Noida Heliport : जल्द उड़ान भरते देखे जाएंगे सबसे बड़ी क्षमता के हेलीकॉप्टर

Noida Heliport :नोएडा शहर में हेलीपोर्ट बनाया जाना है। कंपनी पीपीपी मॉडल पर निर्माण कर हेलीपोर्ट का संचालन करेगी।

Report :  Deepankar Jain
Published By :  Shraddha
Update:2021-10-22 18:07 IST

जल्द उड़ान भरते देखे जाएंगे सबसे बड़ी क्षमता के हेलीकॉप्टर (फोटो - सोशल मीडिया)

Noida Heliport : नोएडा शहर में हेलीपोर्ट (Heliport) बनाया जाना है। इसके लिए प्राधिकरण की टीम ने लखनऊ में अतिरिक्त मुख्य सचिव बुनियादी ढांचा एवं औद्योगिक विकास अरविंद कुमार (Arvind Kumar) के समक्ष विस्तृत परियोजना रिपोर्ट की प्रस्तुतीकरण दिया। प्रस्तुतीकरण से काफी हद तक अधिकारी संतुष्ट नजर आए। वित्तीय जांच (financial inquiry) के बाद शासन से डीपीआर को मंजूरी मिल जाएगी। इसके बाद निविदा प्रक्रिया कर एजेंसी का चयन किया जाएगा। कंपनी पीपीपी मॉडल पर निर्माण कर हेलीपोर्ट का संचालन करेगी।

योजना के सामरिक महत्व को देखते हुए सितंबर 2022 तक पूरा लिया जाएगा। विगत वर्ष अगस्त में प्राधिकरण ने परियोजना के लिए सलाहकार के रूप में राइट्स कंपनी का चयन किया था। डीपीआर में एक आर्थिक सर्वे, डिजाइन के आधार पर साइट का अवकोलन व परियोजना से संबंधित अन्य तकनीकी विवरण शामिल हैं।

परियोजना पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर तैयार की गई है। प्राधिकरण की और से अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी, मुख्य महाप्रबंधक के अलावा सलाहकार कंपनी ने शासन के समक्ष डीपीआर का प्रस्तुतीकरण किया। हैलीपोर्ट निर्माण के लिए कास्टिंग के आधार पर 43 करोड़ रुपए का बजट दिया गया है। परियोजना 10 एकड़ भूमि में विकसित की जाएगी। इसका टर्मिनल भवन 500 वर्ग मीटर में बनाया जाना है।

नोएडा शहर में हेलीपोर्ट बनाया जाना (फोटो - सोशल मीडिया)

दो तरह के हेलीकॉप्टर के लिए किया जाएगा डिजाइन

डीपीआर के अनुसार यहां बनाए जाने वाले हैलीपोर्ट को दो तरह के हेलीकॉप्टर के लिए डिजाइन किया जाएगा। इसमे एमआई-172 यह इसकी क्षमता 25 मुसाफिरों की होगी। दूसरा बेल-412 इसकी क्षमता 12 सीटर की है। इन दोनों हैलीकाप्टर के लिए यहा 52 गुणा 52 मीटर का हैलीपेड, 10 मीटर चौड़ा टेक्सी-वे, पैसेंजर टर्मिनल बिल्डिंग 2० गुणा 25 मीटर की होगी वहीं 52 गुणा 135 मीटर का एपरॉन, हैंगर, 50 वाहनों की कार पार्किंग भी होगी।

पीपीपी मॉडल पर किया जाएगा संचालन

हैलीपोर्ट के निर्माण से लेकर इसके संचालन तक में प्राधिकरण को एक रुपए भी खर्च नहीं करना होगा। कंपनी के साथ प्राधिकरण का 30 साल का अनुबंध किया जाएगा। साथ ही अनुबंध के तहत प्राधिकरण को प्रत्येक मुसाफिर के हिसाब से जो भी तय होगा संचालित करने वाली कंपनी को देना होगा। ऐसे में प्राधिकरण को राजस्व ही मिलेगा।

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