक्ता प्रोफेसर स्वस्ती तिवारी (एस.जी.पी.जी.आई.) ने कार्यक्रम के आयोजक प्रो0 नवीन कुमार अरोड़ा (हेड, डिपार्टमेंट ऑफ एनवायर्नमेंट साइंस), प्रो0 आर0 पी0 सिंह (डीन, अकैडमिक अफेयर्स), प्रो0 डी0 पी0 सिंह (डायरेक्टर, आई.क्यू.ए.सी.) के साथ मंच साझा किया।

हमारे दिनचर्या के कार्यों में, हमारे खान-पान, पहनावे हर चीज के पीछे विज्ञान है

"राष्ट्रीय विज्ञान दिवस" का कार्यक्रम बीबीएयू, विज्ञान भारती और प्रो0 एच0 श्रीवास्तव फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया।प्रोफेसर नवीन कुमार अरोड़ा ने बताया कि हमारे चारों तरफ विज्ञान है, इस धरती के निर्माण से लेकर मानव जीवन की उत्पत्ति, सब कुछ रासायनिक गतिविधियों के कारण ही हुआ है। हमारे दिनचर्या के कार्यों में, हमारे खान-पान, पहनावे हर चीज के पीछे विज्ञान है। बस जरूरत है तो ध्यान देने की। हमें हमारे पर्यावरण और आस-पास छिपे विज्ञान को देखने, समझने और उसके तथ्यों को उजागर करने की आवश्यकता है। आज की थीम 'महिलाओं का विज्ञान में योगदान' पर केंद्रित है। जिसमें हम आज के दौर में महिलाओं का विज्ञान में योगदान पर चर्चा करेंगे।

इस वर्ष की थीम 'वीमेन इन साइंस' रखा गया

कार्यक्रम की विषय वस्तु पर चर्चा करते हुए प्रोफेसर शिल्पी वर्मा ने बताया कि 'राष्ट्रीय विज्ञान दिवस' आज ही के दिन हुई रमन प्रभाव की खोज के कारण मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम 'वीमेन इन साइंस' रखा गया है ताकि विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं को और अधिक योगदान देने के लिए प्रेरित किया जा सके । हालांकि पहले की तुलना में महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है मगर जिस अनुपात में उनका योगदान होना चाहिए उसकी तुलना में अभी भी महिलाओं की भागीदारी कम है।

मुख्य अतिथि प्रो0 पी0 के0 सेठ ने कहा कि कोई भी काम करने के लिए लगन और सच्ची निष्ठा का होना आवश्यक है। सर सी0 वी0 रमन का विज्ञान के प्रति प्रेम, समर्पण और जुनून था। उन्होंने डॉ0 मंजू शर्मा, डॉ0 रितु, प्रो0 अर्चना शर्मा जैसी वैज्ञानिकों का नाम लिया जिन्होंने राज्य स्तर पर अपने कार्यों से विज्ञान और शोध के क्षेत्र में अपना नाम बनाया है। प्रो0 सेठ ने इन महिलाओं को आदर्श के रूप में लेकर आगे बढ़ने और अपना नाम बनाने की सलाह छात्राओं को दी।

उन्होंने सी0 वी0 रमन के कथन "सही सवालों के लिए प्रकृति अपने छिपे रहस्यों को जानने का मार्ग स्वतः ही खोल देती है" की चर्चा की और कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में हमें सही दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता है, प्रकृति भी उसमें हमारी मददगार होगी। उन्होंने कहा कि आज के इस उत्सव को किसी एक या दो संस्थाओं द्वारा अलग-अलग मनाने की जगह पूरे शहर को मिलकर किसी स्टेडियम में मनाए जाने की आवश्यकता है।

विज्ञान की शिक्षा प्राप्त करने में महिलाओं की संख्या बढ़ी

डॉ स्वस्ती तिवारी ने मैडम क्यूरी के कथन से अपने वक्तव्य की शुरुआत करते हुए कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम रहा है। हालांकि आज विज्ञान की शिक्षा प्राप्त करने में महिलाओं की संख्या बढ़ी है मगर जब हम उच्च शिक्षा की तरफ देखते हैं तो यह संख्या घटने लगती है और कार्य क्षेत्र में यह संख्या और भी कम हो जाती है। महिलाएं जो शोध के क्षेत्र में कार्य कर रही वो आगे वैज्ञानिक के तौर पर अपना सफर जारी क्यों नहीं रख पाती यह एक विचारणीय विषय है।

