नवरात्रि स्पेशल: कलश स्थापना का महत्व और इसके फायदे

इसलिए कलश स्थापना में विलंब नहीं करना चाहिए और समयानुसार कलश स्थापना कर देना चाहिए। नवरात्रि में तो इसका अत्यंत महत्व है, कलश स्थापना में उपयुक्त सामग्री का भी अलग ही महत्व है।

Update: 2019-04-06 05:29 GMT

लखनऊ: शारदीय नवरात्रि आज से प्रारम्भ हो रही है,और ऐसे में किसी भी कार्य को करने के लिए कलश स्थापना जरूरी है, कलश स्थापना मात्र कलश रखना नही होता है, बल्कि यह समस्त देवी-देवताओं का आह्वान है और उनसे विनती है, कि वह हमारे कार्य को सिद्ध करें एवं हमारे घर में विराजमान हों।

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इसलिए कलश स्थापना में विलंब नहीं करना चाहिए और समयानुसार कलश स्थापना कर देना चाहिए। नवरात्रि में तो इसका अत्यंत महत्व है, कलश स्थापना में उपयुक्त सामग्री का भी अलग ही महत्व है।

कलश स्थापना के लिए सामग्री-

-एक घड़ा या पात्र।

-घड़े में गंगाजल मिश्रित जल ( जल आधा न हो, केवल तीन उंगली नीचे तक जल होना चाहिए)।

-घड़े या पात्र पर रोली से ऊं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे लिखें या ऊं ह्रीं श्रीं ऊं लिखें।

-घड़े पर कलावा बांधें, यह पांच, सात या नौ बार लपेटें।

-घड़े पर कलावा में गांठ न बांधें।

-कलावा यदि लाल और पीला मिलाजुला हो तो बहुत अच्छा।

-जौं।

-काले तिल।

-पीली सरसो।

-एक सुपारी।

-तीन लौंग के जोड़े ( यानी 6 लोंग)।

-एक सिक्का।

-आम के पत्ते (नौ)।

-नारियल ( नारियल पर चुन्नी लपेटे)।

-एक पान।

कलश कैसे रखें?

कलश को हमेशा धातु या मिट्टी के बर्तन पर लाल कपड़े में लपेटकर रखना चाहिए और इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि नारियल कच्चा हो।

कलश स्थापना से फायदे

कलश रखते समय इस बात का ध्यान देना चाहिए कि उसका मुंह नीचे की तरफ ना हो, सही तरह से कलश रखने पर घर में लक्ष्मी माता की कृपा बनी रहती है, और घर उन्नत की राह पर अग्रसर रहता है।

कलश स्थापना में किन बातों का रखें ख्याल

किसी भी नए काम को करने से पहले हिन्दू धर्म में कलश स्थापना की मान्यता है, लेकिन अगर कलश स्थापना सही तरह से ना की जाए तो इसका हमें बहुत तरीकों से नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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अगर नारियल का मुख नीचे की तरफ हो तो इससे शत्रुओं की वृद्धि होती है, कलश पर नारियल रखते समय इस बात का भी ध्यान देना चाहिए कि कहीं इसकी दिशा पूर्व की तरफ ना हो, अगर दिशा पूर्व की तरफ होती है तो हमारे धन हानि की संभावना बढ़ जाती है।

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