Noida News: सुपरटेक ने शीर्ष अदालत में डाली पुनर्विचार याचिका

एमरॉल्ड सोसाइटी में बने अपने 40 मंजिला दो टावरों को बचाने के लिए सुपरटेक ग्रुप एकबार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।

Report :  Deepankar Jain
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update:2021-09-24 22:29 IST

सुपरटेक के दोनों टॉवर (फोटो-न्यूजट्रैक)

Noida News: शीर्ष अदालत ने बीते 31 अगस्त को सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक ग्रुप (Supertech Group) की एमरॉल्ड सोसाइटी (Emerald Society) में बने 40 मंजिला दो टावरों को गिराने का आदेश दिया था। सुपरटेक (Supertech) की ओर से इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए शुक्रवार को न्यायालय में याचिका दायर की गयी है। यह याचिका फैसले के खिलाफ नहीं बल्कि आदेश के तहत जिन प्वाइंट में बदलाव हो सकता है उस पर विचार करने के लिए लगाई गई है।

सुपरटेक ग्रुप (Supertech Group) के चेयरमैन आर.के अरोड़ा ने कहा कि उन्होंने और उनकी कानून विशेषज्ञों की टीम ने शीर्ष अदालत के फैसले पर मंथन किया है। इस मंथन के बाद पुनर्विचार याचिका डालने का फैसला लिया गया है ताकि इस मामले का हल निकल सके और फ्लैट बुक करने वाले सभी लोगों को उनका घर मिल जाए। उन्हें उम्मीद है कि न्यायालय में उनका पक्ष सुनकर राहत दी जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने तीनो रिवाइज प्लान, एफएआर, दोनों टावरों की बीच की दूरी के अलावा आरडब्ल्यूए को नहीं दिए गए जवाब के अलावा कई अन्य बिंदुओ पर प्रक्रिया दी थी। सुपरटेक का कहना है इनमे से कई बिंदुओं में बदलाव हो सकता है। इसके लिए अदालत में याचिका दायर की गई है।

कोर्ट ने सुनाया था एतिहासिक फैसला

सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने बीते 31 अगस्त को सुनाए ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि सुपरटेक के दोनों टावर 90 दिन के अंदर बिल्डर को गिराने होंगे। नोएडा प्राधिकरण सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की की निगरानी में इनको गिरवाएगा।

इन टावर में फ्लैट बुक कराने वाले खरीदारों को दो महीने के अंदर 12 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ रुपये भी लौटाने होंगे। इससे पहले 11 अप्रैल, 2014 को हाईकोर्ट भी इन टावर को गिराने के आदेश दे चुका है। इन टावरों में बिल्डर द्बारा 915 फ्लैट और 21 दुकानें बनाई जानी थी, जिसमें से 633 फ्लैट की बुकिग कर ली गई थी। 133 खरीदारों को अन्य योजना में शिफ्ट किया जा चुका है और बुकिग कराने वाले 248 खरीदार अपने रुपये वापस ले चुके हैं। 252 लोगों को अभी 12 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ पैसा लौटाया जाना है।

सीबीआरआई की टीम कर चुकी है निरीक्षण

इस प्रोजेक्ट में वर्ष 2014 से काम बंद है। नोएडा विकास प्राधिकरण ने न्यायालय के आदेश का समय पर पालन कराने की तैयारी में जुटा है। इसके चलते प्राधिकरण सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की की टीम को बुलाकर जांच करा चुका है। कुछ कंपनियों ने भी इन टावरों का निरीक्षण कर प्राधिकरण को रिपोर्ट दी है। नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी कह चुकी हैं कि कोर्ट के आदेश का पूरा पालन कराया जाएगा।

Tags:    

Similar News