Noida Supertech Emerald Case: बड़ी खबर, SIT ने मांगी बिल्डिंग सेल व इंफोर्समेंट में तैनात अधिकारियों व इंजीनियर्स की सूची

Noida Supertech Emerald Case : सुपरटेक मामले में जांच को आगे बढ़ाते हुए एसआईटी ने बिल्डिंग सेल व इंफोर्समेंट में तैनात अधिकारियों व इंजीनियर्स की सूची मांगी है।

Report :  Deepankar Jain
Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2021-09-16 15:24 GMT

नोएडा एमराल्ड सुपरटेक केस: डिजाईन फोटो- सोशल मीडिया

Noida Emerald Super tech Case : नियोजन विभाग( planning department)  के बाद अब एसआईटी (SIT) टीम की नजर बिल्डिंग सेल व इंफोर्समेंट (Building sales and enforcement) में तैनात इंजीनियरों पर है। 2004 से 2017 कई ऐसे इंजीनियर थे जिनके पास बिल्डिंग सेल व इंफोर्समेंट दोनों का चार्ज था। ऐसे में जब नक्शा पास किया गया तो विभाग में तैनात अधिकारियों ने कार्यवाही क्यों नहीं की। जबकि दोनों टावर (सियान व एपेक्स) का निर्माण ग्रीन क्षेत्र में किया गया था। 2018 में इन्ही अनियमितताओं के चलते प्राधिकरण(Noida Authority) ने 23 जनवरी 2018 को इंफोर्समेंट विंग को ही भंग कर दिया गया। ठीक एक सप्ताह बाद 30 जनवरी 2018 को सभी वर्क सर्किल के वरिष्ठ परियोजना अभियंताओं को इसकी जिम्मेदारी दी गई।

सुपरटेक मामले में जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है। एसआईटी की टीम ने 2004 से 2017 तक प्राधिकरण के बिल्डिंग सेल व इंर्फोसमेंट में शामिल इंजीनियरर्स व अधिकारियों की सूची मांगी है। इन दोनों विभागों की ओर से भारी अनियमितता बरती गई है। इसकी एक रिपोर्ट एसआईटी को भेजी जाएगी। दरअसल, जांच में सामने आया है कि दोनों टावरों व एटीएस के बीच एक अविकसित पार्क था।

2004 से 2017 में एक ही अधिकारी के पास होता था बिल्डिंग सेल व इंफोर्समेंट का चार्ज

इस पार्क की चारदिवारी कर यह पार्क सिविल विभाग (सीसीडी) को उद्यान विभाग को सौंपना था। इसके विकसित होने से पहले ही बिल्डिंग सेल ने बिना जांच पड़ताल किए ही नक्शा पास किया। निर्माण के दौरान भी बिल्डर ने अवैध निर्माण किया। इसको जानते हुए भी किसी ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया। जबकि नियमों के तहत बिल्डिंग सेल का काम समस्त प्रकार की श्रेणी के भवनों में अनाधिकृत एवं भवन नियमावली के प्रावधानों के विपरीत निर्माण कार्य रोकना व इस कार्य के लिए सिविल निर्माण खंड व अनुरक्षण खंड द्बारा सहयोग प्रदान किया जाना है। यहा अधिकारियों व इंजीनियर्स दोनों ने ही नियमों का उल्लंघन किया। प्राधिकरण की विभागीय जांच टीम ने इस मामले में 2004 से 2017 तक के इंजीनियर की सूची मांगी है। जिनका मुख्य किरदार सुपरटेक के दोनों टावरों के निर्माण कार्य के दौरान था।

ऐसे बरती गई लापरवाही

-उद्यान विभाग ने पार्क को बचाने का काम नहीं किया।

-अवैध निर्माण शुरू होने के बाद इंफोर्समेंट, डिवीजन ने वहां कार्रवाई क्यों नहीं की।

-सुपरटेक को आवंटित भूमि जो कि अविकसित पार्क था उसे आवंटन से पहले ही सीसीडी ने क्यों विकसित नहीं किया।

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