ऑक्सीजन के लिए हाहाकार, अस्पताल में बिछी पाइप लाइन, पर सप्लाई अब तक नहीं
2014-15 में प्लांट का निर्माण 17 लाख में कराया गया। प्लांट की क्षमता 300 बेड तक ऑक्सीजन सप्लाई की है।
नोएडा: ऑक्सीजन (Oxygen) को लेकर एक तरफ जहा हाहाकार मचा हुआ है। वहीं, 220 बेड के चाइल्ड पीजीआई (Child PGI) से एक चौंकाने वाली बात सामने आई है। यहां 2016 से पहले बने ऑक्सीजन प्लांट का अब तक संचालन नहीं किया जा सका है, जबकि निर्माण के दौरान ही प्रत्येक बेड तक ऑक्सीजन की पाइप लाइन बिछा दी गई थी। इसका निर्माण प्राधिकरण ने किया और संचालन की जिम्मेदारी पीजीआई प्रबंधन को सौंप दी गई।
जनपद में 4000 के आसपास कोरोना के सक्रिय मामले है। पॉजिविटी दर में लगातार इजाफा हो रहा है। ऑक्सीजन (Oxygen) व आईसीयू (ICU) बेड की शहर में कमी भी होती जा रही है। माना जा रहा है कि आने वाला कुछ सप्ताह और ज्यादा प्रभावित करने वाले होंगे। इस स्थिति में ऑक्सीजन प्लांट का बंद होना अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही को दर्शाता है।
17 लाख में प्लांट का निर्माण किया
2014-15 में प्लांट का निर्माण 17 लाख में कराया गया। प्लांट की क्षमता 300 बेड तक ऑक्सीजन सप्लाई की है। इसमें 220 बेड चाइल्ड पीजीआई व 80 बेड संयुक्त चिकित्सालय के है। सभी पर ऑक्सीजन की पाइप लाइन है। अस्पताल में 34 फंक्शनल हाई एंड वेंटिलेटर ताले में बंद हैं। लेकिन इसे शुरू नहीं किया जा सका।
एनओसी मिलती तो शुरू होती सप्लाई
ऑक्सीजन प्लांट के संचालन के लिए चाइल्ड पीजीआई (Child PGI) को नागपुर एक संस्थान से एनओसी लेनी थी। यह एनओसी आज तक नहीं ली जा सकी। यही वजह है कि 220 बेड का यह अस्पताल कोरोना मरीजों के लिए नाकाफी साबित हो रहा है। जबकि अस्पताल में बबल पॉप भी उपलब्ध हैं। इस अस्पताल में 40 से अधिक डॉक्टर हैं। 250 नर्स और 26 टेक्नीशियन हैं। सरकार कोविड-19 सुविधाएं विकसित करने के लिए पैसा देना चाहती है। उपकरण देना चाहती है, लेकिन यहां उपलब्ध संसाधनों को इस संकट के समय में भी उपयोग में नहीं लाया जा रहा है।
650 करोड़ में बनाई गई इमारत
2008 में निर्माण की शुरुआत की गई। 2014-15 में निर्माण पूरा किया गया। निर्माण में 650 करोड़ रुपए खर्च किए गए। साजों सामान व सुविधाओं के साथ इसके संचालन तक में करीब 1200 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इतना होने के बाद भी महत्वपूर्ण आक्सीजन सप्लाई प्लांट की शुरुआत नहीं की जा सकी।