हाथरस पीड़िता को इंसाफ: ये वकील लड़ेगी केस, निर्भया के लिए उठाई थी आवाज

निर्भया की वकील ने देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देश का मौजूदा माहौल ऐसा हो गया है कि महिलाओं की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है।

Update: 2020-10-05 04:01 GMT

अंशुमान तिवारी

लखनऊ। हाथरस की बिटिया को न्याय दिलाने के लिए निर्भया कांड की वकील सीमा कुशवाहा भी आगे आई हैं। उन्होंने रविवार की देर शाम पीड़िता के गांव पहुंचकर परिवार के लोगों से बातचीत की और इसके बाद बिटिया के परिजनों को इंसाफ दिलाने का एलान किया। सीमा कुशवाहा ने पहले भी गांव आने की कोशिश की थी मगर पुलिस व प्रशासन की पाबंदियों के चलते वे कामयाब नहीं हो पाई थीं।

कानून व्यवस्था को पूरी तरह फेल बताया

पूरे देश को झकझोर देने वाले निर्भया कांड में पीड़ित परिवार की ओर से सीमा कुशवाहा ने ही पैरवी की थी और आखिरकार परिवार को इंसाफ दिलाया था।

रविवार को हाथरस की पीड़िता के गांव पहुंचकर अधिवक्ता सीमा कुशवाहा ने कहा कि कानून व्यवस्था पूरी तरह फेल हो चुकी है और इसके लिए पूरी तरह पुलिस ही जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस के ढीले रवैये के कारण अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और वारदातों पर रोक नहीं लग पा रही है।

जबरदस्ती किया गया बिटिया का अंतिम संस्कार

पीड़ित परिवार से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि मेरी पीड़िता के भाई और अन्य परिजनों से बातचीत हुई है। उन्होंने कहा कि जो बेटी बोल और लिख भी नहीं सकती थी, उसका तुरंत मेडिकल कराया जाना चाहिए था।

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उन्होंने कहा कि बिटिया के अंतिम संस्कार में भी जोर जबर्दस्ती की गई और आधी रात के समय पुलिस ने अपनी मनमर्जी से अंतिम संस्कार कर दिया। इस मामले में परिवार के लोगों की सहमति नहीं ली गई और उन्हें शामिल भी नहीं होने दिया गया। पुलिस का यह रवैया कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता।

महिलाओं की सुरक्षा खतरे में

निर्भया की वकील ने देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देश का मौजूदा माहौल ऐसा हो गया है कि महिलाओं की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए अभी कानून पूरी तरह मजबूत नहीं है और इसी का नतीजा है कि कोई भी व्यक्ति कहीं भी सुरक्षित नहीं है।

पहले पुलिस ने नहीं दी थी इजाजत

अधिवक्ता सीमा कुशवाहा गुरुवार को भी चंदवा पहुंची थीं। उन्होंने पीड़िता के परिजनों से मुलाकात करने के लिए गांव जाने की इच्छा जताई थी। लेकिन उस समय पुलिस ने एसआईटी जांच का हवाला देते हुए उन्हें गांव जाने की अनुमति नहीं दी थी।

इस दौरान उनकी प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों से तीखी नोकझोंक भी हुई थी। बाद में उन्होंने थाने पहुंचकर इस मामले को लेकर डीएम और एसपी से बातचीत की थी। डीएम और एसपी ने भी गांव जाने का उनका अनुरोध ठुकरा दिया था।

पीड़िता के गांव में सियासी जमघट

इस बीच पुलिस और प्रशासन की पाबंदी हटने के बाद पीड़िता के गांव में सियासी दलों का जमघट लगा हुआ है। कांग्रेस नेता राहुल और प्रियंका के दौरे के बाद रविवार को भीम आर्मी, सपा और राष्ट्रीय लोकदल का प्रतिनिधिमंडल गांव पहुंचा और पीड़ित परिवार के सदस्यों से मुलाकात की।

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समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया जिसमें कई कार्यकर्ता घायल हो गए। बाद में लाठीचार्ज के विरोध में सपा कार्यकर्ताओं ने धरना भी दिया। इसके बाद सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम की अगुवाई में पांच नेताओं को परिजनों से मुलाकात की इजाजत दी गई।

आजाद और जयंत चौधरी ने भी की मुलाकात

भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद को तीन घंटे की जद्दोजहद के बाद बिटिया के गांव में जाने की अनुमति दी गई। रालोद नेता जयंत चौधरी ने भी पीड़ित परिवार से मुलाकात की।

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बाद में भी जब वे मीडिया से बातचीत कर रहे थे तो पुलिस की ओर से लाठीचार्ज कर दिया गया। कार्यकर्ताओं ने किसी तरह घेरकर जयंत चौधरी को पुलिस की लाठियों से बचाया। परिजनों से मुलाकात के बारे में रालोद नेता ने कहा कि परिवार खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है।

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