निर्मोही अखाड़ा ने अयोध्या में अधिग्रहित जमीन मालिकों को लौटने की याचिका का किया विरोध
अयोध्या मामले के वादियों में से एक निर्मोही अखाड़े ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय का रुख कर केंद्र की उस याचिका का विरोध किया जिसमें विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थान के आसपास 67.390 एकड़ ‘‘अविवादित’’ अधिग्रहित भूमि को मूल मालिकों को लौटाने की अपील की गई है।
नई दिल्ली: अयोध्या मामले के वादियों में से एक निर्मोही अखाड़े ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय का रुख कर केंद्र की उस याचिका का विरोध किया जिसमें विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थान के आसपास 67.390 एकड़ ‘‘अविवादित’’ अधिग्रहित भूमि को मूल मालिकों को लौटाने की अपील की गई है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2010 में फैसला दिया था कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल पर 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन बराबर हिस्सों में बांटी जाएगी और उसे निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी वक्फ बोर्ड और राम लल्ला को दिया जाएगा।
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निर्मोही अखाड़े ने अपनी नयी अर्जी में केंद्र की याचिका का विरोध किया है जिसमें उसने उच्चतम न्यायालय के 2003 के फैसले में संशोधन की अपील की है। 2003 के फैसले में अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल के आसपास 67.390 एकड़ ‘‘अविवादित’’ अधिग्रहित जमीन मूल मालिकों को लौटने की अनुमति दी गई है।
याचिका में कहा गया है कि केंद्र ने राम जन्मभूमि न्यास को अधिग्रहित भूमि लौटने का प्रस्ताव दिया है और अधिग्रहित जमीन पर कई मंदिर हैं। अगर जमीन किसी एक पक्ष को दी गई तो इससे उनके अधिकार प्रभावित होंगे। उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में इस भूमि विवाद का मैत्रीपूर्ण हल निकालने के लिए मध्यस्थतों को नियुक्त किया था।
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