शीघ्र ही लाया जाएगा नया इमिग्रेशन अधिनियम, जानें क्या है ये
इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ में आज ‘सुरक्षित एवं वैध उत्प्रवासन' विषय पर जनमानस में जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रवासी भारतीय विभाग, ने एक-दिवसीय कार्यशाला आयोजित की। कार्यशाला का उद्घाटन विदेश मंत्रालय के अपर सचिव (ओई) व प्रोटेक्टर जनरल आफ इमिग्रेण्ट्स अमृत लुगुन द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
लखनऊ: विदेश मंत्रालय के अपर सचिव (ओई) व प्रोटेक्टर जनरल आफ इमिग्रेण्ट्स अमृत लुगुन ने कहा कि बढ़ते हुए माइग्रेशन और बदलती हुई वैश्विक व्यवस्था की आवश्यकताओं के दृष्टिगत् पुराने उत्प्रवास अधिनियम 1983 के स्थान पर शीघ्र ही नया इमिग्रेशन अधिनियम लाया जाएगा। इसका नया बिल भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर फीडबैक एवं सुझावों के लिए उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि नये बिल में विदेशों में भारतीयों के रोज़गार हेतु व्यापक उत्प्रवासन प्रबन्धन तथा आवश्यक नियामक तंत्र व उत्प्रवासियों की सुरक्षा एवं कल्याण के लिए समुचित प्राविधान किए गए हैं।
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प्रोटेक्टर जनरल आफ इमिग्रेण्ट्स अमृत लुगुन ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया शुभारम्भ
इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ में आज ‘सुरक्षित एवं वैध उत्प्रवासन' विषय पर जनमानस में जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रवासी भारतीय विभाग, ने एक-दिवसीय कार्यशाला आयोजित की। कार्यशाला का उद्घाटन विदेश मंत्रालय के अपर सचिव (ओई) व प्रोटेक्टर जनरल आफ इमिग्रेण्ट्स अमृत लुगुन द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
विदेश मंत्रालय के अपर सचिव लुगुन ने बताया पूर्व की तुलना में उत्तर भारत के प्रदेशों से अब बहुत अधिक संख्या में माइग्रेण्ट्स विदेश जा रहे हैं। देश के कुल माइग्रेण्ट्स में से लगभग 30 से 35 प्रतिशत् उत्प्रवासी उत्तर प्रदेश से रोज़गार के लिए विदेश जाते हैं।
क्यों होते है लोग धोखाधड़ी का शिकार
उन्होंने बताया कि उत्प्रवासियों को दो श्रेणियों इमिग्रेशन क्लीयरेन्स रिक्वायर्ड तथा इसीएनआर इमिग्रेशन क्लीयरेन्स नाॅट रिक्वायर्ड के अन्तर्गत पासपोर्ट प्रदान किए जाते हैं। इसमें इसीआर पासपोर्ट अकुशल व 10वीं कक्षा से कम शिक्षित लोगों को दिए जाते हैं। अधिकतर यही लोग धोखाधड़ी का शिकार होते हैं, अतः सुरक्षित माइग्रेशन के लिए वैध रिक्रूटिंग एजेंसियों के माध्यम से ही विदेश में रोज़गार के लिए जाना चाहिए।
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भारतीय विदेश मंत्रालय के निदेशक डाॅ. शशांक विक्रम ने कहा कि माइग्रेण्ट्स की सुरक्षा के लिए भारत सरकार अनेक कदम उठा रही है। उन्होंने बताया कि प्रवासी भारतीय समुदाय लगभग तीन करोड़ है, जो किसी देश से प्रवासियों की सबसे अधिक संख्या है, जिसमें से 1.3 करोड़ प्रवासी भारतीय हैं तथा 1.7 करोड़ भारतीय मूल के व्यक्ति हैं। वर्ष 2018 में प्रवासियों द्वारा 79 बिलियन डाॅलर रिमिटेंस के रूप में भारत भेजे गए, अतः प्रवासियों की सुरक्षा तथा कल्याण के लिए जागरुकता सृजन अत्यंत आवश्यक है।
‘परदेस में आपका दोस्त, भारतीय दूतावास’
डाॅ शशांक ने बताया कि इ-माइग्रेट प्रवासन सुविधा के माध्यम से रजिस्टर कराना चाहिए, जिससे गैरकानूनी रिक्रूटिंग एजेंसियों की गतिविधियों को रोकने के लिए दण्डात्मक कार्यवाही, कौशल विकास और प्रस्थान से पूर्व प्रशिक्षण समभव हो पाएगा। ‘परदेस में आपका दोस्त, भारतीय दूतावास’ सुविधा में विदेश में भारतीय दूतावासों में सहायता हेतु हाॅटलाइन नम्बर उपलब्ध है। इसके अलावा मदद पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है तथा विदेश में संकट व विपत्ति की परिस्थितियों में गरीब लोगों की मदद के लिए इण्डियन कम्यूनिटी वेलफेयर फण्ड की भी स्थापना की गई है, जिसके द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
