नोएडा प्रॉपर्टी घोटाला: सरकारी तंत्र का ऐसा खेल, सत्ता से लेकर विपक्ष तक शामिल

बिना बिके (अनसोल्ड) आवंटन के बाद छोड़कर गए (लेफ्ट आउट फ्लैटों) पर बड़े स्तर पर कब्जा है। इन मकानों को सिर्फ प्राधिकरण कर्मचारियों से मिलकर ही किराए पर...

Update: 2020-07-09 15:37 GMT

नोएडा: बिना बिके (अनसोल्ड) आवंटन के बाद छोड़कर गए (लेफ्ट आउट फ्लैटों) पर बड़े स्तर पर कब्जा है। इन मकानों को सिर्फ प्राधिकरण कर्मचारियों से मिलकर ही किराए पर नहीं उठाया। बल्कि सत्ता से लेकर विपक्ष तक के तमाम लोगों ने इन प्रापर्टी पर कब्जा कर रखा है। जबकि इन फ्लैटों का अब तक सरेंडर हो जाना चाहिए था। इसमें 250 से ज्यादा फ्लैट अनसोल्ड मिले थे।

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सवाल यह थे कि मकान किसके शह पर दिए गए बिल्डरों ने यह किराये पर कैसे उठाए, उन्हें फ्लैटों की चाबी कैस प्राप्त हुई, सालों किराए पर रहने के बाद भी इसकी जानकारी प्रशासनिक खंड व सर्किल अधिकारियों को क्यो नहीं मिली?

रिवाइज रेट पास, फिर भी नहीं हो सके खाली

यह मामला सामने आने पर प्राधिकरण ने बोर्ड बैठक में रिवाइज रेट पास किए। इसके तहत स्टॉफ क्वार्टर की लाइसेंस फीस 100 रुपए प्रतिवर्गमीटर से बढ़ाकर 200 रुपए प्रतिवर्गमीटर कर दी गई साथ ही किराया नहीं देने पर 1 अप्रैल 2019 से 11 प्रतिशत ब्याज लगाया जाएगा। इसके बाद भी मकानों को खाली करवाने की कार्यवाही प्राधिकरण की ओर से नहीं कराई गई।

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खुद के आलीशान मकान व आवंटित में किराएदार

प्राधिकरण में कार्य करने वाले कर्मचारियों के अलावा अन्य सरकारी कर्मचारियों को दिकक्त न हो इसके लिए प्राधिकरण उन्हें आवास मुहैया कराती है। इसमें कई ऐसे कर्मचारी हैं। जिनकी शहर में बड़े-बड़े आलीशान मकान है। यह लोग अपने मकानों में रहते हैं। जबकि आवंटित मकान में किराए पर दे रखा है। नियमता अपना मकान होने पर इन कर्मचारियों को प्राधिकरण से आवंटित मकान सरेंडर कर देना चाहिए, लेकिन कर्मचारियों ने इसे ही कमाई का जरिया बना लिया।

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सरकारी महकमें में भी जारी खेल

सेक्टर-27, 19, 20, 14 ए, 82 के अलावा कई अन्य सेक्टरों में कुल पांच श्रेणी के मकान है। इसमे टाइप-1,2 व 3 के कुल 814 मकान है। जबकि टाइप-4 में 59 व टाइप-5 में 10 मकान है। इन सभी मकानों की सूची तैयार की गई थी। साथ ही निरीक्षण कराया गया। इन सरकारी मकानों में अधिकांश पर किराएदारों ने कब्जा जमा रखा है।

रिपोर्ट: दीपांकर जैन

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