Noida News: सुपरटेक के दोनों टावर के निर्माण में बिल्डर ने प्राधिकरण की सात हजार वर्ग मीटर जमीन पर किया था कब्जा
Noida News: सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के दोनों टावर एपेक्स-सियान का निर्माण पार्क की जमीन पर किया गया है।
Noida News: सेक्टर-93 ए स्थित एमराल्ड कोर्ट के दोनों टावरों एपेक्स-सियान के निर्माण में फंसी प्राधिकरण की सात हजार वर्ग मीटर अविकसित ग्रीन बेल्ट पर अधिकारियों ने कब्जा ले लिया है। वर्क सर्किल ने बृहस्पतिवार को जमीन को बिल्डर से मुक्त करा पोल फेंसिंग का काम पूरा करा दिया है। जल्द ही टेंडर जारी कर यहां पर चारदीवारी का काम पूरा कराया जाएगा। इसके बाद ग्रीन बेल्ट को विकसित करने के लिए उद्यान विभाग को सौंप दिया जाएगा। बता दें कि सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के दोनों टावर एपेक्स-सियान का निर्माण पार्क की जमीन पर किया गया है।
लेकिन इस जमीन के साथ प्राधिकरण की सात हजार वर्ग मीटर अविकसित ग्रीन बेल्ट को भी समाहित कर लिया गया। जबकि भूखंड आवंटन के बाद प्राधिकरण की अविकसित ग्रीन बेल्ट की चारदीवारी कर वर्क सर्किल (तत्कालीन सीसीडी पांच) की ओर से उद्यान विभाग खंड तृतीय को सौंपा जाना चाहिए था। लेकिन बिल्डर को लाभ पहुंचाने के लिए अविकसित ग्रीन बेल्ट की जमीन को लेकर विभागों की ओर से सांस तक नहीं ली गई। हैरानी बात यह है कि शीर्ष न्यायालय की ओर से दोनों टावर को गिराने का आदेश देने के बाद भी प्राधिकरण अधिकारियों की आंखें नहीं खुली है। प्राधिकरण की इतनी जमीन ग्रीन बेल्ट में थी, उसका संज्ञान लेने का प्रयास तक शुरू नहीं किया है। जब शासन की ओर से गठित एसआइटी की ओर से स्थलीय निरीक्षण किया, उस समय ग्रीन बेल्ट पर बिल्डर की ओर से कब्जा करने की आशंका जताई गई। पड़ताल करने के लिए ड्रोन सर्वे कराया गया, जिसमें अविकसित ग्रीन बेल्ट पर कब्जे की पुष्टि हुई। इसके के बाद अविकसित ग्रीन बेल्ट को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हुई। करीब तीन दिन चली प्रक्रिया के बाद अविकसित ग्रीन बेल्ट को वर्क सर्किल आठ ने कब्जे में लिया गया।
ग्रुप हाउसिंग भूखंड संख्या-04 सेक्टर-93 का आवंटन और मानचित्र स्वीकृत 2004 से 2012 के बीच हुआ। इसका कुल क्षेत्रफल 54815 वर्ग मीटर है। भूखंड पर 2005, 2006, 2009 व 2012 में समय-समय पर मानचित्र स्वीकृत किया गया। सुपरटेक के आवेदन पर 29 दिसंबर 2006 को पहला रिवाइज प्लान प्राधिकरण ने पास किया। 26 नवंबर 2009 को दूसरा रिवाइज प्लान पास किया गया। वही 2 मार्च 2012 को तीसरा रिवाइज प्लान प्राधिकरण ने पास किया। तीन बार प्लान को रिवाइज करने के बाद भी किसी भी विभाग की नजर अविकसित ग्रीन की जमीन पर नहीं गई। यही नहीं भूखंड आवंटन के दौरान न तो पार्क की जमीन की पैमाइश कराई गई और न ही भू प्रयोग में बदलाव किया गया। इसका आंकड़ा तक प्राधिकरण के पास नहीं है कि आखिर ग्रीन बेल्ट की जमीन कितनी थी। जबकि सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के लिए दो बार में जमीन आवंटित की गई। पहली बार में 48,263 वर्ग मीटर जमीन आवंटित की गई और दूसरी बार में 6556.5 1 वर्ग मीटर जमीन आवंटित की गई।
दूसरी बार आवंटित भूखंड में ग्रीन बेल्ट शामिल नहीं
सूत्रों ने बताया की दूसरी बार में आवंटित की गई जमीन में ही अविकसित ग्रीन बेल्ट का हिस्सा है। यह कितना है या कितना हो सकता है। इसका भी संज्ञान नहीं लिया गया। सवाल यह है कि यह सब प्राधिकरण द्वारा सुपरटेक को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया। सुपरटेक ने अपने 15 टावरों के खरीदारों को लुभाने के लिए दोनों टावरों के निर्माण से पहले के क्षेत्र को ग्रीन एरिया में दिखाया था। जिस पर आरडब्ल्यूए ने आपत्ति भी दर्ज कराई थी। सवाल यह है कि आखिर जमीन गई कहां जिस पर ग्रीन बेल्ट को विकसित होना था। उद्यान विभाग को चारदीवारी कर सौंपना था।