Farmers Protest : पांच लाख गाड़ियों को लेना पड़ता है लंबा रूट, लाखों रुपये का ईंधन हो रहा बर्बाद

Farmers Protest : नौ महीने से ज्यादा समय से चल रहे इस प्रदर्शन की वजह से दिल्ली के बार्डर इलाकों से आवाजाही सर्वाधिक प्रभावित है।

Written By :  Akhilesh Tiwari
Published By :  Shraddha
Update: 2021-10-01 08:09 GMT

 दिल्ली में किसान प्रदर्शन से लोग हो रहे परेशान (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

Farmers Protest : किसानों के नौ माह से जारी विरोध प्रदर्शन (Farmers Protest) का खामियाजा दिल्ली (Delhi) में पांच लाख से ज्यादा वाहनों को हर रोज भुगतना होता है। ऐसे वाहन चालकों को हर रोज तीन से साढ़े तीन घंटे का लंबा रूट लेना पड़ रहा है। सड़कों पर जाम की वजह से ईंधन की बर्बादी भी हो रही है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) की ताजा टिप्पणी से लोगों की उम्मीद बढ़ी है कि शायद जल्द ही समस्या का समाधान होगा।

दिल्ली—एनसीआर के लोगों को एक साल पहले सीएए—एनआरसी विरोध की वजह से सड़क जाम का दंश भोगना पड़ा था। तब भी अदालत से ही लोगों को राहत मिल पाई थी। इस बार किसानों के विरोध प्रदर्शन की वजह से लोग परेशान हो रहे हैं। नौ महीने से ज्यादा समय से चल रहे इस प्रदर्शन की वजह से दिल्ली के बार्डर इलाकों से आवाजाही सर्वाधिक प्रभावित है। नोएडा की मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई के दौरान बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट ने किसान प्रदर्शनकारियों पर तल्ख टिप्पणी की है।


पांच लाख गाड़ियों को लेना पड़ता है लंबा रूट (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)


जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एएम सुंदरेश की बेंच ने कहा कि किसान प्रदर्शनकारियों को इस बारे में विचार करना चाहिए। हाइवे को अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि अगर वह कोई बाध्यकारी निर्देश देते हैं तो आप कहेंगे कि हम अतिक्रमण कर रहे हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि समस्याओं का समाधान संसदीय बहस, न्यायिक मंच या आंदोलन से हो सकता है । लेकिन आप हमेशा के लिए हाइवे को कैसे बंद कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आपकी समस्या हो सकती है ।लेकिन शिकायतें दूसरों को भी हैं। सु्प्रीम कोर्ट का संकेत किसानों के भारत बंद की ओर भी था, जिसकी वजह से 26 सितंबर को दिल्ली में लोगों को लंबे जाम का सामना करना पड़ा है।

क्या है दिल्ली का हाल

केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून का विरोध कर रहे किसानों का यूपी गेट , सिंघु बार्डर और टीकरी बार्डर पर नौ महीने से धरना जारी है। प्रदर्शनकारी इन तीनों ही सीमाओं पर टेंट लगाकर बैठे हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगाए टेंटों की वजह से रास्ता लगभग बंद हो चुका है। शुरुआती समय में इन धरना स्थलों पर आठ से दस हजार प्रदर्शनकारी थे । लेकिन अब धीरे—धीरे प्रदर्शनकारी भी कम हो गए हैं। तीनों स्थान पर बमुश्किल एक हजार किसान होंगे। राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगे टेंट व स्थायी निर्माण की वजह से हाइवे का प्रयोग नहीं हो पा रहा है।

नोएडा की निवासी मोनिका अग्रवाल ने अपनी याचिका में अदालत को बताया है कि हाइवे पर जाम लगने की वजह से उन्हें हर रोज दिल्ली आने जाने के लिए कई किमी घूमकर जाना होता है। इससे उनके कम से डेढ़ या दो घंटे का समय बर्बाद हो रहा है। गाजियाबाद से दिल्ली के बार्डर पर मौजूद यूपी गेट से हर रोज औसतन दो लाख वाहन गुजरते हैं। ऐसे वाहनों को अब ​वैकल्पिक रास्तों का प्रयोग करना पड़ रहा है। गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिस ने रूट डायवर्जन लागू कर रखा है । इसके बावजूद लंबा रास्ता और जाम लोगों के लिए मुश्किल खड़ी कर रहा है।


वाहन चालकों को समय व ईंधन बर्बाद होता है। उद्योग-धंधे प्रभावित हो रहे हैं। माल के उत्पादन की लागत बढ़ रही है। रोहतक रोड पर स्थित टीकरी बार्डर के रास्ते दिल्ली व हरियाणा का आवागमन ठप है। ऐसे में दिल्ली व हरियाणा के बीच संपर्क के लिए लोग मुख्य रास्ते के बजाय गलियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं। अब वाहन टीकरी बार्डर के बजाय निजामपुर व झाड़ौदा रोड का इस्तेमाल कर रहे हैं।

सिंघु बार्डर (कुंडली बार्डर) से आवागमन बंद होने का खामियाजा दिल्ली के कुंडली और राई औद्योगिक क्षेत्रों की फैक्ट्रियों को भुगतना पड़ रहा है। यहां उत्पादन काफी कम हो गया है। चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, जम्मू के लोगों दिल्ली जाने का सफर उबड़-खाबड़ रास्तों से परेशान होकर घंटों में पूरा होता है।

हर रोज बर्बाद होता है लाखों का ईंधन

आटो इंजीनियर ओमवीर सिंह बताते हैं कि भारी वाहनों को अगर दो से तीन घंटे का लंबा सफर तय करना पड़ रहा है, तो उन्हें औसतन पांच सौ रुपये का अतिरिक्त ईंधन खर्च करना पड़ेगा। इस तरह अगर पांच लाख वाहन भी इस जाम में प्रभावित हो रहे हैं तो ईंधन के दुरुपयोग का अंदाजा लगाया जा सकता है। समय की बर्बादी और अन्य नुकसान इससे अलग है।

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