Noida News: AAP ने सुपरटेक एमरोल्ड मामले पर योगी सरकार पर बोला हमला, कहा - कार्रवाई की कोई संस्तुति नही की गई है
Noida News: शहर में 250 से ज्यादा ग्रुप हाउसिंग सोसायटी का विकास हो रहा है और अधिकतर के निर्माण में भारी अनियमितताएं हैंl
Noida News: नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) के भ्रष्टाचार पर तल्ख टिप्पणी के बाद योगी सरकार (Yogi government) ने एसआईटी जांच (SIT investigation) के आदेश दिए थे। जिसकी रिपोर्ट दो दिन पहले ही मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक हुई है। जिसमें लगभग 26 लोगों पर कार्रवाई किये जाने की संस्तुति है । जिसमे कई ऐसे लोगो का नाम भी नहीं है जिन पर कार्रवाई होनी चाहिए थी , इसलिए यह रिपोर्ट एक बड़ा छलावा है। यह बात प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आम आदमी पार्टी के जिला प्रवक्ता एके सिंह ने कहीं।
कोर्ट में वर्तमान सीईओ ने बिल्डर के सपोर्ट में लगाए थे दस्तावेज
एसआईटी जांच में वर्तमान सीईओ रितु माहेश्वरी (CEO Ritu Maheshwari) पर कार्रवाई की कोई संस्तुति नही की गई है। इसलिए इस जांच पर सबसे बड़ा प्रश्न चिन्ह है। इनके कार्यकाल में कोर्ट में प्राधिकरण द्वारा बिल्डर के सपोर्ट में डाक्यूमेंट्स लगाए गए जो भ्रष्टाचार साबित करने के पूर्ण प्रमाण है। जिससे इनकी संलिप्तता है और इन पर भी निलंबन कि कार्रवाई बनती है। जिन प्रमुख लोगो पर कार्रवाई करने कि संस्तुति एसआईटी ने की है या तो रिटायर हो चुके है या तो वे पूर्ववर्ती सरकारों के चहेते है l
सिर्फ मोहिंदर सिंह ही क्यों दोषी
यही नहीं, पूर्व के सीईओ जिसमे बलविंदर कुमार, राकेश बहादुर, दीपक अग्रवाल सहित कई अन्य के भ्रष्टाचार पर भी कोई जांच नहीं की गई केवल मोहिन्दर कुमार पर ही सारा दोष मढ़ दिया गया l चूकि मोहिन्दर सिंह के समय में कई घोटाले हुए थे । इसलिए इनका नाम रजिस्टर्ड घोटालेबाजों मे था । इसलिए एसआईटी ने भ्रष्टाचार का सारा ठीकरा इनके सिर पर फोड़ दिया । बाकी को छोड़ दिया l यही नहीं ह, उस समय के कई ऐसीईओ, डीसीईओ के नाम भी गायब है जिनको जांच के परिधि में आना चाहिए l
एक सोसाइटी नहीं सभी सोसाइटी ओं में बरती गई अनियमितता
शहर में 250 से ज्यादा ग्रुप हाउसिंग सोसायटी का विकास हो रहा है और अधिकतर के निर्माण में भारी अनियमितताएं हैंl कई ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी में टावरों के बीच की दूरी मानकों के हिसाब से कम होने के बाद अलग से एक टावर को दूसरे टावर में जोड़कर प्राधिकरण द्वारा रफा-दफा करने के मामले संज्ञान में है जिस पर कार्रवाई बनती है।
बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई पॉलिसिया
2000 से लेकर 2012 तक ग्रुप हाउसिंग के लिए भूखंडों के आवंटन प्रक्रिया के बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए बोर्ड में नियमों के बदलाव, एफएआर के नाम पर कैसे फायदा पहुंचाया गया। नक्शे मैं बदलाव व अनुमोदन के खेल से लेकर अन्य नियमों में बदलाव कर बिल्डरों को फायदा पहुंचाया गया। इसकी संपूर्ण जांच होनी चाहिए। इस खेल मे जो अधिकारी शामिल रहे हैं, सबकी जांच उच्चतम न्यायालय के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की देखरेख में सीबीआई से कराई जाए नहीं तो यह जांच एक छलावा है।