Supertech Towers in Noida : नोएडा से बड़ी खबर, सुपरटेक के दोनों टावरों को लेकर कार्रवाई शुरू

Supertech Towers in Noida : सुपरटेक मामले पर कार्रवाई शुरू हो गई है। ग्रीन बेल्ट पर तैयार की गई स्पोर्ट्स गतिविधियों को किया ध्वस्त।

Newstrack :  Network
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-10-05 19:09 IST

सुपरटेक मामले पर कार्रवाई शुरू

Supertech Towers in Noida : नोएडा प्राधिकरण ने सुपरटेक मामले पर कार्रवाई शुरू की। ग्रीन बेल्ट पर तैयार की गई स्पोर्ट्स गतिविधियों को किया ध्वस्त। इसको लेकर मौके पर एओए के साथ प्राधिकरण अधिकारियों के बीच नोकझोंक हुई। प्राधिकरण ने पार्किंग की जगह पर कराया गया अतिक्रमण भी ध्वस्त किया।

बता दें, इससे पहले खबर मिली थी कि सुपरटेक के दोनों टावरों को ध्वस्त करने के लिए सोमवार को सीबीआरआई की टीम प्राधिकरण के सामने वर्चुल या फिजिकल कार्ययोजना प्रस्तुत करेगी। इसी आधार पर टावरों को ध्वस्त करने के लिए एजेंसी या फिर शार्टटर्म टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे। जिसमे किसी एक कंपनी का चयन कर ध्वस्तीकरण किया जाएगा।

दोनों टावरों का निरीक्षण


इससे पहले मंगलवार को सीबीआरआई ने प्राधिकरण से वर्चुअल कार्य योजना की प्रस्तावित रूपरेखा रखी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार दोनों टावरों को 3० नवंबर तक ध्वस्त किया जाना है। सुपरटेक की प्रार्थना को भी कोर्ट खारिज कर चुका है। ऐसे में टावरों को ध्वस्त करना ही एक विकल्प है। सलाहकार कंपनी के रूप में प्राधिकरण सीबीआरआई की मदद ले रहा है।

कार्ययोजना तैयार करने के लिए सीबीआरआई को अब तक ड्रोन सर्वे रिपोर्ट, सुपरटेक की ओर से लिया गया स्ट्रक्चरल डिजाइन दिया जा चुका है। सीबीआरआई की और से दोनों टावरों का स्थलीय निरीक्षण भी किया जा चुका है। कार्ययोजना के लिए प्राधिकरण सीबीआरआई को दो बार रिमाइंडर भी जारी कर चुकी है। पहली बार में 1० दिन का समय दिया गया था।


चूंकि कोर्ट के निर्देशानुसार डेडलाइन नजदीक आती जा रही है। ऐसे में ध्वस्तीकरण की कार्ययोजना में तेजी लानी होगी। लिहाजा वर्चुअल बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए गए है कि सोमवार को ध्वस्तीकरण की पूरी कार्य योजना प्रस्तुत की जाए। कई एंगल से परखी गई इमारत सीबीआरआई की टीम ने कई एगंलो से दोनों टावरों का निरीक्षण किया है।

इमारत 121 मीटर ऊंची है। ऐसे में इसको सीधा ध्वस्त करना काफी मुश्किल है। आस पास के टावरों का ध्यान भी रखना है। ध्वस्तीकरण के दौरान उसके वाइब्रेशन से किसी दूसरे टावर को नुकसान नहीं पहुंचे इसका ध्यान भी दिया जाना है। ध्वस्तीकरण के दौरान एनजीटी के नियमों का वायलेशन भी नहीं होना चाहिए।


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