उन्होंने महिला और पुरूष दोनों के विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में बराबर के महत्व को बताते हुए कहा जब दोनों का योगदान होता है तो सही परिणाम, शोध के अद्वितीय परिप्रेक्ष्य सामने आते हैं। सर्वे बताते हैं कि महिलाओं में आत्मविश्वास की कमी, सामाजिक बाधाएं, भेदभाव पूर्ण नज़रिये के कारण भी विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं का योगदान कम रह जाता है। उन्होंने मंगला नरिकर, अदिति पंत, इंदिरा हिंदुजा, आसिमा चटर्जी, कल्पना चावला और नंदिनी हरिनाथ जैसी महान वैज्ञानिकों का उदाहरण देते हुए बताया कि इनसे हमें प्रेरणा लेने और आगे बढ़ने की ज़रूरत है।

ठंड के मौसम में तुलसी विवाह का है ख़ास महत्व

डॉ नंदिता सिंह ने कहा कि हम सभी विज्ञान से जुड़े हुए हैं, महिलाएं जो विज्ञान के क्षेत्र में पढ़ाई नहीं कर रही हैं वे भी कहीं न कहीं किसी रूप में विज्ञान से जुड़ी हुई है। पहले हमारी संस्कृत में तुलसी विवाह होता था और तुलसी को लाल कपड़े में ढक दिया जाता था। ठंड के मौसम में तुलसी विवाह होता था। हम तब इसके महत्व को नहीं समझ पाए मगर आज जब हम इसके वैज्ञानिक कारणों पर नजर डालें तो हमें समझ आता है कि ठंड में तुलसी की पत्तियां गिर जाती हैं जबकि लाल कपड़े से ढकने की वजह से ठंड में तुलसी सुरक्षित रहती है। इसके पीछे के छिपे विज्ञान को हम नहीं समझ पाए मगर उस समय में हमारी महिलाएं इस विज्ञान को जानती थीं। उन्होंने छात्राओं को आगे आकर विज्ञान के क्षेत्र से जुड़ने और अनुसंधान में भाग लेने को कहा और उन्हें प्रेरित करते हुए बताया कि छात्राओं को बाहर निकलकर कार्य करना चाहिए। शोध के दौरान किसी भी नकारात्मक परिणाम से न हार के बार-बार प्रयास करना चाहिए।

महान खोज 'रमन इफेक्ट' के द्वारा खुद को समाज में स्थापित किया

प्रोफ़ेसर सोमदेव भारद्वाज ने सर सी0 वी0 रमन के जीवन के उन पहलुओं पर प्रकाश डाला जिसमें उन्होंने स्वकेंद्रित ना रहकर राष्ट्र निर्माण की सोच के साथ काम किया और आगे बढ़े। उन्होंने अब्राहम लिंकन और एडिशन जैसे महान वैज्ञानिकों का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार इन वैज्ञानिकों ने खुद को समाज में स्थापित किया उसी प्रकार सर सी0 वी0 रमन ने भी अपनी महान खोज 'रमन इफेक्ट' के द्वारा खुद को समाज में स्थापित किया।

इस खोज की घोषणा सर चंद्रशेखर वेंकट रमन (सर सी वी रमन) ने 28 फ़रवरी सन् 1928 में की थी। इसके लिये उन्हे वर्ष 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया था। यह किसी भी भारतीय व एशियन व्यक्ति द्वारा जीता गया पहला नोबल पुरस्कार था। उन्होंने विद्यार्थियों को सर सी वी रमन की तरह ही राष्ट्र निर्माण की सोच के साथ आगे बढ़ने को कहा।

प्रोफेसर डी0 पी0 सिंह ने कहा कि विज्ञान कोई नई बात नही बताता है, यह वही है जो हमारी प्रकृति में उपलब्ध है। बस उस रहस्य को खोजना ही हमारे विज्ञान का उद्देश्य है। विज्ञान केवल विज्ञान विषय तक सीमित न होकर सभी विषय वर्ग में सम्मिलित किया जाना चाहिए। हमारे समाज मे महिलाएं ही सबसे ज्यादा तार्किक, सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा का स्रोत हैं और किसी भी समाज की सबसे महान वैज्ञानिक हैं।

हमें आत्मनिर्भर होना होगा

प्रोफेसर आर0 पी0 सिंह ने कहा कि हम उत्पादन और मशीनों के निर्माण के क्षेत्र में काफी पीछे हैं, हमें आत्मनिर्भर होना होगा। विज्ञान से नई तकनीकों का आविष्कार होता है इसलिए हमें समाज की सामाजिक व आर्थिक स्थितियों को समझते हुए उसके अनुसार नई तकनीकों और मशीनों का आविष्कार करना होगा। साथ ही इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि इन मशीनों के निर्माण का समाज पर क्या असर पड़ रहा है।

कार्यक्रम के अंत में डॉ0 यू0 वी0 किरण ने सभी अतिथियों, शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों का कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया । इस अवसर पर प्रोफेसर बी0 एस0 भदौरिया, डॉ राजश्री, डॉ रचना गंगवार, डॉ0 मोदी, डॉ0 सुनीता मिश्रा, डॉ0 रिपुसूदन सिंह व अन्य विभागों के अध्यक्ष, संकाय अध्यक्ष कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

 

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