Noida News: जांच में अनियमितता मिलने के बाद भी अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं

2004 से 2017 तक समय में प्राधिकरण में करोड़ों अरबों रुपए के घोटाले हुए। सीएजी की रिपोर्ट में इसके प्रत्यक्ष प्रमाण भी मिलते है..

Report :  Deepankar Jain
Published By :  Deepak Raj
Update: 2021-09-04 13:33 GMT
सांकेतिक तस्वीर (सोर्स-सोशल मीडिया)

Noida News: 2004 से 2017 तक समय में प्राधिकरण में करोड़ों अरबों रुपए के घोटाले हुए। सीएजी की रिपोर्ट में इसके प्रत्यक्ष प्रमाण भी मिलते है। 400 पेज की यह रिपोर्ट सीएजी ने शासन को भेजी थी। जिसमे वित्तीय अनियमितता मिली। शिकायत करने वालों का मानना था कि यह घोटाला इससे कहीं ज्यादा का था। इसके साथ यहां आयकर विभाग, सीबीआई और सीबीसीआईडी, लोकायुक्त ने भी विभिन्न मामलों में अनिमितता को उजागर करती आ रही है। लेकिन अब तक किसी भी बड़े अधिकारी पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा सकी।


सांकेतिक तस्वीर(सोर्स-सोशल मीडिया)


जबकि मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देश है कि प्रदेश में जीरो टॉलरेंस नीति पर कार्य किया जाएगा। यहां घोटालों में लिप्त अधिकारियों और कर्मचारियों को बख्शा नहीं जाएगा। नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने नोएडा प्राधिकरण का वित्तीय ऑडिट किया। इसकी 400 पेज की एक रिपोर्ट तैयार की गई। यह वहीं रिपोर्ट है जिसे शासन को भेजा गया और मुख्यमंत्री ने 30 हजार करोड़ रुपए के घोटाले की बात कहीं। लोगों का दावा है लीज रेंट को घटाकर एक प्रतिशत करने के मामले में ही कई हजार करोड़ रुपए का नुकसान प्राधिकरण को हुआ था।

ऐसे में घोटालों में लिप्त अधिकारियों की सिर्फ फाइलिंग की गई। सीएजी ने अपनी 400 पन्नों की रिपोर्ट में ग्रुप हाउसिंग, वाणिज्यिक, एफएआर , भू-आवंटन व विकास परियोजनाओं में बरती गई अनियमितता को बताया है। अनियमितता से संबंधित अधिकांश मामले 2004 से 2017 के बीच किए गए ग्रुप हाउसिग आवंटन के दौरान के है। यह वह दौर था जब शासन ने बिल्डरों को लाभ देने के लिए अपनी नितियों में बदलाव किया और कुल भूखंड की लागत का 10 प्रतिशत जमा कर भू-आवंटन किए गए। इसके बाद बिल्डरों को लाभ देने के लिए गलत तरीके से एफएआर बढ़ाया गया और बेचा गया। एमराल्ड भी इसका एक हिस्सा है।

सीएजी की आपत्ती लगाने के बाद भी नहीं हुई पूछताछ

जांच रिपोर्ट में सीएजी ने 20 बिल्डर परियोजनाओं में आपत्ति लगाई थी। यह आपत्ति 2007 से 2017 के बीच ग्रुप हाउसिग आवंटन पर लगाई गई थी। अधिकांश आपत्तियां कंर्सोडियम की आड़ में खोले गए खेल से संबंधित थी। इसे ऐसे समझे यदि एक भूखंड की लागत 6० करोड़ रुपए थी। ऐसे में चार लोगों ने मिलकर कुल लागत यानी 6० करोड़ का 10 प्रतिशत एकत्रित कर प्राधिकरण में जमा किया और भूखंड अपने नाम आवंटित करवा लिया। आवंटन के बाद लोगों को लुभावने आफर दिए और बुकिंग के नाम पर जमकर मुनाफा खोरी की।

यहा हुए इतने घोटाले लेकिन जांच के नाम पर कार्रवाई क्यों नहीं

प्राधिकरण में घोटालों की सूची काफी लंबी है। यहा भूमि आवंटन घोटाला, फार्म हाउस घोटाला, नोएडा स्टेडियम घोटाला, अंडर ग्राउंड केबलिंग, होटल आवंटन घोटाला, किसानों को अधिक मुआवजा देकर मुनाफाखोरी कमाना आदि तमाम कार्य किए गए। इनकी रिपोर्ट भी तैयार कर शासन को भेजी गई। अधिकारियों की पूरी सूची तक तैयार की गई। लेकिन नोएडा प्राधिकरण में किसी बड़े अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। सभी मामलों में नीचे के कर्मचारियों को ही हाशिए पर रखा गया।

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