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उन्होंने बताया कि प्रस्थान से पूर्व प्रशिक्षण के लिए राज्य में लखनऊ में केन्द्र है, गोरखपुर में नया केन्द्र जल्द ही स्थापित किया जाएगा। महिलाओं एवं बच्चों की तस्करी को रोकने एवं उनकी सुरक्षा के लिए यह प्राविधान किया गया है कि महिला उत्प्रवासी केवल सरकारी रिक्रूटिंग एजेंसी के माध्यम से ही विदेश रोज़गार के लिए जा सकती हैं।
विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी के. पी. सिंह द्वारा ओवरसीज़ सिटिज़न्स आफ इण्डिया (ओसीआई) फैसिलिटेशन एवं इमिग्रेशन क्लीयरेंस पर महत्वपूर्ण जानकारी दी गई।
उन्होंने बताया कि अब ओवरसीज़ सिटिजन्स आफ इण्डिया (ओसीआई) कार्ड की वैधता को आजीवन कर दिया गया है, जिसके कृषि व वृक्षारोपण की भूमि खरीदने को छोड़कर अनेक लाभ हैं।
पासपोर्ट निर्गत करने की प्रक्रिया में किए गए सुधारों पर बोलते हुए, क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी पीयूष वर्मा द्वारा सुलभ पासपोर्ट एवं इससे सम्बंधित मोबाइल ऐप के बारे में बताया गया।
विदेश जाने से पूर्व इंगलिश, इंटरनेट व वाहन चालन में कुशलता अनिवार्य कर देना चाहिए
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बी पी अशोक ने जिलों से आए हुए पुलिस अधिकारियों को मित्रवत् व्यवहार तथा मानव तस्करी रोकने हेतु आव्हान किया। उन्होंने कहा कि विदेश में नौकरी के लिए जाने से पूर्व इंगलिश, इंटरनेट व वाहन चालन में कुशलता अनिवार्य कर देना चाहिए।
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रिक्रूटिंग एजेंसी एसोसिएशन के प्रतिनिधि- आर के यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश से 30 प्रतिशत् माइग्रेशन के सापेक्ष राज्य में केवल 2 प्रतिशत् वैध रिक्रूटिंग एजेंसी हैं, अतः इनकी संख्या में वृद्धि की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि सऊदी अरब जाने वाले लोगों के लिए वीज़ा स्टैम्पिंग दिल्ली या मुम्बई कराना अनिवार्य है, इसलिए राज्य के उत्प्रवासियों की सुविधा के लिए इस समस्या का समाधान करना जरूरी है।
उत्तर प्रदेश में एक एनआरआई शिकायत निवारण प्रकोष्ठ (सेल) स्थापित है
इससे पूर्व उद्योग बन्धु के अधिकारी ने स्वागत करते हुए बताया कि उत्प्रवासी श्रमिकों के अवैध रिक्रूटमेंट, शोषण व धोखाधड़ी के समाधान के रूप में उत्तर प्रदेश में एक एनआरआई शिकायत निवारण प्रकोष्ठ (सेल) स्थापित किया गया है, जो संकट के समय राज्य के उत्प्रवासियों मदद करता है।
इसके अतिरिक्त महिलाओं, बच्चों व कामगारों की ट्रैफिकिंग, विदेश में शिक्षा प्राप्त कर रहे भारतीय छात्रों की सुरक्षा व कल्याण, विदेशों में प्रवास करने वाले भारतीयों को कानुनी व अन्य प्रकार की सहायता, रिक्रूटिंग एजेंटों की लाइसेंसिंग, पुलिस सत्यापन तथा पासपोर्ट प्रदान करने हेतु सहजता व विस्तार के विषयों पर भी चर्चा की गई।
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कार्यशाला में केंद्र सरकार के विदेश मंत्रालय, इण्डिया सेंटर फाॅर माइग्रेशन, पासपोर्ट offise, ब्यूरो आॅफ इमिग्रेशन, वीज़ा एवं पासपार्ट, पुलिस, श्रम एवं सूचना विभाग के प्रतिनिधियों सहित प्री-डिपार्चर ट्रेनिंग के प्रयोजन से कौशल विकास विभाग, पंजीकृत रिक्रूटिंग संस्थाओं, गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों तथा विश्वविद्यालय के सोशियल वर्क के प्रोफेसर एवं शोधार्थियों द्वारा सक्रिय प्रतिभाग किया गया।