यूपी के इस गांव में नहीं करना चाहता कोई शादी, कारण यहां कभी भी बिजली नहीं आती
आगरा: जहां एक और योगी सरकार पूरे प्रदेश में शहरी क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली और ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे बिजली देने के दावे कर रही है, वहीं आगरा से 80 किमी दूर स्थित सरवन गांव में आज भी बिजली नहीं आई है। इसी वजह से 33 साल पहले बसे इस गांव के लड़के और लड़कियों से दूसरे गांव के लोग शादी करना नहीं चाहते।
यहां न तो पानी है और न ही सड़क। यही हाल कमोवेश इरादतनगर के महेंद्रपुर का है, जहां खेतों के लिए बिजली तो है, लेकिन घरों के लिए बिजली का इंतजाम करने के लिए लोग खेतों की व्यवसायिक बिजली को चोरी कर अपना गुजारा करते हैं। NEWSTRACK.COM की ख़ास रिपोर्ट एक नजर-
आगरा के तांतपुर के पास पहाड़ी पर बसे सरवन गांव का मुख्य कारोबार मजदूरी है। गांव में सुविधाएं न होने के कारण गांव में रहने वाले ज्यादातर युवा घर से दूर रहकर मजदूरी करते हैं।
गांव में 300 निवासियों की आबादी वाले 40 घर हैं। 33 साल से गांव ने 26 साल बाद 2009 में तीन दिन की रोशनी देखी और फिर सात साल से अंधेरा देख रहा है। यहां 2009 में बंजारों के इस गांव में विद्युतीकरण हुआ था, लेकिन 3 दिन बाद ही आंधी सब कुछ तबाह कर गई। यहां के निवासी राजू ने बताया कि 1983 में राजस्थान के सामंतगढ़ में सूखा पड़ने के बाद बंजारे जाति के करीब दो दर्जन परिवार तांतपुर की पहाड़ी पर आकर बस गए थे।
इनके बुजुर्गों ने इस पहाड़ी को काटकर रहने लायक बनाया। करीब 40 घर और 300 की आबादी वाले गांव का नाम बिरादरी के बुजुर्ग सरवन के नाम पर रखा गया। 2009 में बसपा सरकार के कार्यकाल के दौरान राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत यहां बिजली के खंभे लगने शुरू हुए। कुछ ही दिन में दो ट्रांसफार्मर लगाया गया और लाईट आ गई। लेकिन 3 दिन बाद ही बिजली का पोल एक कच्चे मकान पर गिर गया।
इसके बाद ही बिजली चली गई। यहां रहने वाली बन्ना देवी बताती हैं कि खंभा गिरने से बिजली तो गई ही, उनकी जेठानी की पांच बकरियां भी मर गई थीं।
तब से आज तक मिटटी का तेल खरीद कर कुप्पी जलाकर रात काट रहे हैं। गांव के रामबीर के मुताबिक, गांव के लोग सिर्फ एक खींचू हैंडपंप के दम पर प्यास बुझाते हैं और वो भी अधिकांश खराब रहता है। सड़क है नहीं जैसे-तैसे काट-पीट कर चलने का रास्ता लोगों ने खुद बनवाया है और स्कूल भी ना होने के कारण बच्चे अनपढ़ हैं।
अब बात करते है थाना इरादतनगर क्षेत्र के कुर्रचित्त्पुर इलाके के महेंद्रपुर की। यहां बिजली तो है, लेकिन औधोगिक फीदर की लाइन से चोरी करके गांव वाले बिजली का इस्तेमाल करता है। यहां खंभे तो लगे लेकिन आजतक लाइन नहीं बची, जिस कारण गांव वालों ने खेतो से ही सीधे घरो में तार डालकर बिजली का इंतजाम किया हुआ है।
ऐसे में जिनके खेत है, वो तो बिजली का उपयोग कर पाते हैं, लेकिन जो अन्य काम करते हैं, वो लोग परेशान हैं। गांव के बुजुर्ग राम सिंह ने बताया की जैसे तैसे खंभे तो लग गए थे, सात साल पहले लेकिन बिजली आज तक नहीं आई।
स्थानीय सांसद बाबूलाल के यहां भी कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। वहीं गांव के युवा राजवीर ने बताया कि जहां पीएम मोदी डिजिटल इंडिया की बात करते हैं, वहीं हम लोगों को मोबाइल तक चार्ज करने के लिए दूसरे गांव जाना पड़ता है या आगरा जिस फैक्ट्री में काम करते हैं, वहीं चार्ज करना पड़ता है। गांव की बुजुर्ग मालती ने बताया कि बिजली की कमी की वजह से अब लोग इस गांव से शादी संबंध बनाने में भी कतराने लगे हैं।
जब इस बारे में दक्षिणांचल विद्युत निगम के लोगों से बात की गई तो उनका कहना था कि दोनों गांवों में जल्द काम शुरू हो जाएगा प्रोजेक्ट रिपोर्ट बन चुकी है। वहीं दक्षिणांचल के अधिकारियों का दावा है कि आगरा ज़ोन में सभी गांवों में बिजली सुविधा उपलब्ध है।