Noida News: जिस जमीन की करनी थी रखवाली वहां बन गए फार्म हाउस और अवैध स्टेडियम
हिंडन नदी के डूब क्षेत्र में रिवर फ्रंट कॉरिडोर बनाया जाना थ। इसके लिए प्राधिकरण यहां चल रहे अवैध निर्माण कार्यो पर रोक लगाएगा।
Noida News: हिंडन नदी के डूब क्षेत्र में रिवर फ्रंट कॉरिडोर बनाया जाना थ। इसके लिए प्राधिकरण यहा चल रहे अवैध निर्माण कार्यो पर रोक लगाएगा। धरातल पर ऐसा हुआ नहीं। न तो डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण को रोका जा सका बल्कि डूब क्षेत्र की जमीन ने बड़े-बडे फार्म हाउस और स्टेडियम का रूप ले लिया। जिनसे करोड़ों की कमाई कर सरकार को राजस्व का भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। हालांकि योजना फाइलों में खूब चली। प्राधिकरण बोर्ड बैठकों का भी हिस्सा बनी।
हिंडन नदी के डूब क्षेत्र में कालोनाइजरों भू-माफियाओं का कब्जा है। यहा धड़ल्ले से प्लाटिंग की जा रही है। इमारतों को पक्का निर्माण किया जा रहा है। 250 से ज्यादा इमारतें बन चुकी है। बड़े-बड़े स्पोर्ट कांप्लेक्स डूब क्षेत्र में व्यवसायिक गतिविधियों के नाम पर चलाए जा रहे हैं। शहदरा, सुथियाना, गढ़ी चौखंडी, के अलावा हिंडन नदी व बांध के बीच कई गांव है। इनमे छिजारसी, कनावनी, बहलोलपुर, चोटपुर, चिपियाना खुर्द, चक शाबेरी, सोरखा, जाहिदाबाद, जलपुरा, हल्दौनी, हैबतपुर, अलीवर्दीपुर और ककराला हैं। इनसे डूब क्षेत्र का हिस्सा जुड़ता है। यह जमीन सिचाईं विभाग के अंदर आती है। लेकिन नोटिफाइ के आधार पर इसकी देखरेख का कार्य प्राधिकरण के पास है। ऐसे में यहा ध्वस्तीकरण की कार्रवाई प्राधिकरण को ही करनी है। इन अवैध को निर्माण को तोड़कर यहा रिवर फ्रंट कोरिडोर का निर्माण किया जाना था।
33 साल पुरानी योजना को दिया जाएगा साकार रूप
33 साल पहले शुरू की गई रिवर फ्रंट कॉरिडोर परियोजना को बनाया गया। इसका एक मॉडल आज भी प्राधिकरण के नियोजन विभाग में मौजूद है। लेकिन इसे धरातल पर नहीं लाया जा सका। 2012 में योजना को बोर्ड बैठक में लाया गया। वहां इससे मंजूरी दी गई। 200 एकड़ में योजना को बनाया जाना है। इसके लिए 200 करोड़ रुपए का बजट भी पास किया गया। योजना को सैंद्धांतिक मंजूरी दी गई। योजना के लिए नदी के पानी का दबाव जांचने के लिए प्राधिकरण ने सलाहकार कंपनी भी नियुक्त की।
इसके साथ ही पुणे स्थित रिसर्च कंपनी की ओर से सर्वे रिपोर्ट भी तैयार की गई। करीब आधा दर्जन कंपनियों ने रिवर फ्रंट बनाने के लिए इच्छा भी जाहिर की थी। कागजी काम पूरा होने के बाद निविदा प्रक्रिया होनी थी, लेकिन निविदाएं जारी नहीं हो सकी। यहा बच्चों के लिए झूले ग्रीन ग्रास छोटा से चिड़िया घर और रेस्त्रां इत्यादि बनाए जाने थे। बहराल योजना को साकार रूप देने के लिए अब डूब क्षेत्र की जमीन को खाली कराया जाएगा।