Noida News: सुपरटेक मामले में सोमवार को मुख्यमंत्री के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी SIT, कागजों का किया जा रहा सत्यापन

उच्चतम न्यायालय ने 31 अगस्त को सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट में बने ट्विन टावर को ध्वस्त करने का आदेश दिया।

Report :  Deepankar Jain
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-09-30 17:28 IST

सुपरटेक एमराल्ड मामला (फोटो : सोशल मीडिया )

Noida News: सुपरटेक के दोनों टावरों (सियान और एपेक्स) मामले में एसआईटी सोमवार को मुख्यमंत्री के सामने फाइनल जांच रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकती है। इसकी फाइनल ड्राफ्टिंग की जा रही है। इसके लिए प्राधिकरण के दो बड़े अधिकारी लखनऊ में ही है।

मंगलवार से यहां उन फाइलों के कागजों पर प्राधिकरण अधिकारियों के हस्ताक्षर लिए जा रहे है, जिनको एसआईटी अपने साथ ले गई थी। यह हस्ताक्षर कागजों के सत्यापन के लिए है। जांच में अब तक नियोजन विभाग के दो मुख्य वास्तुविद और एक नियोजन अधिकारी का नाम पुख्ता हो चुके है। इसके अलावा कई और अधिकारी भी है, जिनके नाम अनियमितताओं में शामिल है।

अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश

उच्चतम न्यायालय ने 31 अगस्त को सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट में बने ट्विन टावर को ध्वस्त करने का आदेश दिया। न्यायालय ने आदेश में इन टावर को मंजूरी देने में बरती गई । अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का आदेश दिया। इसके दो दिन बाद मुख्यमंत्री ने एसआईटी का गठन कर दिया था।

एसआईटी का हेड औद्योगिक विकास आयुक्त एवं नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन संजीव मित्तल को बनाया गया। मुख्यमंत्री ने एसआईटी को आदेश दिया था कि एक सप्ताह के अंदर जारी पूरी रिपोर्ट दें।

खास बात यह है कि इस समय सीमा को तीन सप्ताह से अधिक का समय हो चुका है ।लेकिन अभी तक जांच पूरी नहीं हुई है। बहरहाल, फाइनल ड्राफ्टिंग का कार्य पूरा किया जा रहा है। सोमवार को मुख्यमंत्री के समक्ष एसआईटी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इसके बाद मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार आगे की कार्यवाही की जाएगी।

एसआईटी ने इन बिंदुओं पर तैयार की अपनी रिपोर्ट

एसआईटी ने अपनी जांच की शुरुआत सुपरटेक को आवंटित की गई जमीन और रिवाइज प्लान के साथ की। नोटिग में 20 जून, 2005 से लेकर 2 मार्च, 2012 तक यानी पहले रिवाइज प्लान से लेकर तीसरे रिवाइज प्लान तक ट्विन टावर के निर्माण के लिए सेंक्शन किए गए मानचित्र, भूखंड का क्षेत्रफल, कवर्ड एरिया, अनुमानित एफएआर, परचेबल एफएआर व सेट बैक की अलग-अलग जानकारी लेकर ड्राफ्ट तैयार किया।

इसके बाद टीम ने स्थलीय निरीक्षण किया और दस घंटे का ड्रोन सर्वे भी कराया। इन्ही रिपोर्ट के आधार पर कई अधिकारियों के नाम सामने आए है। जिन्होंने 2004 से 2014 तक प्राधिकरण में कई बड़े खेल किए। 

एमराल्ड मामले में अनियमितता की नींव 2004 में रखी गई। 2012 तक अधिकारियों की ओर से अनदेखी की जाती रही। इस समयांतराल में नियोजन विभाग में मुख्य वास्तुविद के रूप में दो व दो नियोजन अधिकारी, एक इंजीनियरिंग सेक्शन का अधिकारी व एक गैजेटड अधिकारी शामिल है.। इसमें से अधिकांश अधिकारी सेवानिवृत हो चुके है। सूत्रों ने बताया कि इन सभी का नाम एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है।

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