BJP Parliamentary Board: बीजेपी केंद्रीय संसदीय बोर्ड में योगी को न लिया जाना हैरान करने वाला फैसला
BJP Parliamentary Board: किसान आंदोलन से लेकर कोरोना की छाया के बीच जिस तरह से योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी ने लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश में भारी बहुमत से सरकार बनाई उसके बाद पूरे देश में योगी आदित्यनाथ का कद काफी बढ़ा है
BJP Parliamentary Board: बीजेपी ने अपने केंद्रीय संसदीय बोर्ड का पुनर्गठन किया है. यह पार्टी का सबसे शक्तिशाली समूह होता है. इसमें अध्यक्ष समेत 11 सदस्य हैं. उत्तर प्रदेश से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस बोर्ड का हिस्सा हैं. वे पहले से ही इस शक्तिशाली कमेटी में हैं. लेकिन इस बार सबसे अधिक कयास उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर थे. उनका बोर्ड में शामिल होना तय माना जा रहा था. खासतौर से मार्च में सम्पन्न उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से सरकार बनाने के बाद से उनकी दावेदारी और मजबूत हुई थी.
योगी के नेतृत्व में यूपी में लगातार दूसरी बार सरकार
किसान आंदोलन से लेकर कोरोना की छाया के बीच जिस तरह से योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी ने लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश में भारी बहुमत से सरकार बनाई उसके बाद पूरे देश में योगी आदित्यनाथ का कद काफी बढ़ा है. भारतीय जनता पार्टी में भी उनका कद टाप के तीन नेताओं में गिना जा रहा है. ऐसे में स्वाभाविक रूप से देश के सबसे बड़े सूबे के मुखिया की दावेदारी संसदीय बोर्ड के लिए मजबूत मानी जा रही थी.
शिवराज सिंह चौहान को हटाया
इसके पहले के संसदीय बोर्ड में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल थे. इस बार उन्हें हटा दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुजरात के सीएम रहते बीजेपी संसदीय बोर्ड में चुने गए थे. माना जाता है कि पार्टी के सबसे ताकतवर और लोकप्रिय मुख्यमंत्री को ही इस बोर्ड में मौका मिलता है. बोर्ड में शामिल होने के बाद नेताओं के और अधिक बड़े पदों पर जाने का रास्ता भी खुलता है.
बीजेपी संसदीय बोर्ड पार्टी का सर्वोच्च फोरम
बीजेपी संसदीय बोर्ड पार्टी का सर्वोच्च फोरम है. यह पार्टी की नीति निर्धारण और नियंत्रक संस्था है. पार्टी को चलाने की सर्वोच्च जिम्मेदारी इसी की होती है. देश में किस तरह से गठबंधन करने हैं और कहां किसे समर्थन देना है ये बोर्ड ही तय करता है. देश भर में पार्टी के प्रत्याशियों की उम्मीदवारी भी बोर्ड ही तय करता है. इस बोर्ड में शामिल सदस्यों का कद स्वत: ही बढ़ जाता है.
इसीलिए संसदीय बोर्ड में पार्टी के वरिष्ठ और समझदार नेताओं को रखा जाता है. बोर्ड में शामिल होने का मतलब है कि पार्टी उस सदस्य पर पूरा भरोसा करती है. और पार्टी मानती है कि बोर्ड में शामिल सदस्य देश भर में पार्टी के भले के लिए उचित फैसले ले सकते हैं. कुल मिलाकर इस बोर्ड के सदस्य ही बीजेपी के सर्वोच्च कर्ता धर्ता होते हैं.